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चैनपुर पंचायत की राजनीतिक रसुख ऐसी की कार्यवाही करने में जनपद सीईओ के फुलते हैं हाथ-पैर, चैनपुर पंचायत में सरपंच एवं रोजगार सहायक के रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने बता दिया गया पीवीटीजी
कुसमी/जनपद पंचायत कुसमी अंतर्गत ग्राम पंचायत चैनपुर में अभी 15वें वित्त योजना में बिना कार्य कराये राशि निकाल कर उड़ा देने का मामला थमा भी नहीं था और जांच रिपोर्ट के बाद वहां के ग्रामिणों को कार्यवाही का अभी इंतजार ही था कि ग्रामीणों के द्वारा पुनः दूसरी शिकायत बकायदे प्रमाणित दस्तावेज के साथ कर दी गई है। जिससे सरपंच एवं सचिव की बोलती अब बंद है। सरपंच व सचिव एक ऐसे मामले में फंसने वाले हैं जिस पर जवाब दे पाना शायद जनपद सीईओ के लिये भी मुश्किल होगा। ऐसे में कब तक राजनैतिक दबाव में सरपंच सचिव बचेंगे या जनपद सीईओ कार्यवाही नहीं करेंगे?
दरअसल यह पुरा मामला है प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान का जिसे हम पीएम जनमन योजना के नाम से भी जानते हैं। दरअसल इस योजना के तहत् ऐसे हितग्राहियों को लाभांवित करना था जो कमजोर जनजातीय समूहों से हैं। लेकिन चैनपुर ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव ने पीएमजनमन योजना में इस बार खेल कर दिया। सरपंच एवं ग्राम के रोजगार सहायक ने अपने रिश्तेदारों का नाम पीएमजनमन योजना के तहत् प्रस्तावित आवास निर्माण हेतु दे दिया। इतना ही नहीं चार व्यक्तियों के खाते में 40-40 हजार रूपये आ भी गये। जो दस्तावेज हमें मिले हैं उनमें 8 ऐसे लोगों के बारे में जानकारी मिली है जो राजवाड़े जाति एवं कंवर जनजाति से तालुल्क रखते हैं। लेकिन कमजोर जनजातीय समूहों के लिये जो योजना आयी, उसमें इन्हें लाभांवित किया गया। इसमें सरपंच व रोजगार सहायक के नजदिकी रिश्तेदारों का नाम शामिल है।
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लिस्ट में कौन-कौन किस जाति से है, जिसे पीवीटीजी बताया गया
दस्तावेज के सिरियल क्रमांक में 56 नम्बर पर सुशीला/कलेश्वर का नाम है जो राजवाड़े जाति से हैं तो वहीं 57 नम्बर पर अनिल कोरवा/लेदवा का उल्लेख्य है जो कंवर जनजाति से तालुक्क रखते हैं। वहीं 58वें नम्बर पर चमेली/बड़े का नाम सम्मिलित किया गया है जो कंवर जनजाति से हैं और सरपंच की रिश्तेदार हैं। 59वें नम्बर पर राजकुमार/असरू का नाम है जो राजवाड़े/रजवार जाति से तालुक्क रखते हैं, इनके खाते में 40 हजार रूपये भी आ गया है। वहीं इनका नाम पीएम आवास योजना में भी सम्मिलित हैं और नाम का चयन हो चुका है। वहीं 60वंे नम्बर पर अंजू/बिरहोल का नाम है जो कंवर जनजति से हैं और सरपंच की नजदिकी रिश्तेदार हैं इनके भी खाते में पीएमजनमन योजना के तहत् आवास निर्माण हेतु 40 हजार रूपये आ चुका है। वहीं 61वें नम्बर पर टाटा/फिरो का नाम है जो कंवर जनजाति से हैं और इनके भी खाते में पीएमजनमन में 40 हजार रूपये आ चुका है। वहीं 62वें नम्बर पर बोली बाई/सीबल राम का नाम है जो कंवर जनजाति से हैं तथा इनका भी नाम पीएमजनमन योजना हेतु चयनित है। वहीं 63वें नम्बर पर महंत राम/बड़े का नाम है जो कंवर जनजाति से हैं और सरपंच के भतीजे भी हैं, पीएमजनमन योजना से 40 हजार रूपये इनके खाते में भी आ चुका है। इनमें से अधिकतर का नाम पीएम आवास हेतु चयनित सूची में भी है। जहां नाम के आगे राजवाड़े और पैंकरा जोड़ा गया है, जबकि पीएमजनमन योजना में सरनेम हटा कर अपने रिश्तेदारों को लाभांवित करने सरपंच व रोजगार सहायक ने खेल कर दिया है। हालांकि इस मामले में सचिव ने क्यों कोई एक्शन नहीं लिया अथवा ऐसे चिजों का विरोध नहीं किया समझ से परे है।
