सांई बाबा पब्लिक स्कूल को हाईकोर्ट बिलासपुर का आदेश बच्चों को तत्काल प्रवेश दें…..

RTE के तहत आरक्षित सीट पर प्रवेशित बच्चों से मांग रहे थे ट्यूटशन फीस, नहीं देने पर स्कूल से बच्चों का नाम काट दिया था

बलरामपुर जिला प्रशासन, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय व विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय रामानुजगंज के गाल पर तमाचा है हाईकोर्ट का आदेश, पीड़ितों की कई शिकायतों के बाद भी किसी ने नहीं कि थी सुनवाई

एक माह पूर्व खबर के माध्यम से हमने जिला प्रशासन एवं सरकार से बच्चों के लिए न्याय की मांग की थी

बलरामपुर(नंदकुमार कुशवाहा)/ शिक्षा विभाग बलरामपुर के लिए बड़ी ही शर्मिंदगी का विषय है कि जो कार्य उन्हें तत्काल करनी चाहिए, आवेदकों के शिकायत पर तत्काल कार्यवाही कर निराकरण करना चाहिये। ऐसे शिकायतों पर कार्यवाही हेतु हाईकोर्ट बिलासपुर द्वारा निर्देशित करना पड़ रहा है। याचिकाकर्ताओं ने सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन, कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी बलरामपुर सहित स्कूल के विरुद्ध याचिका हाईकोर्ट में प्रस्तुत की थी।

चूंकि पीड़ित पक्ष ने इस मामले की शिकायत कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी, कमिश्नर सहित मुख्यमंत्री तक को की थी, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके। बीच शैक्षणिक सत्र में सांई बाबा पब्लिक स्कूल ने फीस जमा नहीं करने पर बच्चों का नाम विद्यालय से काट दिया गया था। जबकि बच्चों को शिक्षा के अधिकार कानून 2009 के तहत आरक्षित सीट पर विद्यालय में प्रवेश मिला था। किंतु विद्यालय द्वारा RTE के तहत प्रवेशित बच्चों से भी फीस की मांग की गई थी, जो कि प्रथम दृष्टया ही गलत है, किन्तु विद्यालय द्वारा फीस मांगने के बावजूद, पीड़ित पक्ष की शिकायतों को कुम्भकर्णी नींद में सोये शिक्षा विभाग बलरामपुर के अधिकारियों-कर्मचारियों ने नजरअंदाज कर दिया और कोई कार्यवाही नहीं कि। अंत में जब सभी जगह शिकायत कर पीड़ित पक्ष थक हार गया तो उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया जहां से अंततः न्याय मिला। यह बलरामपुर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बलरामपुर एवं विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय रामानुजगंज के गाल पर जोरदार तमाचा है जो नियम कायदे स्वयं मानना नहीं चाहते और यदि कोई शिकायत आती है तो उस पर कार्यवाही नहीं करते।

लगभग एक माह पूर्व इस मामले को हमने उठाया था और बच्चों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत निःशुल्क प्रवेश के बाद फीस वसूली की शिकायत एवं फीस नहीं देने पर विद्यालय से पृथक करने की बात शिक्षा विभाग एवं शासन-प्रशासन के संज्ञान में लाने का एक प्रयास किया था। किंतु कुम्भकर्णी नींद में सोये बेलगाम अधिकारियों को बच्चों की समस्या कोई समस्या नहीं लगी और आपसी मिलीभगत कर निजी स्कूल संचालक को अपनी मनमानी करने की खुली छूट दे दी। लेकिन कहते हैं न न्याय का दरवाजा सबके लिए खुला है जहां देर हैं किंतु अंधेर नहीं। हाइकोर्ट बिलासपुर ने इस मामले में सुनवाई करते हुए फैसला देते हुए सांई बाबा पब्लिक स्कूल के निदेशक मनोज कुमार गुप्ता को निर्देशित किया है कि रिधिमा कुमारी, पिता राकेश कुमार, उम्र 7 वर्ष एवं वाशु सोनी, पिता अजय सोनी, उम्र लगभग 4 वर्ष को तत्काल विद्यालय में प्रवेश देते हुए शिक्षा के अधिकार कानून का पालन करते हुए RTE 2009 के तहत आरक्षित सीटों में रखते हुए, इनसे किसी भी प्रकार का शुल्क न लिया जाये। एक माह पूर्व लगाई गई खबर यहां देखिये……

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