क्या आरएसएस नहीं चाहती कि सरगुजा में भाजपा जीते? भाजपा प्रत्याशियों के विरोध में बिहारी लाल तिर्की क्यों आ रहे हैं बार-बार…..

सीतापुर सीट पर शुरू हुई भाजपा की अंदरूनी कलह, भाजपा नेता बिहारी लाल तिर्की ने भाजपा प्रत्याशी रामकुमार टोप्पो की जाति के विरूद्ध हाईकोर्ट में लगायी याचिका, आज़ादी से अब तक एक भी बार सीतापुर विधानसभा सीट नहीं जीत सकी है भाजपा, हर बार अंदरूनी कलह एवं पार्टी के ही लोगों के निर्दलीय चुनाव लड़ने से यह सीट भाजपा से दूर रहा है

अम्बिकापुर/सरगुजा जिले की तीन विधानसभा सीट अम्बिकापुर, सीतापुर एवं लुण्ड्रा जहां 15 साल से कांग्रेस का कब्जा है, यहां से भाजपा को चुनाव जीतने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। पहली बार प्रत्याशी चयन में लुण्ड्रा एवं सीतापुर सीट पर भाजपा ने अच्छा प्रत्याशी उतारा है, जहां पर हो सकता है चुनाव में दोनों ही सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी के साथ बराबरी का मुकाबले करते हुए देखे जा सकते हैं। हालांकि अम्बिकापुर सीट पर भाजपा ने अब तक प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। किन्तु भाजपा के दोनों ही प्रत्याशी लुण्ड्रा से प्रबोध मिंज एवं सीतापुर से राम कुमार के विरूद्ध भाजपा के ही पदाधिकारी विरोध में उतर चुके हैं। बकायदे सीतापुर के प्रत्याशी के विरूद्ध बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है। ऐसे में जेह़न में कई सवाल उठते हैं और मौजुदा 2023 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की अगर बात की जाये तो एक बात जो सबसे ज्यादा गौर करने वाली है और भाजपा के रणनीतिकारों के लिये चिंता वाली है वह यह है कि क्या आरएसएस सरगुजा में भाजपा को जीतने देना नहीं चाहती। यह सवाल इसलिये है कि सबसे पहला विरोध शुरू हुआ लुण्ड्रा से भाजपा प्रत्याशी प्रबोध मिंज के विरूद्ध जिसमें शामिल अधिकतर लोग आरएसएस से जुड़े देखे गये, वहीं यही बिहारी लाल तिर्की प्रबोध मिंज का भी विरोध करते देखे गये। इतना ही नहीं आरएसएस के माध्यम से ही चल रही एक इकाई जनजातिय गौरव मंच से जुड़े अधिकतर लोग ऐसे विरोध में देखे जा रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या सरगुजा में आरएसएस अपने हिसाब से टिकट चाहती थी और शायद ऐसा नहीं हो पाया जिसके कारण इस तरह का विरोध हो रहा है। 2023 में छत्तीसगढ़ में जीत का दावा करने वाले प्रमुख रणनीतिकार अमित शाह को इन विषयों पर गंभीरता से चिंतन करना होगा कि आखिरकार अपने ही पार्टी से जुड़े लोग जो लगातार पार्टी द्वारा घोषित अच्छे प्रत्याशियों का मनोबल तोड़ रहे हैं, उनका लगातार विरोध कर रहे हैं, उनसे कैसे निपटा जाये।

