पहचान साहित्य समिति ने की ‘बारिश’ विषय पर गोष्ठी

अंबिकापुर। पहचान साहित्य समिति ने बीते रविवार को भावना सिंह की अध्यक्षता में बारिश विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया। मंच संचालन मनसा शुक्ला ने किया।

सर्वप्रथम भावना सिंह ने अपने जीवन और अपने विद्यालय से संबंधित मार्मिक संस्मरण सुनाया, किस तरह परिवार में सभी का एक-दूसरे से जुड़ाव होता है, इसकी अभिव्यक्ति की। मालती शाक्य ने बारिश का मौसम आया, चेहरे पर मुस्कान है लाया, माधुरी दुबे ने घिर-घिर आई कारी बदरिया हो रामा, अब तो सजन घर आ जा, श्रुति मिश्रा ने घनघोर घटा क्या कहती है, दामिनी समेटे रहती है, गंभीर मानुषी मां के समान सहती, पदमा मिश्रा ने ऐ बादल कभी मुस्कुराते, कभी गंभीर होते, पूनम दूबे ने धरती माता है अपनी, हम सब हैं संतान, पर्यावरण बचाइए, मिलकर हो सम्मान।

गीता दुबे ने ऐ बारिश की झड़ियां, ऐ खुश्बू की लड़ियां मन में तुम बसा लो, फूलों की दुल्हन सजकर खड़ी है, नीतू सिंह ने बारिश में घटित एक संस्मरण, डॉ. पुष्पा सिंह ने टपकता होगा छप्पर से पानी, झोपड़ी के सामान और बच्चों को समेटने का अथक प्रयास करते हुए, उसकी आंखों की बारिश से भीग गया होगा आंचल, सविता आइच ने बिजली चमकत, बादल गरजत, मेघ बरसत है, मोरनी बन संवर नाचत है की प्रस्तुती दी।

प्रिया गुप्ता ने बताया कि किस प्रकार श्रीकृष्ण जन्म से ही संघर्ष करते रहे, अगली कड़ी में मनसा शुक्ला ने जल धर जब छाए, खिल मन बाग जाए, रिमझिम बूंदे गिरे छटा को निहारिए की प्रस्तुति के साथ गोष्ठी का समापन हुआ। इस दौरान सभी ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पौधा लगाने और उसे सुरक्षित रखने की शपथ ली।

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