दृष्टिहीनता के बाद भी विनय व श्वेता ने किसान पिता का नाम किया रोशन


विनय की पत्नी भी दृष्टिहीन दोनों हैं बैंक में अधिकारी, बेटी कन्या महाविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर
सरगुजा के लुंड्रा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम जोरी निवासी आंखों से दिव्यांग भाई-बहन हैं लोगों के लिए मिशाल
अंबिकापुर। किसान परिवार में जन्मे विनय और श्वेता मिशाल हैं, उन लोगों के लिए जो दोनों आंखों की सलामती के बाद भी कुछ हासिल नहीं कर पाते। जन्म से दोनों आंखों में रोशनी नहीं होने के बाद भी इन्होंने हौसले की बदौलत ऐसा मुकाम हासिल किया, जिस पर किसान पिता को नाज है। खुद की जिंदगी में अंधियारा होने के बाद भी इनका जज्बा ऐसा है कि एक पल के लिए कोई नहीं कह सकता कि ये आंखों से दिव्यांग हैं।
सरगुजा जिले के लुंड्रा ब्लॉक निवासी किसान विजय कुमार के पुत्र विनय कुमार और पुत्री श्वेता कुमारी जन्म से ही आखों से देख नहीं सकते। पुत्र-पुत्री की आंखें न हो तो एक माता-पिता पर क्या गुजरती होगी, यह तो वे ही जान सकते हैं, लेकिन किसान ने दोनों बच्चों का हौसला कम नहीं होने दिया। दोनों को पढ़ा-लिखाकर इस काबिल बनाया कि दिव्यांगता को आड़े लेकर किसी के सहारे का मोहताज नहीं

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *