![‘वी मुंबई के गोड 'गणेश नायक को एनसीपी में दूसरा शरद पवार क्यों कहा गया था? ‘वी मुंबई के गोड 'गणेश नायक को एनसीपी में दूसरा शरद पवार क्यों कहा गया था?](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2019/10/Untitled-design-6-15.jpg?impolicy=website&width=459&height=306)
गणेश नायक का बीजेपी में शामिल होना एनसीपी नेता शरद पवार के लिए बड़ा झटका है।
देवी मुंबई (नवी मुंबई) की महानगर पालिका के गठन के साथ ही उस पर गणेश नायक (गणेश नाइक) का ही एक छत्र राज रहा और पिछले 20 साल से देवी मुंबई में उनकी हैससिटी नसीपी शेफेद पवार (शरद पवार) से कम नहीं थी
- Information18Hindi
- आखरी अपडेट:
17 अक्टूबर, 2019, 4:37 अपराह्न IST
राजनीतिक करियर की शुरुआत
गणेश नायक ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत शिवसेना से की। 1995 में वे शिवसेना-बीजेपी सरकार में मंत्री थे। लेकिन वे बाद में शिवसेना से अलग हो गए थे और उन्होंने अपनी एक अलग पार्टी बनाई लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। वर्ष 1999 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। जिसके बाद वे एनसीपी में शामिल हो गए। कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार में उन्हें मंत्री बनने का मौका मिला। करीब 15 साल बाद तक वे मंत्री रहे हैं। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में गणेश नायक को बीजेपी की मंदा म्थरते से हार का सामना करना पड़ा।
गणेश नायक का एकछत्र राजदेवी मुंबई की महानगर पालिका पर उसके गठन के साथ गणेश नायक का ही एकछत्र राज रहा है। पिछले 20 साल सेवी मुंबई में उनकी हैससिटी एनसीपी चीफ शरद पवार से कम नहीं थी। उनके बेटे संजीव नायक केवल 23 साल की उम्र में देवी मुंबई के मेयर बने। संजीव नायक वर्ष 2009 में एनसीपी के टिकट पर Thom से चुनाव जीते।
बीजेपी में शामिल होना बड़ा झटका है
नायक का बीजेपी में शामिल होना एनसीपी नेता शरद पवार के लिए बड़ा झटका है। पार्टी से लेकर मंत्रालय तक के तमाम बड़े फैसलों में गणेश नायक की राय को तवज्जो दी जाती थी। लेकिन 15 साल पुराने साथ को भुलाकर गणेश नायक पूरे लाव-लश्कर के साथ बीजेपी में शामिल हो गए।
बीजेपी ने देवी मुंबई की एरोली सीट से गणेश नायक को टिकट दिया है। पहले इस सीट पर उनके बेटे संदीप नायक को टिकट दिया गया था। लेकिन बाद में संदीप नायक का टिकट काटकर गणेश नायक को टिकट दिया गया है।
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