केंद्र सरकार : कोरोना से मौत पर मुआवजा देना संभव नहीं, सरकारें पहले से ही दबाव में

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि कोविड – 19 से मृत्यु होने पर परिवार को चार – चार लाख रूपये मुआवजा देना संभव नहीं है। सरकार के संसाधनों की भी एक सीमा होती है। हर मृतक के परिजनों को चार लाख रूपये की अनुग्रह राशि देना राज्य सरकारों की वित्तीय सामर्थ्य से परे है। कर राजस्व में कमी और महामारी से स्वास्थ्य खर्च में वृद्धि के कारण केंद्र व राज्य सरकारें पहले से वित्तीय दबाव में हैं। मामले की सुनवाई सोमवार को होगी।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में गृह मंत्रालय ने कहा कि कोरोना महामारी, भूकंप या बाढ़ की तरह एक बार की आपदा नहीं हैं, जिसमें पीड़ितों को सिर्फ वित्तीय मुआवजा दिया जाता है। यह ऐसी महामारी है, जिसमें वायरस का हमला लहर – दर – लहर जारी रहने की आशंका है। ऐसे में व्यापक दृष्टिकोण ज़रूरी है। अगर हर मृतक के परिवार को चार लाख रूपये दिए गए तो राज्य आपदा राहत कोष की पूरी राशि का उपयोग ऐसे भुगतानों के लिए करना पड़ेगा। केंद्र ने यह भी कहा, अगर ऐसे मुआवजे दिए गए तो 2021 – 22 के लिए राहत कोष के लिए आवंटित 22,184 करोड़ रूपये इसी मद में खर्च हो जाएँगे।

किसी एक बीमारी के लिए मुआवजा देना, जबकि अन्य बीमारियों को नजरअंदाज करना उचित नहीं होगा। अन्य बीमारियों में मृत्यु दर इससे कहीं अधिक है। इससे पीड़ित लोगों के बीच अनुचित व अविवेकी भेदभाव पैदा होगा। केंद्र ने यह हलफनामा वकील गौरव बंसल और रीपक कंसल द्वारा दायर उन याचिकाओं पर दिया है, जिनमें कोविड – 19 महामारी से मारे गए लोगों के परिवार के सदस्यों को चार लाख रूपये का अनुग्रह मुआवजा देने की मांग की गई है।

केंद्र सरकार ने कहा, मृत्यु प्रमाणपत्र से मौत का कारण कोविड – 19 बताने में किसी भी चूक के लिए जिम्मेदार पाए जाने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाई होगी, चाहे वह डॉक्टर ही क्यों न हों। हलफनामे में गृह मंत्रालय ने कहा, अनिवार्य है कि कोरोना से होने वाली किसी भी मौत को कोविड मौत के रूप में प्रमाणित किया जाना चाहिए। सरकार ने कहा, कोविड – 19 पीड़ितों के लिए अनुग्रह मुआवजे पर सम्पूर्ण एसडीआरएफ का उपभोग किया गया तो राज्यों के पास विभिन्न आवश्यक चिकित्सा और चक्रवात, बाढ़, आदि अन्य आपदाओं से निपटने के लिए पर्याप्त धन नहीं बचेगा।

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