सीएमडीसी के लोक सुनवाई में जमीरापाठ में जमकर विरोध, सीएमडीसी ने कहा सबका समर्थन है, खदान खुलने की लोगों ने दी स्वीकृति

कुसमी/बलरामपुर जिला अंतर्गत तहसील कुसमी के ग्राम पंचायत जमीरापाठ में मेसर्स छत्तीसगढ़ मिनिरल डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा जमीरापाठ के माध्यमिक शाला प्रांगण में बॉक्साइट उत्पादन हेतु पर्यावरण स्वीकृति के लिए लोक सुनवाई का आयोजन किया गया था, जिसमें भारी गहमागहमी के बीच करीब 95 प्रतिशत ग्रामीणों के विरोध तथा 5 प्रतिशत खदान खोलने के समर्थन में भारी नारेबाजी के बीच प्रभावित लोगों के बातों को सुने बिना ही सुनवाई समाप्त कर दिया गया। हालांकि देर शाम सीएमडीसी के अधिकारियों ने पत्रकारों को कहा कि सबका समर्थन है कहीं कोई विरोध जैसी बात नहीं है, सभी चाहते हैं खदान खुले और सबने अपनी स्वीकृति दे दी है। बहरहाल अविभाजित सरगुजा के कई क्षेत्रों में खदान के विरोध में लोग लगातार आंदोलन कर रहे हैं, जिसे देखकर कहीं यहां के आम नागरिक भी जागरूक हो गये और विरोध हुआ तो यह खदान भी विरोध की भंेट चढ़ सकता है। किन्तु लोक सुनवाई में जो देखने को मिला वह तो यहीं स्पष्ट करता है कि लोग समर्थन में नहीं हैं।


विदित हो की ग्राम पंचायत जमीरा पाठ में मेसर्स छत्तीसगढ़ मिनिरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा बॉक्साइट उत्पादन हेतु कुल 115 हेक्टेयर क्षेत्र में कुल उत्पादन 10 लाख टन प्रतिवर्ष करने हेतु उत्खनन के लिए लीज पर जमीन लिया गया है, उसकी पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई का आयोजन किया गया था। जिसमें भारी गहमागहमी हुई, प्रभावित भूस्वामी खदान खोलने का विरोध कर रहे थे, वहीं जिनका जमीन लीज एरिया में नहीं है, वह खुलने का समर्थन कर रहे थे। लोक सुनवाई में भूस्वामियों की बात सुने बिना ही सुनवाई समाप्त कर दिया गया। इस सुनवाई में चंद लोग ही कंपनी से अपनी बात रख थे कि तुरंत ही सुनवाई पुरी बता कर समाप्त कर दिया गया। जिसके कारण प्रभावितों को अपनी बात रखने का पर्याप्त मौका ही नहीं मिला। इस लोक सुनवाई में ना प्रभावितों का, ना ही जनप्रतिनिधियों को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिये बिना ही सुनवाई समाप्त कर दी गई। जिससे नाराज लोग कंपनी और प्रशासन के विरोध में जमकर नारेबाजी करने लगे, वही समर्थन में खड़े मुश्किल से 5 प्रतिशत लोग कंपनी के समर्थन में नारेबाजी करने लगे।


सूचना के बिना ही आयोजित हुई लोक सुनवाई
इस लोक सुनवाई के लिए ना तो कंपनी द्वारा ना ही प्रशासन द्वारा किसी को सूचना दी गई, जिससे लोक सुनवाई की पारदर्शिता को लेकर कई सवाल है। प्रभावित क्षेत्र में लोगों को लोक सुनवाई की जानकारी तक नहीं थी, कि लोक सुनवाई कब है, कहां है और तो और जनप्रतिनिधियों को भी इसकी जानकारी नहीं दी। स्थानीय मीडिया को भी इसकी जानकारी से दूर रखा गया, ताकि गुपचुप तरीके से प्रशासन व कंपनी मिलकर अपने तरीके से सुनवाई कर सकें।
पड़ोसी पंचायत को भी नहीं दी गई जानकारी
जमीरा पाठ में आयोजित लोक सुनवाई में प्रभावित क्षेत्र के सीमावर्ती पंचायत के सरपंच या वहां के ग्रामीणों को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई, जबकि प्रभावित क्षेत्र के नजदिकी ग्राम पंचायत जवाहर नगर व घुटराडीह में आयोजन स्थल से लगे हुए हैं। कंपनी और प्रशासन के लोग इसकी जानकारी विरोध के डर से वहां के सरपंच व ग्रामीणों को नहीं दिए, जिसे लेकर लोगों में काफी नाराज़गी है।
95 प्रतिशत विरोध में तो 5 प्रतिशत समर्थन में
जमीरापाठ में आयोजित लोक सुनवाई में देखा गया कि खदान खोलने का 95 प्रतिशत से अधिक लोगों के द्वारा विरोध किया जा रहा था, जबकि 5 प्रतिशत लोग ही खुलने के समर्थन में थे। विरोध करने वाले प्रभावित लोगों का कहना है कि हम लोगों के जीविका का साधन मात्र जमीन है। इसी में अनाज उगा कर अपना जीवनयापन करते हैं, अगर जमीन उत्खनन में दे देंगे तो बाद में हमारी जीविका का साधन छिन जाएगा, जिससे हमारे आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी, रोजगार क्षेत्र के हर परिवार एवं लोगों को खदान में मिल पाएगा इसकी कोई गारंटी नहीं है।


