दस्तावेज जांच व सत्यापन किए बगैर करोड़ों रुपये का भुगतान अधिकारी व ठेकेदार के विरूद्ध अपराध दर्ज करने कोतवाली प्रभारी को अधिवक्ता ने दिया आवेदन


अंबिकापुर। कार्यपालन अभियंता सरगुजा संभाग एवं कार्यालय कार्यपालन अभियंता (शहर) संभाग अंबिकापुर से मिलीभगत कर मेसर्स आरके एसोसिएट्स, मेट्रिक सर्विस एवं गुरुकृपा ग्रुप के द्वारा फर्जी बिल लगा कर करोड़ों रुपये की हेराफेरी करने के संबंध में प्रथम सूचना पत्र दर्ज करने कोतवाली प्रभारी को अधिवक्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट डीके सोनी द्वारा आवेदन प्रस्तुत किया गया है। बताया गया है कि मेसर्स आरके एसोसिएट्स, मैट्रिक सर्विस एवं गुरुकृपा ग्रुप के द्वारा वेतन से ईपीएफ बोनस एवं ईएसआईसी की भारी-भरकम राशि का गोलमाल फर्जी बिल लगाकर किया गया।
जानकारी के मुताबिक मेसर्स आरके एसोसिएट्स, मैट्रिक्स सर्विस एवं गुरुकृपा ग्रुप के द्वारा वेतन से ईपीएफ बोनस एवं ईएसआईसी की कटौती प्रति माह की जाती है, लेकिन उक्त कटौती का लाभ वाह्य स्त्रोत से कार्यरत कर्मचारियों को प्राप्त नहीं होने के संबंध में शिकायत का परीक्षण कर आवश्यक कार्रवाई हेतु अधिवक्ता डीके सोनी ने लिखा था। कार्यपालन निदेशक (अ.क्षे.) छ.स्टे.पा.डि.कं.लि. अंबिकापुर में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर मेसर्स आरके एसोसिएट्स अंबिकापुर को चार कार्यादेश जारी किए गए। प्रथम दोनों एवं चतुर्थ आवेदन आदेशों में प्रभारी अधिकारी (ओआईसी) कार्यपालन निदेशक के कार्यालय में पदस्थ कार्यपालन यंत्री एवं अन्य अधिकारी को नियुक्त किया गया था, जिनके द्वारा आदेश के शर्तों का पालन करवाने एवं देयक पारित करने संबंधित संपूर्ण कार्रवाई किया जाना था, जबकि तृतीय आदेश दिनांक 16 जनवरी 2021 में प्रभारी अधिकारी ओआईसी, संबंधित कार्यपालन यंत्री अथवा उसके कार्यालय में पदस्थ अन्य अधिकारी को नियुक्त किया गया था। इसी क्रम मेसर्स मेट्रिक सर्विस को कार्यपालन निदेशक के कार्यालय के आदेश दिनांक 11 अगस्त 2020 द्वारा 150 वाह्य स्रोत कंप्यूटर ऑपरेटर नियोजित करने हेतु आदेशित किया गया था, मेसर्स गुरुकृपा अंबिकापुर को कोई भी कार्यादेश जारी नहीं किया गया था। माह अगस्त 2020 से फरवरी 2022 तक के 14 भृत्यों के देयक एवं भृत्यों की उपस्थिति पंजी की तुलनात्मक आंकलन करने पर पाया गया ठेकेदार मेसर्स आरके एसोसिएट्स अंबिकापुर को चार लाख 81 हजार 163 रुपये का अधिक भुगतान किया गया है। भुगतान से संबंधित नियमावली जारी की गई है, जिसके आधार पर ठेकेदार को आरए बिल पारित करने से पहले जांच करना अनिवार्य था। ठेकेदार द्वारा ईपीएफ, ईएसआईसी का भुगतान किया है कि नहीं, इसके भुगतान का चालान प्रति भी संलग्न किया जाना है। साथ ही कर्मचारियों को पे-रोल की प्रति जो कि कार्यालय प्रभारी द्वारा सत्यापित हो, सलंग्न किया जाना है, तत्पश्चात ही ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत आरए बिल को सत्यापन एवं परितीकरण की अग्रिम कार्रवाई की जानी है एवं प्रत्येक कर्मचारी को निर्धारित बेसिक वेतन का 13.15 प्रतिशत ईपीएफ एवं 3.5 प्रतिशत ईएसआईसी दोनों की कुल राशि को संकलित कर ठेकेदार को कर्मचारी ईपीएफ एवं ईएसआईसी खाते में जमा करना अनिवार्य है। भुगतान संबंधी पूर्ण दस्तावेजों में प्रभारी अधिकारी द्वारा प्रमाणीकरण तत्पश्चात ही ठेकेदार की देयक पारित किया जाना है। इसके विपरीत ठेकेदार द्वारा कर्मचारियों के खाते में ईपीएफ एवं ईएसआईसी की राशि जमा की जा रही है अथवा नहीं, यह सुनिश्चित किए बगैर ही ठेकेदार का