क्या अब कार्यवाही करेंगे, जनपद सीईओ
अब जब कि एक और मामला चैनपुर ग्राम पंचायत का सामने आ चुका है, जिसका खुलासा स्वयं ग्रामीणों ने किया है और जनपद सीईओ के समक्ष शिकायत भी की है। ऐसे में अब सीईओ क्या कार्यवाही करेंगे यह अब भी सवाल के घेरे में है। क्यों कि पुराने मामले में भ्रष्टाचार प्रमाणिक होने के बाद एक महिने से अधिक समय होने को है। जनपद सीईओ ने कार्यवाही नहीं की है, बताया जा रहा है कि उन पर सत्ता पक्ष का राजनीतिक दबाव है। यहीं कारण है कि वे चुनाव ड्यूटी का बहाना बता कर पुरे मामले का टाल रहे हैं।
क्या इतना बड़ा राजनीतिक रसुख रखता है चैनपुर पंचायत
क्या सामरी विधानसभा क्षेत्र एवं बलरामपुर जिले में चैनपुर पंचायत के प्रतिनिधि इतना राजनीतिक रसुख रखते हैं कि कुछ भी करने पर अमादा हैं। सारे नियम कानून को धत्ता बता दिया है। इसके बावजुद कार्यवाही को लेकर जनपद सीईओ के हाथ पैर फुलने लगे हैं। आखिरकार प्रधानमंत्री की एक ऐसी योजना जो विशेष रूप से कमजोर जनजातिय समूहों (पीवीटीजी) के लिये थी। उसमें भी दूसरे लोगों को लाभांवित कर इस पंचायत ने नया किर्तिमान स्थापित किया है।
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आखिर चयन कैसे हुआ समझ से परे…..
बताया जा रहा है कि केन्द्र सरकार की बहुत ही महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है पीएमजनमन जिसे लेकर जिला स्तर पर कलेक्टर स्वयं पुरी निगरानी कर रहे थे और जिला पंचायत सीईओ से लेकर सहायक आयुक्त आदिवासी विकास सहित कई बड़े अधिकारी तक इस योजना के निगरानी में लगे हुए थे। ऐसे में यदि ग्राम पंचायत से प्रस्ताव यदि दूसरे जाति के लोगों के लिये गया भी तो कैसे जनपद स्तर के अधिकारी, फिर जिला स्तर पर इसकी स्वीकृति मिली और राशि का अंतरण तक हो गया। यह एक सोचने वाला पहलु है कि कैसे किसी योजना की निगरानी की जाती है, आप इससे समझ सकते हैं।
पीएमजनमन की राशि वसूली कराये जाने की खबर…..
जनपद पंचायत कुसमी के कुछ लोगों से जानकारी मिली कि जैसे ही जनपद सीईओ को इस बात की खबर लगी कि ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायत मिडिया तक पहुंच गई है तो वे अब पीएमजनमन योजना के तहत् ऐसे हितग्राही जो पीवीटीजी नहीं है लेकिन उनके खाते में राशि ट्रांसफर की गई है, उनसे राशि की वसूली करा रहे हैं। ऐसे चार व्यक्तियों की ही जानकारी अब तक मिली है, जो पीवीटीजी नहीं हैं लेकिन उनके खाते में 40-40 हजार रूपये की राशि अंतरित की गई है। उनसे अब सरपंच-सचिव के माध्यम से राशि की वसूली करायी जा रही है। जबकि अब तक इसके लिये कोई आदेश जनपद कार्यालय से जारी नहीं हुआ है। सभी कार्य अभी मौखिक रूप से चल रहे हैं। जिसका दस्तावेजीकरण राशि वसूली के बाद कराया जाना बताया जा रहा है।