जानिए किसी भी पार्टी में न हो कर भी क्यों महाराष्ट्र की राजनीति में ख़ास हैं कृपाशंकर सिंह | राज्यों – समाचार हिंदी में

जानिए किसी भी पार्टी में न हो कर भी क्यों महाराष्ट्र की राजनीति में ख़ास हैं कृपाशंकर सिंह

कहते हैं कि कृपाशंकर सिंह की ज़िंदगी में बड़े बदलाव तब आए जब उनकी मुलाकात पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी से हुई।

कृपाशंकर सिंह के सियासी कद का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके घर गणपति उत्सव के दौरान उद्धव ठाकरे, केशव प्रसाद मौर्य और देवेंद्र फडणवीस जा चुके हैं।

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  • आखरी अपडेट:
    18 अक्टूबर, 2019, 12:21 PM IST

यूपी के जौनपुर में राजपूत परिवार में जन्मे कृपाशंकर सिंह पर मायानगरी मुंबई ऐसी मेहरबान हुई कि उन्होंने राजनीति में फर्श से अर्श का सफर तय कर लिया। मुंबई में उत्तर भारतीयों के बीच उनकी शख्सियत ऐसी बुलंद हुई कि कांग्रेस ने उनकी लोकप्रियता को देखते हुए राज्य सरकार में गृह मंत्री का दर्जा दे दिया था। बाद में मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष पद भी उन्हें सौंप दिया गया।

वर्ष 1971 में कृपाशंकर सिंह जौनपुर से मुंबई आ गए थे। वह और उनके भाई जोबपिशा थे। 70 के दशक के हिसाब से उनकी पर्याप्त आय थी। साथ ही उनके परिवार की एक किराने की भी दुकान हुई करती थी। रोज़मर्रा की ज़िंदगी के जरूरी कामों के बीच कृपाशंकर सिंह अपने इलाके के लोगों की समस्याओं को भी उठाते थे। वे मुंबई आकर बसने वाले उत्तर भारतीयों की दिक्कतों के समाधान की कोशिश करते थे। परिणत धीरे-धीरे हिंदी भाषी लोगों में उनकी पहचान बनना शुरू हो गई और वह लोकप्रिय होने लगे। उनकी विनम्रता और सहजता लोगों को आकर्षित करती है।

कहते हैं कि कृपाशंकर सिंह की ज़िंदगी में बड़े बदलाव तब आए जब उनकी मुलाकात पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी से हुई। एक जन कार्यक्रम के दौरान इंदिरा ने जनसेवा की उनकी भावना को देखते हुए राजनीति में आने के न्योता दिया। जिसके बाद कृपा शंकर सिंह कांग्रेस सेवादल में शामिल हो गए। कांग्रेस में एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने समय बिताया।

वर्ष 1988 में उन्हें प्रतिभा पाटील ने मुंबई कांग्रेस का सचिव बनाया। 1994 में वे एमएलसी बने। 1999 में सांताक्रुज से विधायक बने और फिर विलासराव देशमुख सरकार में गृह मंत्री बने। 2007 और वर्ष 2011 में वे मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष बने। हालांकि साल 2014 के विधानसभा चुनाव में मिली हार से उनकी यात्रा थम गई। विधानसभा चुनाव में हार के बाद वो कांग्रेस में किनारे कर दिए गए थे। तीन बार मुंबई में विधायक रह चुके पूर्व गृह राज्य मंत्री कृपाशंकर सिंह पर आय से अधिक संपत्ति का भी आरोप लगा और 2018 में उन्हें कोर्ट से क्लीन चिट मिल गई।

कृपाशंकर सिंह के सियासी कद का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिना किसी पदभार के भी, उनके घर शिवसेना प्रमुख उद्धृतव ठाकरे, उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस का आना-जाना रहा।

कृपाशंकर सिंह जहां एक तरफ ठेठ यूपी के अंदाज़ में उत्तर भारतीयों से मिलते-जुलते हैं, वहीं दूसरी तरफ वो फर्राटेदार मराठी भी बोलते हैं। मुंबई में उत्तर भारतीयों को कांग्रेस का वोटबैंक माना जाता था और जौनपुर का हवाला देते हुए कृपाशंकर सिंह उसी वोटबैंक में कांग्रेस का कॉलम हुआ करते थे।

अब एक बार फिर से कृपाशंकर सिंह की किस्मत करवट बदलती दिख रही है। केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले पर कांग्रेस का रुख से असहमत होने के बाद कृपाशंकर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी है। ऐसे में राष्ट्रवाद की लहर में कृपाशंकर किसी भी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

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