मेडिकल कॉलेज में सर्पदंश पीड़ितों को मिल रहा जीवनदान

आईसीयू में 400 से अधिक सर्पदंश पीड़ितों का चला उपचार, 18 की मौत

अंबिकापुर। भीषण गर्मी के बाद बारिश के साथ अस्पतालों में सर्पदंश के पीड़ित सामने आने लगे थे, अब सर्पदंश पीड़ितों की संख्या में इजाफा हो रहा है। सप्ताह में चार-पांच रेफर केस मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंच रहे हैं। आसपास के क्षेत्रों से आए दिन सर्पदंश से पीड़ित सरगुजा संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में पहुंच रहे हैं। बड़ी बात यह है कि यहां से अभी तक किसी सर्पदंश पीड़िता को रेफर नहीं किया गया है।

सर्पदंश से पीड़ितों की प्राणरक्षा के लिए मशक्कत करने वाले चिकित्सकों के अध्ययन में सामने आया है कि पीड़ितों की जीवनरक्षा के लिए सिर्फ एंटी स्नेक वेनम का डोज पर्याप्त नहीं है। इन्हें एंटी स्नेक वेनम का डोज तो देना ही है, जरूरत के अनुरूप तत्काल आईसीयू, वेंटीलेटर, डायलिसिस जैसी सेवाएं भी मिलनी चाहिए, ताकि इन्हें राहत मिल सके। क्षेत्रीय अस्पतालों से सर्पदंश के मामले में पीड़ितों को प्राथमिक चिकित्सा सुलभ कराने के बाद रेफर करने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है, क्योंकि ब्लॉक व मैदानी स्तर पर संचालित शासकीय अस्पतालों में गहन चिकित्सा की सुविधाएं सुलभ नहीं हैं।

चिकित्सा अधिकारी डॉ. अर्पण सिंह ने बताया कि शहर के सर्वसुविधायुक्त मेडिकल अस्पताल के आईसीयू में चालू वर्ष में जनवरी माह से जून के बीच संभाग के लगभग 414 सर्पदंश पीड़ितों को चिकित्सा सुविधा का लाभ मिला है, इनमें से लगभग 17-18 लोगों की मौत उपचार के दौरान व अस्पताल पहुंचने तक हुई है। अधिकांश सर्पदंश पीड़ित स्वस्थ्य होकर घर लौट गए हैं। अस्पताल में सर्पदंश के ऐसे भी केस आते हैं, जिनकी मौत अस्पताल पहुंचते तक हो जाती है।

चिकित्सक का मानना है कि सर्पदंश की जानकारी मिलने या संदेह होने पर अगर बिना समय गंवाए त्वरित चिकित्सा सुविधा का लाभ मिले, तो पीड़ितों की जान बच सकती है। सर्पदंश पीड़ित के लिए जोखिम की स्थिति उस समय बनती है, जब लोग इलाज के बजाए झाड़फूंक या जड़ीबूटी जैसी चिकित्सा में समय व्यतीत करते हैं। पीड़ित को अगर तत्काल चिकित्सा सुविधा मिले, तो उन्हें जीवनदान मिल सकता है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पीड़ितों के लिए आज की स्थिति में एंटी स्नेक वेनम का 4000 वॉयल व एंटी रैबीज वैक्सीन का 2000 एम्पुल उपलब्ध है।

जशपुर जिला से सर्वाधिक सर्पदंश पीड़ित पहुंच रहे
मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर के चिकित्सा अधिकारी डॉ. अर्पण सिंह ने बताया कि वर्तमान में सर्पदंश के सर्वाधिक केस सरगुजा संभाग के जशपुर व सूरजपुर जिला से आ रहे हैं। सूरजपुर जिला के बिहारपुर चांदनी व कोरिया जिला के बैकुंठपुर अस्पताल से सर्पदंश के सर्वाधिक रेफरल केस अभी तक पहुंचे हैं। कई बार सर्पदंश का एहसास लोगों को नहीं हो पाता है और वे सांस लेने में दिक्कत, यूरिन में खून, जलन, आंख व शरीर में असहनीय दर्द होने जैसी स्थिति में अस्पताल पहुंचते हैं। लक्षणों के आधार पर इन्हें एंटी स्नेक वेनम का डोज दिया जाता है। जरूरत के अनुरूप इन्हें आईसीयू, वेंटीलेटर या डायलिसिस की सुविधा दी जाती है।

सरगुजा जिले में एंटी स्नेक वेनम पर्याप्त
एक अप्रैल से 31 मई 2024 के बीच अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता पर नजर डालें तो शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में 3610, बतौली में 220, लखनपुर में 120, धौरपुर में 806, उदयपुर में 381, सीतापुर में 166, मैनपाट में 201, भफौली में 110 एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता रही है। जरूरत पड़ने पर सीधे सीजीएमएससी से एंटी स्नेक वेनम प्राप्त कर आपूर्ति की जाती है। जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों, उप स्वास्थ्य केन्द्रों में एंटी स्नेक वेनम की कमी न हो, इसका ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं। जिले के मैनपाट व भफौली स्वास्थ्य केंद्र में सर्पदंश पीड़ितों की संख्या इस अवधि में शून्य है।

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