स्थानीय विधायक की चुप्पी और गांधी स्टेडियम को लग गया मोदी का ग्रहण

अम्बिकापुर/अम्बिकापुर शहर जहां पर एक ढंग का खेल ग्राउण्ड तक उपलब्ध नहीं है। गांधी स्टेडियम को सभी के प्रयास से संरक्षित कर अलग-अलग खेलों के लिये विकसित किया गया था। किन्तु अब गांधी स्टेडियम को प्रधानमंत्री मोदी का ग्रहण लग गया है। जिस अम्बिकापुर में पहले से संभाग के सबसे बड़े स्वायत शासकीय महाविद्यालय पी0जी0कॉलेज में हेलीपैड पहले से बना हुआ है, पुलिस लाईन में हेलिपैड बना हुआ है और अम्बिकापुर शहर के निकट ही मां महामाया एयरपोर्ट दरिमा स्थित है, जहां पर कई हेलीकाप्टर एवं हवाई जहाज उतारे जा सकते हैं। उस शहर में एकमात्र स्टेडियम को खराब कर दिया गया। जिले में जो भी जिला अधिकारी आता है वह पुरे जिले को अपनी पैतृक संपत्ति समझ अपने हिसाब से उपयोग करने चाहता है। हमेशा से ऐसा ही होता रहा है हम सब ने ऐसे कई उदाहरण सरगुजा में देखे हैं। जब अधिकारी जनता का नहीं सुनता ऊपर के नेता या बड़ी-बड़ी कंपनियों के पैरों में नतमस्तक होते रहे हैं। यह सरगुजा का दुर्भाग्य ही कहीये कि एक खेल ग्राउण्ड को बचा पाने की हैसियत तक यहां के नेताओं में नहीं है। कम से कम भाजपा के नेताओं को तो चुल्लु भर पानी में अपनी ऐसी-तैसी करा लेनी ही चाहिए। उन्हें याद करना चाहिए वह समय जब इसी स्टेडियम में रावण दहन किया जाता था और किन कारणों से रावणदहन के कार्यक्रम को यहां प्रतिबंधित किया गया और कैसे कौन आगे आया और सबने कैसे राजनीति से ऊपर उठ कर एक हो उसका पालन किया। वैसे भी कहा जाता है कि भाजपा अब वो पुरानी भाजपा नहीं रही, जो अपने पुराने नेताओं को याद करे, दिवंगत भाजपा नेता स्व. रविशंकर त्रिपाठी को आज हर कोई याद कर रहा है कि काश उन्हें आज रहना चाहिए था तो शायद मुखर होकर वे इसका विरोध करते और स्टेडियम में ऐसे कार्य को रोक पाते।

क्या एक जिला अधिकारी कुछ भी करने से पहले शहर के गणमान्यजनों के साथ बैठ कर बात नहीं कर सकता, क्या स्टेडियम में इस तरह का कार्य करने से पहले शहर एवं जिले के खेलप्रेमियों, खिलाड़ियों एवं खेल संगठनों से बात नहीं किया जाना चाहिए था। खैर, अधिकारी काफी मेहनत करके लग्न से पढ़ाई ही इसीलिये करते हैं कि वे जिलों में बैठ कर अपने मन के हिसाब से कर सकेें। यह परंपरा पिछले विधानसभा चुनाव से ही प्रारंभ हुई है कि गांधी स्टेडियम का दुरूपयोग होना शुरू हुआ है। चुनाव के दौरान एक सभा के समय गांधी स्टेडियम को वाहनों के लिये पार्किंग तक बना दिया गया था। इसके बाद जब अयोध्या में श्रीराम मंदिर में मुर्ति की स्थापना हुई तो वहां एक लाख दीप प्रज्जवलित कर एक और कार्यक्रम किया गया। अब यह परंपरा बन गई है आज हैलीपैड बनेगा और कल राजनीतिक सभायें यहां शुरू हो जायेंगी। सरगुजा के नेताओं को एक बार सोचना चाहिए यदि वे वास्तव में जनहित में कार्य करना चाहते हैं तो उन्होंने जिले को कितने खेल ग्राउण्ड दिये हैं। एक पीजी कॉलेज के ग्राउण्ड को इतना तहस-नहस कर दिया गया है कि वहां के छात्र-छात्राओं के उपयोग के अलावा बाकि दुनिया के हर कार्य के लिये उस ग्राउण्ड का उपयोग किया जाता है। पीजी कॉलेज ग्राउण्ड में हजारों गढ्ढे हैं, जिसकी ओर नज़र किसी की नहीं जाती कि खेलते-कुदते खिलाड़ी चोटिल होंगे। कोई कार्यक्रम हो गड्ढा कर खुंटें गाड़े जाते हैं और उन खुंटों को उखाड़ने के बाद गड्ढों को भरा तक नहीं जाता। एक बार वहां के छात्र-छात्राओं और प्राचार्य ने विरोध किया तो जिला प्रशासन सख्त हो गया था। अब वहां छात्र-छात्राओं के खेलकुछ के अलावा दुनिया के सारे कार्यक्रम होते हैं। वहीं हाल कलाकेन्द्र मैदान का भी है।

खैर भाजपा के नेताओं को मोदी जी सद्बुद्धि दें तो शायद कुछ अक्ल आये और आगे से ऐसा कुछ हो तो मुखर होकर बोल सकें। स्व. रविशंकर त्रिपाठी इसलिये हमेशा याद किये जाते हैं कि वे राजनीति से ऊपर उठ कर मुखर आवाज़ में पक्ष रखते थे। नेता बनना है तो जनता के लिये लड़ना होगा यूं चुप्पी साध कर घर में बैठने से नेता कोई नहीं बनता। आपको अपना पक्ष जनता के बीच रखना होगा। स्थानीय विधायक तो इस मामले में अब तक कुछ बोल ही नहीं रहे हैं, पता नहीं कहां गायब हैं? जनहित से जुड़ा विषय है अम्बिकापुर की जनता दुःखी है कम से कम उन्हें मुखर होकर बोलना चाहिए, जनप्रतिनिधी हैं भागने से काम नहीं चलेगा सामने आकर बताना होगा यह सही है या गलत। बहरहाल इस मामले में अम्बिकापुर के पूर्व विधायक एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने कलेक्टर को पत्र लिख कर इस मामले में अपना विरोध दर्ज कराया है।

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