लातूर एग्जिट पोल के नतीजे 2019: फंसेगी जीत के रिकॉर्डर अमित देशमुख की सीट? | राज्यों – समाचार हिंदी में

लातूर एग्जिट पोल के नतीजे 2019: फंसेगी जीत के रिकॉर्डर अमित देशमुख की सीट?

लातूर विधानसभा सीट से अमित देशमुख चुनाव मैदान में हैं।

अब दिवंगत विलासराव देशमुख के सबसे बड़े बटे अमित देशमुख (अमित देशमुख) कांग्रेस (कांग्रेस) के टिकट पर लातूर सीट (लाटूर) से लगातार तीसरे चुनाव (महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019) लड़ रहे हैं, इससे पहले वे 2009 और 2014 का विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं हैं।

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  • आखरी अपडेट:
    21 अक्टूबर, 2019, 7:29 PM IST

नई दिलवाली महाराष्ट्र की लातूर विधानसभा सीट (महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019) से अमित देशमुख (अमित देशमुख) चुनाव मैदान में हैं। इसी से शुरू हुई पड़ोस की लातूर (लातूर) ग्रामीण सीट से उनके छोटे भाई धीरज देशमुख कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। अमित और धीरज महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के बेटे हैं। लातूर की सीट को देशमुख परिवार का गढ़ माना जाता है। लातूर से ही चुनाव जीतकर विलासराव देशमुख राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। एग्जिट पोल की मानें तो लातूर सीट पर अमित की जीत मुश्किल है क्योंकि उनके लिए यह सीट फंसती दिख रही है।

अब दिवंगत विलासराव देशमुख के सबसे बड़े बटे अमित देशमुख कांग्रेस के टिकट पर लातूर सीट से लगातार तीसरे चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले वह वर्ष 2009 और 2014 का विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। वर्ष 2014 में मोदी लहर के बावजूद अमित देशमुख ने पारिवारिक गढ़ पर कब्जा बरकरार रखा था। 2014 के विधानसभा चुनाव में 119656 वोट मिले थे। उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार शिलेश गोविंदकुमार लाहोटी को अपना उम्मीदवार बनाया। जबकि साल 2009 के विधानसभा चुनावों में अमित देशमुख को 113006 वोट मिले थे और उन्होंने बीपीपी उम्मीदवार मोहम्मद खान पठान को हरा दिया था। अमित देशमुख की जीत को महाराष्ट्र में चौथी सबसे बड़ी जीत माना जाता है।

लातूर को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। विलास राव देशमुख यहां से पांच बार चुनाव जीत चुके हैं। वे वर्ष 2004, 1999, 1991, 1985 और 1980 में इस सीट से चुनाव जीते थे। जबकि विलासराव से पहले 1973 और 1978 में कांग्रेस के टिकट से शिवराज पाटिल यहां से चुनाव जीत चुके हैं।

अमित देशमुख ने अपने पिता के सान्निध्य से राजनीति का ककहरा सीखा। अपने पिता की छत्रछाया में रहकर वो प्रशासन के साथ साथ क्षेत्र और पार्टी के लोगों के साथ व्यवहार सीखते रहे। वे अपने पिता की जिम्मेदारियों को उन बखूबी समझते हैं और निभाते हैं। 10 साल बाद तक वे पिता के प्रशासनिक और राजनीतिक कार्य में हाथ बंटाया और उनका सहयोग करते रहे। वर्ष 2014 में उन्हें महाराष्ट्र की पृथ्वीराज चव्हाण सरकार में राज्य मंत्री बनाया गया था। हम देशमुख अपने निर्वाचित क्षेत्र में ’अमित भैया ‘के नाम से पुकारे जाते हैं। वे क्षेत्र की जनता के साथ लगातार संपर्क में रहते हैं और उनकी समस्याओं और जरूरतों को लेकर संवाद करते रहते हैं। अमित बोलचाल में काफी मृदुभाषी, समन्वयवादी और संयमित रहते हैं। अमित देशमुख का जन्म 21 मार्च 1976 को हुआ। केवल 21 साल की उम्र में ही वह लातूर नगर परिषद में भाग लिया। 1999 में शिवराज पाटिल के लोकसभा चुनाव की प्रचार टीम का भी हिस्सा रहे।

धीरज देशमुख लातूर ग्रामीण सीट से पहली बार चुनीवी दंगल में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। अमित और धीरज देशमुख के चुनाव-प्रचार की कमान उनके तीसरे भाई वीर रितेश देशमुख ने संभाली। वह पत्नी जेनेलिया डिसूजा के साथ लगातार मुसलमानों के प्रचार में जुटे और वोट की अपील की। अमित देशमुख ने टीवी एक्ट्रैस अदिति घोरपड़े से शादी की है और उनके दो बच्चे हैं।

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