हरियाणा: 19 साल से गढ़ी सांपला-लोई सीट पर काबिज हैं भूपिंदर सिंह हुड्डा, 2 बार सीएम रहे | सोनीपत – समाचार हिंदी में

हरियाणा: 19 साल से गढ़ी सांपला-लोई सीट पर काबीज हैं भूपिंदर सिंह हुड्डा, 2 बार सीएम रहे

दो बार हरियाणा के सीएम रहे हुड्डा हैं।

हरियाणा (हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019) में 21 विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस (कांग्रेस) की टिकट पर फिर मैदान में पूर्व मुख्यमंत्री नवीन भूपिंदर सिंह हुड्डा (भूपेंद्र सिंह हुड्डा) हैं।

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  • आखरी अपडेट:
    24 अक्टूबर 2019, सुबह 8:38 बजे IST

नई दिलवाली हरियाणा (हरियाणा) । राजनीति में कांग्रेस (कांग्रेस) का सबसे बड़ा पहलू हैं भूपिंदर सिंह हुड्डा (भूपिंदर सिंह हुड्डा)। हरियाणा में लगातार दो बार सीएम बनने वाले हुड्डा पहले राजनेता रहे। लेकिन पिछले पांच साल से हरियाणा की राजनीति में हुड्डा की हुंकार सुनाई नहीं दे रही है। वर्ष 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव (हरियाणा विधानसभा चुनाव) में पार्टी की हार के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था और उसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वे सोनीपत से लोकसभा चुनाव भी हार गए थे। हालाँकि, इसके बावजूद जाटों में हुड्डा की अहमियत और वतन को कम करके नहीं आंका जा सकता है। हुड्डा के समर्थक उन्हें भूमिपुत्र कहते हैं। भूपिंदर सिंह हुड्डा गढ़ी सांपला-लोई से चुनाव लड़ेंगे। वर्ष 2000 में हुड्डा ने यहां पहली बार जीत हासिल की थी। पिछले 19 साल से हुड्डा इस सीट पर अपराजेय हैं। वर्ष 2014 में हुड्डा ने भारतीय राष्ट्रीय लोकदल (इनेलो) के सतीश नांदल को लैपटॉप दिया था। अब सतीश नांदल बीजेपी में शामिल हो गए हैं।

1972 में राजनीति में कदम रखा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने वर्ष 1972 में राजनीति में कदम रखा। राजनीतिक करियर की शुरुआत में वे कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। बाद में वर्ष 1980 से 1987 के दरम्यान वे हरियाणा प्रदेश युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष, पंचायत समिति के अध्यक्ष और हरियाणा की पंचायत परिषद के अध्यक्ष रहे।
वर्ष 1991, 1996,1998 और 2004 के लोकसभा चुनाव में हुड्डा लगातार चुनाव जीते और चार बार लोकसभा के सदस्य बने। हरियाणा में हुड्डा की हुंकार को इस आंकड़े से समझा जा सकता है कि उन्होंने 1991 के लोकसभा चुनाव में रोहतक से हरियाणा के पूर्व सीएम और पूर्व उप प्रधानमंत्री रहे चौधरी देवीलाल को हरा दिया था।2005 में पहली बार बने हरियाणा के मुख्यमंत्री थे

वर्ष 1996 से वर्ष 2001 तक वह हरियाणा कांग्रस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। वर्ष 2002 से 2004 तक हुड्डा हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं। 5 मार्च 2005 को वह पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 25 अक्टूबर 2009 को वह फिर से हरियाणा के मुख्यमंत्री बने।

संविधान सभा के सदसय पिता थे

15 सितंबर, 1947 को एक स्वतंत्रता सेनानी के परिवार में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का जन्म हुआ था। उनके पिता चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा भारत की संविधान सभा के सदस्य भी रहे और आजाद भारत में पंजाब सरकार के मंत्री भी रहे। हुड्डा को प्रशासन और राजनीति विरासत में मिले।

हुड्डा पर कांग्रेस की जीत का दारोमदार

हरियाणा में पांच साल से सत्ता से बाहर हो रही कांग्रेस के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव जीतना बेहद जरूरी है। जीत का सारा दारोमदार एक बार फिर भूपिंदर सिंह हुड्डा पर है क्योंकि कांग्रेस ऐसे निर्णायक मौके पर कोई चांस नहीं चाहेगी। हालांकि साल 2019 का लोकसभा चुनाव पिता-पुत्र पर भारी रहा। भूपिंदर सिंह हुड्डा सोनीपत से चुनाव हार गए तो उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक से चुनाव हार गए।

इसके बावजूद कांग्रेस ने एक बार फिर हुड्डा के हाथ में हरियाणा चुनाव की कमान सौंपी है। जाहिर सी बात है कि कांग्रेस ये जानती है कि हरियाणा की जनता की नब्ज़ हुड्डा बेहतर जानते हैं। अब देखने वाली बात ये होगी कि हुड्डा कांग्रेस की खोई सत्ता वापस लाने में क्या करिश्मा कर पाते हैं क्योंकि हुड्डा पर सिर्फ प्रदर्शन का ही गति नहीं है, बल्कि विरोधियों से सामना की भी चुनौती है।

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