देयक सत्यापित एवं पारित कर दिया गया। पारित देयकों के अवलोकन करने पर उक्त नियम एवं शर्तों को ध्यान में ना रखते हुए ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत 14 नग भृत्य हेतु प्रस्तुत देयक माह जुलाई 2020 से फरवरी 2021 के देयक में ईपीएफ का चालान फर्जी तरीके से परिवर्तित किया गया है, उक्त अवधि के देयक के साथ ईपीएफ के चालान को बगैर सत्यापित किए देयकों को पारित किया गया है। फलस्वरूप ठेकेदार मेसर्स आरके एसोसिएट को एक लाख 54 हजार 452 का अधिक भुगतान किया गया। प्रकरण में ठेकेदार को लगभग छह लाख 35 हजार 615 रुपये का अधिक भुगतान किया जाना पाया गया। माह अगस्त 2020 से फरवरी 2022 तक संबंधित फर्म द्वारा देयक के साथ प्रस्तुत 10 नंबर भृत्यों की उपस्थिति पंजी के आधार पर देयक पारित किए गए हैं। संबंधित संभागों से, जहां उपरोक्त आदेश के अंतर्गत भृत्यों की पदस्थापना की गई थी, मासिक उपस्थिति पंजी प्राप्त कर मिलान करने पर पाया गया कि पारित किए गए देयकों एवं संभाग से प्राप्त उपस्थिति पंजी में अंतर है। उक्त अवधि में 10 भृत्यों के देयक एवं उपस्थिति पंजी का तुलनात्मक आंकलन करने पर आरके एसोसिएट को 13 लाख 07 हजार 875 रुपये का अधिक भुगतान किया गया। देयकों के साथ संलग्न ईपीएफ एवं ईएसआईसी के चालान को बिना सत्यापित किए, ठेकेदार द्वारा कर्मचारियों के खाते में ईपीएफ एवं ईएसआईसी की राशि जमा की जा रही है अथवा नहीं यह सुनिश्चित किए बगैर ही ठेकेदार का देयक नियम एवं शर्तों को ध्यान में ना रखते हुए पारित कर दिया गया। ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत 10 नग प्रस्तुत देयक माह दिसंबर 2020 से नवंबर 2021 के देयक में ईपीएफ का चालान फर्जी तरीके से परिवर्तित कर संलग्न किया गया है। उक्त अवधि के देयक के साथ संलग्न ईपीएफ के चालान को बगैर स्थापित किए देयकों को पारित किया गया है। फलस्वरूप ठेकेदार मेसर्स आरके एसोसिएट्स को एक लाख 42 हजार 598 का अधिक भुगतान किया गया। इस प्रकार प्रकरण में ठेकेदार को लगभग 14 लाख 50 हजार 473 रुपये का अधिक भुगतान किया जाना पाया गया। माह अगस्त 2020 से माह जुलाई 2022 तक के 150 कंप्यूटर ऑपरेटर के देयक एवं कंप्यूटर ऑपरेटरों की उपस्थिति पंजी के अनुसार तुलनात्मक आंकलन करने पर पाया गया कि ठेकेदार मैट्रिक्स सर्विसेज अंबिकापुर को एक करोड़ 32 लाख 52 हजार 783 रुपये का अधिक भुगतान किया गया है। पारित देयकों का अवलोकन करने पर उक्त नियम एवं शर्तों को ध्यान में ना रखते हुए ठेकेदार द्वारा कंप्यूटर ऑपरेटर हेतु प्रस्तुत देयक माह अगस्त 2020 से फरवरी 2021 के देयक में ईपीएफ चालान फर्जी तरीके से परिवर्तित कर संलग्न किया गया व उक्त अवधि के देयक के साथ संलग्न ईपीएफ के चालान को बगैर सत्यापित किए पारित करके ठेकेदार मैसर्स मैट्रिक्स सर्विसेज को 29 लाख 48 हजार 36 रुपये का अधिक भुगतान किया गया। इस प्रकार उक्त प्रकरण में शासन के विद्युत कंपनी को लगभग एक करोड़ 62 लाख 829 रुपये की क्षति हुई। तीनों प्रकरणों में वास्तविक उपस्थिति पत्रक एवं ईपीएफ, ईएसआईसी के दस्तावेजों के बगैर सत्यापन के देयक पारित करने से फर्म को लगभग एक करोड़ 82 लाख 86 हजार 907 रुपये का अधिक भुगतान होना दृष्टिगत होता है, जो कि कार्यपालन निदेशक के जांच प्रतिवेदन से प्रमाणित है। इसका भुगतान करने वाले अधिकारी एवं ठेकेदार के विरुद्ध धारा 409, 420, 467, 468, 120बी भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध करने का आग्रह किया गया है।

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