पुलिस परिवार के बच्चों की दिनचर्या का हिस्सा बना डे केयर सेंटर लगभग 200 बच्चों को मिल रही स्नेह छाया, यहां बच्चों को छोड़कर पुलिस कर्मचारी करते हैं कर्तव्य निर्वहन


अंबिकापुर। पुलिस विभाग में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारियों के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के साथ ही उनका खास ध्यान रखने जिले की पुलिस अधीक्षक भावना गुप्ता ने पुलिस लाइन में स्नेह छाया, डे केयर सेंटर का संचालन शुरू कराया है। ड्यूटी पर जाने वाले पुलिस अधिकारी-कर्मचारी अपने बच्चों को स्नेह छाया में छोड़कर अपना काम करते हैं। इस सेंटर में बच्चे पढ़ाई के साथ खेलकूद में अपनी रुचि बढ़ा रहे हैं। यहां बच्चों के लिए पढ़ाई के साथ खेलकूद की सामग्रियां उपलब्ध कराई गई हैं, साथ ही आधुनिक तकनीकि से बच्चों को जोडऩे के लिए कंप्यूटर का ज्ञान भी दिया जा रहा है। एसपी की इस पहल की सराहना पुलिस विभाग में पदस्थ बच्चों के अभिभावक भी कर रहे हैं।
परित्राणाय साधुनाम के ध्येय को साकार करने चौबीसों घंटे सेवा देने वाले पुलिस विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों के पास अपने परिवार को वक्त देने का समय कम ही मिल पाता है। नन्हे बच्चों को घर पर अकेला छोड़कर जन सेवा में पूरा दिन निकाल देना आसान नहीं है। पालकों से दूर रहने वाले इन बच्चों को शुुरुआत से ही अच्छी शिक्षा और देखभाल मिले, इसे ध्यान में रखते हुए जिले की पुलिस अधीक्षक भावना गुप्ता ने पुलिस लाइन में विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के बच्चों के लिए स्नेह छाया, डे केयर सेंटर शुरू कराया है, जहां बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ खेलकूद की गतिविधियों से जोडऩे का प्रयास किया जा रहा है। इस केयर सेंटर का उद्घाटन 15 अगस्त 2022 को किया गया था। यहां सब इंस्पेक्टर पुष्पा तिर्की, सरला टोप्पो बच्चों के बीच समय दे रही हैं। स्नेह छाया, डे केयर सेंटर में तीन से नौ साल तक के बच्चों के लिए खेलकूद के सारे सामान उपलब्ध कराए गए हैं, इनके आराम करने की व्यवस्था की गई है। दीवारों में वॉल पेंटिंग एवं चार्ट पेपरों के माध्यम से बच्चों को शिक्षा देने के साथ ही अन्य गतिविधियों में भी दक्ष किया जा रहा है। बच्चों का ध्यान रखने महिला पुलिस कर्मचारियों को सेंटर में तैनात किया गया है, जिनकी देखरेख में अभिभावक अपने बच्चों को छोड़कर काम पर जाते हैं। बता दें कि यह सेंटर छत्तीसगढ़ प्रदेश का दूसरा सेंटर है। यहां बच्चों के लिए पौष्टिक खानपान, मनोरंजन, खेल सहित सोने की भी व्यवस्था की गई है। लगभग दो सौ पुलिस परिवार के बच्चों को नियमित रूप से इसका लाभ मिल रहा है।

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