टीएस सिंहदेव समर्थकों एवं भाजपा प्रत्याशी राजेश अग्रवाल में क्या फर्क है? वहीं राहुल गांधी को पप्पू साबित करने की जिद् क्यों?

विगत दिनों अम्बिकापुर से भाजपा प्रत्याशी राजेश अग्रवाल का एक विडियो सोशल मिडिया में तेजी से वायरल हुआ। यह विडियो भी भाजपा के ही कुछ नेताओं ने मिडिया को उपलब्ध कराया। खैर कहां से वायरल हुआ इसकी बात करने ज्यादा इस विषय की बात की जानी चाहिए कि आखिर का कांग्रेस प्रत्याशी टीएस सिंहदेव के समर्थकों एवं भाजपा प्रत्याशी राजेश अग्रवाल में कितना फर्क है। एक विडियो सोशल मिडिया में तेजी से वायरल होता है और उस विडियो को टीएस सिंहदेव के समर्थक अपने सोशल मिडिया प्लेटफार्म पर तेजी से डालने लग जाते हैं और सवाल उठाते हैं कि संस्कारी पार्टी, सुचिता की बात करने वाली पार्टी के प्रत्याशी का एक महिला के साथ व्यवहार देखिये। निश्चित ही जो विडियो वायरल है, उसमें भाजपा प्रत्याशी का बात-व्यवहार सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है। इसके बावजुद क्या उस विडियो को सोशल मिडिया प्लेटफार्म पर गाली-गलौज को बिना काटे शेयर किया जा सकता है। यदि चुनाव आयोग कंट्रोल रूम बनाकर सोशल मिडिया पर हर तरह की निगरानी कर रहा है तो फिर वह विडियो जो कांग्रेस प्रत्याशी टीएस सिंहदेव के समर्थकों द्वारा लगातार वायरल किया जा रहा है, क्या वह स्वीकार्य है। क्या इस विडियो के माध्यम से उसमें जो गाली का प्रयोग किया जा रहा है, उसे सार्वजनिक रूप से प्रसारित करना उस महिला के साथ बार-बार उस तरह के भाषा का प्रयोग करना नहीं है। क्या कांग्रेस प्रत्याशी टीएस सिंहदेव जिन्हें बेहद ही शालीन व सभ्य माना जाता है, जो चुनाव के दौरान भी जीत के लिये गलत भाषा या ऐसे चिजों का उपयोग, प्रयोग जल्दी नहीं करते जिससे किसी की भावना को ठेस पहुंचे, किसी के साथ गाली-गलौज, मारपीट हो उस तरह के चिजों का प्रयोग नहीं करते। ऐसे प्रत्याशी के समर्थक इस तरह के चिजों का सोशल मिडिया पर जब प्रचार करने लगें तो फिर भाजपा प्रत्याशी राजेश अग्रवाल एवं कांग्रेस प्रत्याशी टीएस सिंहदेव के समर्थकों में क्या अंतर रह जायेगा?

एक और विडियो है जिसे लेकर कल से सरगुजा के कांग्रेस नेताओं ने हो-हल्ला मचा रखा है। बस्तर में राहुल गांधी के कार्यक्रम का एक विडियो है जिसमें राहुल गांधी सबका नाम ले रहे हैं और उस दौरान उन्होंने भूपेश बघेल को केवल सीएम कह कर सम्बोधित किया है और इसके बाद टीएस सिंहदेव का नाम लिया। अब उस विडियो को सोशल मिडिया एवं अन्य माध्यमों में प्रचारित किया जा रहा है कि राहुल गांधी ने टीएस सिंहदेव को सीएम कह कर सम्बोधित किया। अब आप सोचेंगे कि आखिरकार इसमें गलत क्या है? गलत कुछ भी नहीं, ये उसी तरह का मामला है जैसे आलू से सोना बनता है। कल तो जो विडियो का काट-पिट कर भाजपा सोशल मिडिया द्वारा राहुल गांधी को पप्पू साबित किया जाता था। वहीं अब सरगुजा कांग्रेस अपने ही नेता राहुल गांधी को पप्पू साबित करने कोई कोरकसर नहीं छोड़ रही है। पिछले पांच वर्षों में छत्तीसगढ़ और खासकर इस सरगुजा ने ढाई-ढाई साल के सीएम की लड़ाई में काफी कुछ खोया है। यह वहीं सरगुजा है जहां टीएस बाबा मजबुर होकर कई बार मिडिया तक में कह दिया करते थे कि मेरी सुनवाई नहीं होती, मेरा कहीं नहीं चल रहा है। आखिरकार यह ढाई-ढाई साल के सीएम की लड़ाई की परिणीती ही तो थी। आज जब चुनाव है, चुनाव में कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को जनता के बीच जाकर उन्हें अपने पक्ष में तैयार करना चाहिए, ऐसे समय में किसी विडियो को सीएम बोलना बता कर क्या साबित करना चाहते हैं, भगवान जाने। शायद ये कार्यकर्ता और समर्थक चुनाव में भी सीएम वाली लड़ाई को खिंच कर शायद सीएम के नाम पर ही वोट पाना चाहते हैं? जनता देख चुकी है पिछले चुनाव में जब इसी नाम पर वोट दिया था तो क्या हश्र हुआ है, ऐसे में फिर एक बार इस तरह की रट लगाने से ऐन चुनाव के समय सिंहदेव समर्थकों को बचना चाहिए, बाकि तो होगा वहीं जो थिंकटैंकर्स चाहेंगे।

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