
कालिदास कोलम्बकर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत शिवसेना से की थी और शिवसेना के उम्मीदवार के तौर पर वे 5 बार विधानसभा चुनाव जीते थे।
कालिदास कोलम्बकर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत शिवसेना से की थी और शिवसेना के उम्मीदवार के तौर पर वे 5 बार विधानसभा चुनाव जीते थे।
- Information18Hindi
- आखरी अपडेट:
17 अक्टूबर, 2019, 1:19 PM IST
कालिदास कोलम्बकर आठवीं बार वडला क्षेत्र से मैदान में हैं। लेकिन इस बार उनकी जीत का दारोमदार खुद उनकी छवि पर है। वे लंबे समय से इलाके का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जिनके कारण से उनके काम और व्यवहार का उन्हें मिल मिल सकता है। इस बार कोलम्बकर बीजेपी के उम्मीदवार हैं। उनके सामने कांग्रेस, मनसे, वीबीए ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
नारायण राणे की ही तरह कालिदास कोलम्बकर के प्रति भी शिवसेना की नाराज़गी बरकरार है। यही कारण है कि कोलम्बकर के चुनाव प्रचार से शिवसेना के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने दूरियां बनाई रखी हैं। दरअसल, शिवसेना का कोलम्बर पर आरोप है कि उन्होंने नारायण राणे के साथ ही शिवसेना छोड़ दी थी और वे सत्ता के साथी हैं पार्टी के प्रति वफादार नहीं।
800 वोटों से जीते चुनाववर्ष 2014 में मोदी लहर के बावजूद वे कांग्रेस के उन गिने चुने विधायकों में से हैं जिन्होंने बेहद करीबी अंतर से वडाला का जीत हासिल की थी। कालिदास ने अपने स्वयं के बीडीपीपी के उम्मीदवार मिहिर कोटेचा को केवल 800 वोटों से हरा दिया था। वर्ष 2009 में भी कालिदास कमकर वडाला सीट से चुनाव जीते थे।
5 बार शिवसेना से विधायक रहे
कालिदास कोलम्बकर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत शिवसेना से की थी। शिवसेना के उम्मीदवार के तौर पर वे 5 बार विधानसभा चुनाव जीते। लेकिन शिवसेना में उद्धव ठाकरे को लेकर उठे विवाद के बाद नारायण राणे ने शिवसेना छोड़ दी थी। नारायण राणे के ही पदचिन्हों पर चलते हुए कालिदास कोलम्बकर ने भी शिवसेना को अलविदा कह दिया। उन्हें नारायण राणे का बेहद करीबी माना जाता है। वर्ष 2005 में शिवसेना छोड़ने के बाद वे नारायण राणे के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए।
हालांकि साल 2017 में जब नारायण राणे ने अपनी नई पार्टी का ऐलान किया तो कालिदास उसमें शामिल नहीं हुए और उन्होंने कांग्रेस में ही बने रहने का फैसला किया। इस दौरान वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के काफी करीब हो गए और रूपवान बीजेपी में शामिल हो गए।
पीएम मोदी की रैली में शामिल थे
दरअसल, लोकसभा चुनाव के वक्त ही कालिदास कोलम्बकर के बीजेपी में शामिल होने के संकेत मिल गए थे। वे न सिर्फ महाराष्ट्र में पीएम मोदी की चुनीवी रैली में शामिल हुए थे बल्कि उन्होंने दादर में मौजूद अपने कार्यालय में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तस्वीर भी लगवाई थी। कालिदास ने एनडीए के सहयोगी शिवसेना के मुंबई दक्षिण -सेंट्रल से उम्मीदवार राहुल शिवाले के लिए लोकसभा का चुनाव प्रचार किया था।
कालिदास कोलम्बकर का कहना था कि वे कांग्रेस से बेहद दुखी हैं क्योंकि उनके विधानसभा क्षेत्र में विकास का कोई काम नहीं हो रहा है। वडाला में विकास हर चुनाव में बड़ा मुद्दा रहा है। कोलम्बकर इलाके के लोगों के साथ व्यक्तिगत तौर पर जुड़ाव रखते हुए जो उन्हें लोकप्रिय बनाता है। लोग किसी भी पार्टी नेता की बजाए उनकी व्यक्तिगत छवि की वजह से मिलते हैं और उनकी समस्याओं का निराकरण भी कोलम्बकर शिद्दत करते हैं।