भाजपा के सीतापुर विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी के विरूद्ध भाजपा के पदाधिकारियों ने ही हाईकोर्ट बिलासपुर में जाति के मामले केा लेकर एक याचिका लगा दी है। बड़ी मुश्किल से भाजपा ने सीतापुर विधानसभा क्षेत्र के लिये उम्मीदवार का चयन किया था। जिसे लेकर यह माना जा रहा था कि इस बार सीतापुर में चुनाव रोचक होगा और लगातार चार बार से जीतते आ रहे कांग्रेस के बड़े चेहरे एवं प्रदेश में मौजुदा खाद्य मंत्री अमरजीत भगत को कड़ी टक्कर मिलेगी। लेकिन अब ऐसा लगता है कि हर बार कि तरह एक बार फिर भाजपा सीतापुर में सीट गवांने की कवायद में लग चुकी है। आज़ादी के बाद से अब तक सीतापुर सीट पर भाजपा चुनाव नहीं जीत सकी है। लगातार यहां पर भाजपा को चुनाव के दौरान भीतरघात का सामना करना पड़ता रहा है। कई बार भाजपा के प्रत्याशी घोषित होने के बावजुद भाजपा के ही अन्य लोग निर्दलीय चुनाव लड़ते रहे हैं, जिससे भाजपा का वोट बंटने के कारण एवं भीतरघात के कारण भाजपा को यहां से लगातार पराजय का सामना करना पड़ा है। इस बार सेना की नौकरी छोड़ राजनीति में प्रवेश किये युवा चेहरा रामकुमार टोप्पो के मैदान में उतरने से यह चुनाव थोड़ा रोचक मोड़ में जाता दिख रहा था। लेकिन अब भाजपा के ही पदाधिकारी एवं एसटी मोर्चा से जुड़े बिहारी लाल तिर्की ने अपने ही पार्टी के प्रत्याशी के विरूद्ध बिलासपुर में हाईकोर्ट में उनकी जाति संबंधी याचिका लगाकर भाजपा प्रत्याशी एवं भाजपा के लिये सिरदर्द बढ़ा दी है। न सिर्फ भाजपा के पदाधिकारी बिहारी लाल तिर्की ने बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई है, बल्कि भाजपा एसटी मोर्चा के ऑफिसियल ईमेल के जरिये इसकी जानकारी मिडिया को भेजी है। इससे स्पष्ट है कि भाजपा के अंदर अंदरूनी लड़ाई इस बार भी सीतापुर सीट को गवां कर ही रूकेगी।

इस पुरे मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ता भाजपा नेता बिहारी लाल तिर्की व अन्य लोगों ने अधिवक्ता दिलमनी रति मिंज के माध्यम से याचिका दायर की है, जिसमे जाति संबंधीत गंभीर मामले को संज्ञान में लाया गया है। और भूमिहिनों के लिये सरकार द्वारा जाति बनाने की गाईडलाईन पर ही इस याचिका के साथ सवाल खड़ा किया है। खैर यह न्यायालय का मामला है और इसका फैसला वहीं से होगा, इस पर ज्यादा सवाल जवाब करना उचित प्रतीत नहीं होता। याचिकाकर्ता भाजपा नेता बिहारी लाल तिर्की कुन्नी मंडल के मंडल अध्यक्ष भी हैं साथ ही पार्टी के एसटी मोर्चा में भी पदाधिकारी हैं।

किन्तु रामकुमार टोप्पों के मामले में एक और दिलचस्प पहुल है जिसे शायद भाजपा नेता बिहारी लाल तिर्की नहीं जानते। भाजपा ने राम कुमार टोप्पो का टिकट घोषणा करने से पहले कुछ भाजपा नेताओं द्वारा जाति को लेकर प्रकट की गई चिंता के जिसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह एवं संगठन से जुड़े कई बड़े नेताओं ने विशेषज्ञों से सलाह मशवरा किया, कई पूर्व आईएएस से चर्चा हुई एवं विधि विशेषज्ञ जो जाति संबंधित मामलों में लम्बी लड़ाई न्यायालय में लड़ चुके हैं, सबके अभिमत के बाद ही राम कुमार टोप्पो के टिकट की घोषणा हुई। लेकिन इसके बाद भाजपा के लोग ही जब सवाल खड़ा करने लगें तो यह स्पष्ट है कि राजनीति कहीं और से किसी और से संचालित की जा रही है।

हालांकि जाति प्रमाण पत्र बनाने के नियम में भूमिहीनों के मामले में ग्राम सभा के प्रस्ताव को स्वीकार किया जाता रहा है। सरकार के नियम में भी यह कंडिका जुड़ा हुआ है। ऐसे में उम्मीद्वार के विरूद्ध न्यायालय में याचिका लगाना सोची समझी राजनीतिक का हिस्सा तो नहीं।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *