चंद्रयान-3 की सफलता अंतरिक्ष पर हमारे प्रभुत्व का पहला कदम : अंचल सिन्हा

अम्बिकापुर। स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी विद्यालय केशवपुर में जिला शिक्षा अधिकारी अशोक सिन्हा के मार्गदर्शन में पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया गया।

यह वह दिन है जब भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर उतरने वाला पहला देश और चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने वाला चौथा देश बना था। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का नेतृत्व पहली बार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा किया जा रहा है और यह दुनिया भर के अंतरिक्ष समुदाय में इसका जश्न मनाया जा रहा है।

देश के अंतरिक्ष मिशनों की शानदार उपलब्धियों को उजागर करने के लिए 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में घोषित किया था।

इसकी घोषणा चंद्रयान-3 मिशन की उल्लेखनीय सफलता का सम्मान करने के उद्देश्य से भी की गई थी, जिसने ‘शिव शक्ति’ बिंदु पर विक्रम लैंडर की सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग की और 23 अगस्त, 2023 को चंद्र सतह पर प्रज्ञान रोवर को तैनात किया।

अंतरिक्ष के क्षेत्र में यह भारत के वैज्ञानिकों की बड़ी सफलताओं में से एक है। चंद्रयान की पूरी कहानी संस्था के वरिष्ठ व्याख्याता अंचल सिन्हा ने मुख्या वक्ता के रूप में बच्चों को बताई उन्होंने बताया कि कैसे और कब चंद्रयान मिशन के रूप में भारत ने अपना प्रभुत्व अंतरिक्ष में स्थापित किया।

कार्यक्रम की संयोजक और वक्ता संस्कृति श्रीवास्तव ने भारत की अंतरिक्ष में अन्य उपलब्धि आदित्य एल वन और गगन यान पर सारगर्भित जानकारी बच्चों को प्रदान की। संस्था की व्याख्याता आयुषी गुप्ता ने इसरो के स्थापना और कार्यप्रणाली पर बच्चो में समझ बनायीं।

भौतिकी विभाग के व्याख्याता रोहित नायर ने अपने उद्बोधन में रॉकेट लांचिंग के विज्ञान को विस्तारपूर्वक बच्चो को बताया। उद्घाटन और व्याख्यान सत्र के बाद सभी विद्यार्थियों को प्रोजेक्टर के माध्यम से इसरो द्वारा उपलब्ध लिंक की सहायता से फिल्मो का प्रदर्शन किया गया।

फिल्म प्रदर्शन के साथ-साथ संस्कृति श्रीवास्तव द्वारा बच्चों को चंद्रयान से सम्बंधित क्विज की जोरदार तैयारी करायी गयी। कार्यक्रम के तीसरे और अंतिम सत्र में प्राथमिक, माध्यमिक और हाई स्कूल के बच्चों के बीच चंद्रयान 3 और भारत के अंतरिक्ष की उपलब्धि पर क्विज़ कराया गया।

आयोजित क्विज में सभी बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। ज्ञात हो कि सेजेस केशवपुर में हिंदी और इंग्लिश दोनों माध्यम से पढाई होती है, अतः विभिन्न प्रभाग के पृथक-पृथक कुल अठारह बच्चों को विजेता घोषित किया गया।

कार्यक्रम के सफल संचालन में मालती शाक्य, नीतू यादव, प्रभारी प्राचार्य अनिल त्रिपाठी एवं अन्य सभी कर्मचारियों का योगदान सराहनीय रहा।

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