वायु की सापेक्षिक आद्र्रता 100 प्रतिशत पर पहुंचने से जलवाष्प कणों का संघनन
अंबिकापुर। उत्तरी छत्तीसगढ़ में कड़ाके की ठंड के बीच उत्तरी हवा का असर दूसरे दिन मंगलवार को भी देखने को मिला। रात से ही कोहरा का घनत्व बढ़ रहा था। सुबह आलम यह रहा कि आसपास के घर तक कोहरे से ढंक गए थे। वाहन चालक लाइट जलाकर धीमी गति में सुरक्षित सफर करते देखे गए। जगह-जगह आग जलाकर लोग ठंड से बचने का प्रयास कर रहे थे। दोपहिया सवारों के हाथ की ठिठुरन उन्हें वाहन रोक कर आग की आंच लेने के लिए विवश कर रही थी। इन सबके बीच दिन में लगभग 11.45 बजे हल्की धूप निकली, हवा की शीतलता के बीच गर्म कपड़े पहन लोग धूप तापते नजर आने लगे। नगरीय वातावरण में सोमवार के मुकाबले संघनन की दर बढऩेे का संकेत मौसम विज्ञानी दे रहे हैं। मंगलवार की सुबह कोहरे के कारण क्षैतिज दृश्यता घटकर 50 से 100 मीटर तक सिमट गई थी।
मौसम विज्ञानी एएम भट्ट ने बताया मंगलवार को वायु अतिसंतृप्त अवस्था में रही। वायु की सापेक्षिक आद्र्रता 100 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है, जिसके कारण हवा में उपस्थित जलवाष्प कणों के संघनन से पेड़ों के नीचे ओस के झड़ते बूंद वर्षा की बूंदों के समान प्रतीत होने लगे हैं। खुले क्षेत्र में ओस की बूंदों से पहने हुए कपड़े, सिर और चश्मे को भी पर्याप्त जल की बूंद तर कर रही हैं। नगर के भीतर दृश्यता 50 से 100 मीटर के बीच है परंतु बाहरी क्षेत्रों में अति सघन कोहरे के कारण दृश्यता 10 से 20 मीटर तक घट गई है। घर-मकान के साथ ही दूरदर्शन व मोबाइल के टॉवर तक नजर नहीं आ रहे थे, जिससे ऊध्र्वाधर दृश्यता 20 से 30 मीटर होने का संकेत मिल रहा था। मौसम विज्ञानी ने बताया अतिसंतृप्तता की स्थिति में कहीं-कहीं हल्की फुहार की भी संभावना रहती है।
कुहरा लाभकारी और हानिकारक भी
मौसम विज्ञानी का कहना है कि कुहरे का हानिकारक प्रभाव ही देखने में आता है, वहीं शुष्क भू-भागों की वनस्पति के लिए कुहरा लाभकारी है। सूर्य की तीक्ष्ण किरणों से चाय तथा कहवा के पौधों की रक्षा करने में कुहरा बहुत मददगार होता है। हल्के कुहरे से रबी की फसलों को लाभ मिलता है परंतु इसके घना होने पर यह फसलों और अन्य वनस्पतियों को नुकसान पहुंचाता है। यातायात की दृष्टि से कुहरा सर्वाधिक बाधक और घातक है। कुहरे के कारण क्षैतिज दृश्यता घटने से वाहनों के आवागमन की रफ्तार धीमी हो जाती है, कई बार यह विपरीत दिशाओं के वाहनों के टकराने का कारण बन जाता है, जिससे जन-धन की क्षति होती है। दृश्यता में कमी के कारण रेल और विमान सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कारखानों से निकलने वाले सल्फर, कार्बन, नाइट्रोजन और फॉस्फोरस आदि की गैसें कुहरे के जलकणों के साथ आसानी से घुल कर जहरीली और प्राणघातक रसायनों में बदल जाती है, जो श्वसन क्रिया के माध्यम से शरीर में पहुंच कर जीवन प्रणाली की शारीरिक क्रियाओं को बाधित करती है और कई बार मृत्यु का कारण बन जाती है।
कोहरा बनने की अनुकूल परिस्थितियां
किसी निश्चित तापक्रम पर वायु में आद्र्रता की मात्रा बढ़ जाए और गर्म-ठंडी हवाएं आपस में टकराएं या किसी निश्चित आद्र्रता वाली हवा का तापमान कम हो जाए, दोनों ही परिस्थितियों में कोहरा बनता है। कोहरा बनने की घटनाएं प्राय: सुबह के समय होती हैं। ओसांक के आधार पर भी विभिन्न प्रकार के कोहरों का वर्गीकरण किया गया है। विलेट नामक मौसम विद के अनुसार कुहरे का वर्गीकरण विकिरण कुहरा, संपर्कीय कुहरा, वाष्पीय कुहरा व सीमांत या वाताग्र कुहरा है।
दृश्यता के आधार पर कोहरे का वर्गीकरण
1100 मीटर तक दृश्यता होने पर-हल्का कुहरा
1100 मीटर से 550 मीटर दृश्यता-साधारण कुहरा
550 मीटर से 330 मीटर दृश्यता-सघन कुहरा तथा
300 मीटर से कम दृश्यता पर-अति सघन कुहरा
03.01.2023 का तापमान
अधिकतम-20.1 डिग्री सेल्सियस
न्यूनतम-9.0 डिग्री सेल्सियस
वर्षा-0.0 मिलीमीटर