गांवों में भी जहरीली है हवा – जीवाश्म इंधन के वायु प्रदूषण से हर पांच में से एक मौत

जीवाश्म इंधन से होने वाला वायु प्रदूषण दुनियाभर में होने वाली पांच मौतों में से एक मौत का कारण है । यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और यूनिवर्सिटी ऑफ़ बर्मिघम के वैज्ञानिकों ने ये दावा किया है। इसके कारण हुए वायु प्रदूषण से वर्ष 2012 में दुनियाभर में एक करोड़ लोगों की अकाल मौत हई इसमें चीन और भारत में सबसे अधिक मौत दर्ज़ हुई ।

एनवायरनमेंटल हेल्थ साइंस पर अध्ययन कर रहे डॉ. कर्ण वोहरा बताते हैं कि पीएम (पार्टीकुलेट मैटर ) 2.5 कण फेफड़ो की गहराई तक घुस जाते हैं, जो मौतों का बड़ा कारण है । रिपोर्ट के अनुसार जीवाश्म इंधन से नुकसान शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में किसी न किसी तरह से हो रहा है।

भारत में 30.7 फीसदी मौतों का कारण जीवाश्म इंधन से होने वाला वायु प्रदूषण है । चीन और पूर्वी अमेरिका के कुछ हिस्सों के साथ दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ क्षेत्रों में जीवाश्म इंधन से होने वाला वायु प्रदूषण मौतों का प्रमुख कारण है । हाई रिजोल्यूशन मैथमेटिकल मॉडल के जरिये वैज्ञानिकों ने वैश्विक स्तर पर जीवाश्म इंधन से निकलने वाले पीएम 2.5 कण का आकलन कर ये पता लगाया है।

जहरीली हवा 18 फीसदी मौतों की वजह

शोध के अनुसार वर्ष 2018 में दुनियाभर में हुई मौतों में से 18 फीसदी मौतों का कारण वायु प्रदूषण था । वैज्ञानिकों के अनुसार छोटे बच्चों को इस इंधन के हवा में मिलने से ज्यादा नुकसान हो रहा है । वे कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।

ब्रिटेन में इस तरह बढ़ा मौतों का ग्राफ

शोध के अनुसार ब्रिटेन में जीवाश्म इंधन से होने वाले वायु प्रदूषण से वर्ष 2012 में 99 हज़ार लोगों की मौत हुई । इससे पहले ये अनुमान हर साल औसतन 28 से 36 हज़ार लोगों की मौत हर तरह के वायु प्रदूषण के कारण होती थी ।वैज्ञानिकों ने इस पर चिंता जताई है।

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