पुराना लेबर वार्ड आइसोलेशन में तब्दील करने के पहले हुआ धराशाई, बड़ी जनहानि टली


डिस्मेंटल योग्य घोषित भवन के जीर्णाेद्धार के नाम पर अस्पताल प्रबंधन फूंक रहा लाखों रुपये
सीजीएमएससी के एसडीओ की सफाई किसी काम की नहीं, जर्जर भवन को दिया गया है हमर लैब का रूप


अंबिकापुर। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डिस्मेंटल योग्य घोषित किए गए भवनों का जीर्णोद्धार कभी भी घातक साबित हो सकता है। अस्पताल के हमर लैब का जीर्णोद्धार करने के बाद सीजीएमएससी एक अन्य भवन का जीर्णोद्धार करने की मंशा रखा था। यह भवन इतना जर्जर हो चुका था कि सोमवार को इसकी छत और दीवार भरभराकर गिर गई। गनीमत है कि इस दौरान किसी प्रकार की बड़ी जनहानि नहीं हुई। मामला सामने आने के बाद सीजीएमएससी के एसडीओ पल्ला झाड़ते हुए सफाई दे रहे हैं कि नए आइसोलेशन वार्ड के लिए पुराने भवन को डिस्मेंटल किया गया है। अस्पताल के जिम्मेदार भी अपनी नाकामी को छिपाने के प्रयास में लगे हैं।
जानकारी के मुताबिक लोक निर्माण विभाग ने मातृ एवं शिशु अस्पताल परिसर में स्थित पुराने भवन को लगभग पांच-छह वर्ष पूर्व डिस्मेंटल योग्य घोषित कर दिया था। सीजीएमएसी के द्वारा भवन का जीर्णोद्धार करा नया रूप देने की मंशा रखी गई थी और काम शुरू कर दिया था। सोमवार को मजदूर काम में लगे थे, इसी दौरान पूरी छत व दीवार धराशाई हो गई। घटना के समय तीन-चार मजदूर काम कर रहे थे, इन्होंने भागकर जान बचाई। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कई भवन वर्षों पुराने बने हुए हैं, जो पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। लोक निर्माण विभाग के द्वारा पूर्व में ही पुराने पैथोलैब, लेबर वार्ड सहित अन्य भवनों को डिस्मेंटल योग्य घोषित किया गया है। बावजूद अस्पताल प्रबंधन व सीजीएमएसी इन भवनों का जीर्णोद्धार करा उपयोग में ला रहा है। ऐसे में कभी भी बड़े हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि डिस्मेंटल योग्य पुराने लेबर वार्ड में सीजीएमएसी द्वारा जीर्णोद्धार के नाम पर पैबंद लगाने की मंशा रखी गई थी। इस भवन में निर्माण कार्य पिछले कई दिनों से चल रहा था। चारों तरफ दीवारों का पुराना प्लास्टर उखाडकऱ नया प्लास्टर किया जाना था। सोमवार की दिन में करीब 11 बजे तीन-चार कर्मचारी पुराने वायरिंग को हटाने में लगे थे। तभी भवन की छत व दीवार गिर गया। मजदूरों ने किसी तरह वहां से भाग कर अपनी जान बचाई।
हमर लैब में भी खर्च कर दिए लाखों
अस्पताल के जिस भवन में हमर लैब का संचालन किया जा रहा है, वहां पांच से छह वर्ष पहले पुराना पैथोलैब था। इसकी स्थिति ऐसी थी कि छत से आए दिन प्लास्टर, कांक्रीट का मलबा गिरता था। इससे हादसे का डर बना रहता था। लोक निर्माण विभाग ने पैथोलैब एरिया को पूरी तरह से डिस्मेंटल योग्य घोषित कर दिया था। इस स्थिति में पैथौलैब का स्थान परिवर्तित किया गया। इधर सीजीएमएसी व मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन ने नऐ भवन का निर्माण न कराते हुए डिस्मेंटल योग्य घोषित भवन में लाखों रुपये खर्च कर डाले और इसका जीर्णोद्धारा कराया। वर्तमान में यहां हमर लैब का संचालन हो रहा है।
कई दिनों से चल रहा था काम
बताया जा रहा है कि पुराने लेबर वार्ड के जिस हिस्से में निर्माण कार्य कराने की मंशा से काम शुरू किया गया था, वहां आइसोलेशन वार्ड का निर्माण होना था। सीजीएमएसी व अस्पताल प्रबंधन जर्जर भवन का ही जीर्णोद्धार कराकर आइसोलेशन वार्ड की मंशा रखा था। कई दिनों से यहां जान जोखिम में डालकर मजदूर काम कर रहे थे। भवन की दीवार से पुराने प्लास्टर को हटाकर नया प्लास्टर किया जाना था, इसके पहले यह भवन धराशाई हो गया।
बयान
पुराने भवन में आइसोलेशन वार्ड का निर्माण होना है, इसलिए भवन को डिस्मेंटल कराया गया है। उक्त भवन में जीर्णोद्धार का कार्य नहीं चल रहा था।
सौरभ कुमार गुप्ता, एसडीओ सीजीएमएसी

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