समर्थन जुटाने क्षेत्र में 15 दिन से सक्रिय थे कुछ लोग
खदान खुलने का विरोध कर रहे लोगों ने बताया कि करीब 10-15 दिन से कुछ लोग क्षेत्र में आ रहे थे और लोगों को तरह-तरह का झांसा देकर खदान हेतु समर्थन देने की बात कर रहे थे। उनके द्वारा लोकसुनवाई में खदान खोलने हेतु समर्थन करने को कहा जा रहा था। विरोध करने वाले ग्रामीणों का कहना है कि जो चंद लोग आज के इस जनसुनवाई में समर्थन कर रहे हैं, सब के सब को 15 दिन से सक्रिय लोग द्वारा अपने पक्ष में किया गया है, ये वही लोग है जिनका जमीन नहीं जा रहा है, ऐसे लोग आज समर्थन में हैं।
ग्रामीणों ने सरपंच को भी बिकने का लगाया आरोप
ग्राम पंचायत जमीरापाठ के सरपंच पर प्रभावित लोगों अपना गुस्सा निकाला और उसे जमकर खरी-खोटी सुनाई। महिला सरपंच पर आरोप लगाते हुए कहा कि तुम भी बिकी हुई हो, हम लोग से पूछे बिना कैसे ग्राम सभा का प्रस्ताव खदान खुलने के पक्ष में दे दिए, लोगों ने फर्जी ग्रामसभा का आरोप लगाया है।

डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट डीपीआर लोक सुनवाई में नहीं थी
सीएमडीसी द्वारा किसी भी जनप्रतिनिधियों, पंचायतों के प्रतिनिधियों, नागरिकों को पुरे कार्य के बारे में कोई जानकारी लोक सुनवाई में नहीं दी गई, जिससे लोगों को पता चल सके कि कितना क्षेत्र प्रभावित हो रहा है और कितने लोग या परिवार इसके दायरे में आयेंगे। त्रि-स्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था से जुड़े जनप्रतिनिधियों ने लोक सुनवाई में डीपीआर एवं प्रोजेक्ट की जानकारी नहीं दिये जाने का आरोप लगाया है। जिससे लोग जान सके कि प्रभावित क्षेत्र कहां-कहां पर है, कितने हेक्टेयर में उत्खनन होगा। किन्तु आमजनों के मांग के बावजुद ने तो प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान रहा और न ही कंपनी ने ऐसा करना उचित समझा।
मेसर्स छत्तीसगढ़ मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड के डीजीएम यूके पांडे ने लोक सुनवाई में लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि बॉक्साइट उत्पादन में सरकार की जो भी नियम व शर्ते होंगी, उसे हमारे द्वारा पूर्ण रूप से लागू किया जाएगा। शिक्षा, सड़क, बिजली, पानी व अन्य सुविधा प्रभावित क्षेत्रों में दिया जाएगा। साथ ही लोगों को नौकरी भी दिया जाएगा। विरोध करने से लोगों की आर्थिक क्षति होगी, इसलिए खदान खोलने हेतु सभी अपना समर्थन दें। देखा जाए तो इस लोक सुनवाई में कंपनी और प्रशासन बिना पारदर्शिता के ही कार्यवाही कर रहे थे। यहां प्रभावितों को बोलने का पर्याप्त मौका ही नहीं दिया जा रहा था, अधिकतर वही लोग अपनी बात रख रहे थे जिनको कारपोरेशन वाले पिछले कुछ दिनों से लगातार अपने प्रभाव में रखे हुए थे, वहीं लोग समर्थन में बोल रहे थे, दूसरों को बोलने का मौका ही नहीं दिया गया। आज के इस जनसुनवाई में कोई अप्रिय घटना ना हो, इसलिए काफी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कि गई थी, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह जनसुनवाई किस तरह से किया गया। इस जनसुनवाई में मुख्य रूप से क्षेत्रीय अधिकारी, पर्यावरण संरक्षण मंडल अंबिकापुर प्रकाश राबड़े, मैसर्स छत्तीसगढ़ मिनरल डेव्हलपमेंट कारपोरेशन के डायरेक्टर प्रेम सिंह यादव, डीजीएम यूके पांडे, अपर कलेक्टर श्याम सिंह पैकरा, एसडीएम चेतन साहू, तहसीलदार उमा सिंह सहित काफी संख्या में अधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं आम नागरिक उपस्थित थे।

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