रैसमवेयर हमले : दुनियाभर में पेशेवर वसूली का धंधा बने रैसमवेयर हमले, महाशक्तियां भी चिंतित

रैसमवेयर हमले पूरी दुनिया के लिए गंभीर चिंता उत्पन्न करने वाला जबरन वसूली उद्योग बनता जा रहा है। इन अपराधों की कड़ियां जोड़ने पर पता चलता है कि यह पेशेवर उद्योग है, जो संगठित अपराध के नियमों से कोसों दूर है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्पति जो बाइडन ने भी रुसी राष्ट्पति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर सम्मेलन में साइबर अपराधियों के प्रत्यपर्ण का मुद्दा उठाया जी – 7 देशों के शिखर सम्मेलन में भी रैसमवेयर समूहों से मिलकर निपटने का संकल्प जताया गया था।

बाइडन के साथ बैठक में पुतिन ने इस पर सैद्धातिक सहमति तो दे दी, पर उन्होंने दोतरफा प्रत्यपरण संधि पर जोर दिया। हालांकि सवाल यह है कि अगर संधि हई तो प्रत्यर्पित आखिर किसे और कैसे किया जाएगा। रैसमवेयर कई देशों तक फैला अपराध है और इसमें कोई एक मुख्य अपराधी नहीं है। साथ ही इसमें अलग – अलग पुलिस एजेंसियों शामिल हैं। रैसमवेयर हमलों में साइबर अपराधियों के विभिन्न नेटवर्क शामिल रहते हैं। वह एक – दूसरे से अनभिज्ञ रहते हैं। इससे गिरफ्तारी का खतरा कम रहता है। इस साल मई में ही करीब 128 रैसमवेयर हमले हुए। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका और जी – 7 इन अपराधों पर कैसे लगाम लगा पाएंगे।

पीड़ित संगठन को हमले का पहला संकेत देकर अहम डाटा तक उसकी पहुंच बंद कर दी जाती है। रैसमवेयर गिरोह डार्क वेब डाटा चोरी उजागर कर उसे शर्मिंदा करता है। संवेदनशील आंकड़ो को सार्वजनिक करने की धमकी भी दी जाती है, ताकि पीड़ित ज्यादा फिरौती देने के लिए बाध्य हो जाए। रैसमवेयर अपराधी क्रिप्टोकरेंसी के रूप में फिरौती मांगते हैं, जिसका पता लगाना मुश्किल होता हैं

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