एसिड अटैक पीड़ित के इलाज से इन्कार करने या केस दर्ज नहीं करने पर सजा का प्रावधान


विधिक सहायता शिविर में न्यूनतम 10 वर्ष के लिए लीग और आर्थिक दंड का प्रावधान-रोपी के बारे में बताया गया

अंबिकापुर। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अंबिकापुर के सचिव अमित जिंदल के मार्गदर्शन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अंबिकापुर की पीएलवी कुमारी दुर्गा सिंह एवं श्वेता पांडेय के द्वारा सात अगस्त को अंबिकापुर के शासकीय शालाओं में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन कर एसिड हमले के बारे में जानकारी दी गई। शिविर में एसिड अटैक व उसके संबंध में कानूनी प्रावधान पर विस्तार से जानकारी दी गई।
पीएलवी श्वेता पांडेय ने जानकारी देते हुए बताया कि एसिड अटैक सबसे अत्यधिक प्रभावी है जो न केवल पीड़ित के मनोभाव को प्रभावित करता है अपितु समस्त समाज पर भी गहरा छाप छोड़ता है। उन्होंने बताया भारतीय दंड संहिता में संशोधन करते हुए एसिड अटैक को पृथक धारा-326 (अ) के अंतर्गत रखा गया है। इसके लिए न्यूनतम 10 वर्ष की सजा से लेकर आजीवन कारावास के साथ आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है। इस कानून में पीड़ित व्यक्ति के इलाज से इन्कार करने पर या पुलिस अधिकारी द्वारा प्राथमिकी पंजीकृत न करने पर या सबूत को दर्ज करने से इन्कार करने पर भी सजा का प्रावधान है। गृह मंत्रालय ने राज्यों को एसिड अटैक के पीड़ित व्यक्ति के लिये कम-से-कम 3 लाख रुपये के मुआवजे का प्रावधान करने का निर्देश दिया है। घटना के 15 दिनों के भीतर पीड़ित को चिकित्सा देखभाल एवं इससे संबंधित अन्य खर्च के लिए भुगतान किया जाता है। इसके अतिरिक्त राज्य द्वारा पीड़ित को सार्वजनिक या निजी किसी भी अस्पताल में नि:शुल्क उपचार उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के चिह्नित अस्पतालों में एसिड अटैक पीड़ितों के लिए 1-2 बिस्तर आरक्षित रखे जाते हैं। गृह मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि राज्यों को पीड़ितों के लिए सामाजिक एकीकरण कार्यक्रमों का भी विस्तार करना चाहिए। इसके लिए एनजीओ को विशेष रूप से उनकी पुनर्वास आवश्यकताओं की देखभाल के लिए वित्तपोषित किया जा सकता है।

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