दिल्ली दंगा मामले में यूएपीए क़े तहत बंद नताशा, देवांगना और आसिफ को जमानत – विरोध प्रदर्शन आतंकी कृत्य नहीं : हाई कोर्ट

हाई कोर्ट ने दिल्ली दंगा मामले में तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है असहमति को दबाने की चिंता में सरकार की नजर में विरोध करने क़े सांविधानिक अधिकार और आतंकी गतिविधि क़े बीच का फर्क धुंधला होता जा रहा है। अगर यह मानसिकता ऐसे ही बढ़ती रही, तो यह लोकतंत्र क़े लिए काला दिन होगा और खतरनाक होगा।

हाई कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम ( यूएपीए ) क़े तहत गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्राओं नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और जमिया मिल्लिया इस्लामिया क़े छात्र आसिफ इक़बाल तन्हा को जमानत दे दी। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने कहा, दिल्ली दंगों की साज़िश क़े मामले में आरोपी विद्यार्थियों क़े खिलाफ यूएपीए क़े तहत अपराधों में कोई पहला दृष्टया मामला नहीं पाया गया है।

कोर्ट ने कहा, सीएए प्रदर्शन प्रतिबंधित नहीं था। प्रदर्शनों पर क़ानून प्रवर्तन एजेंसीयों द्वारा निगरानी रखी जा रही थी। आरोपियों की अगुवाई में प्रदर्शन कर रहे छात्र संगठन कोई प्रतिबंधित संगठन नहीं है।
किसी प्रदर्शन से नहीं हिल सकती देश की बुनियाद

जजों ने कहा, हमारा मानना है कि हमारे राष्ट् की नींव मजबूत आधार पर है और कॉलेज क़े छात्रों या शहर क़े बीच बनी यूनिवर्सिटी की समन्वय कमेटी क़े सदस्यों किसी द्वारा किए गए किसी भी प्रदर्शन, चाहे वह कितना भी दोषपूर्ण क्यों न हो, उससे हिलने वाली नहीं है।

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