कांग्रेस सरकार के 4 वर्ष पुरे होने पर प्रदेश में गौरव दिवस का आयोजन कांग्रेस एवं सरकार के द्वारा किया जा रहा है। ये किस बात का गौरव मना रहे हैं समझ से परे है। जमीनी स्तर की योजनायें लगभग फेल है, चाहे वह नरवा-गुरूवा-घुरूवा-बाड़ी की बात हो अथवा गोठान, अब तक की सबसे फेल योजनाओं में इनकी गिनती है। ठीक यही हाल उपभोक्ता न्यायालयों का है, समुचे छत्तीसगढ़ में यही स्थिति है। हालांकि छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के उपभोक्ता न्यायालयों में सदस्यों एवं अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी गई है। किन्तु सरगुजा के साथ सौतेला व्यवहार अब भी जारी है। कांग्रेस सरकार के 48 महिने के कार्यकाल में 22 महिने सरगुजा का उपभोक्ता न्यायालय बंद है। बंद हम इसलिये कह रहे हैं क्योंकि अध्यक्ष एवं सदस्यों के पद रिक्त हैं और सरकार है कि सारी प्रक्रिया होने के बावजुद यहां अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति का आदेश जारी नहीं कर रही है। इसे सरगुजा की उपेक्षा न कहें तो क्या कहें? हालांकि उपभोक्ता न्यायालय के इस मसले को लेकर उच्चतम न्यायालय ने संज्ञान लिया था, इसके बावजुद सरकार एवं उनसे जुड़े लोगों के नजदिकीयों को अध्यक्ष एवं सदस्य के रूप में नियुक्ति दिलाने के पेशोपेश में 11 माह पूर्व हुआ साक्षात्कार एवं बनी हुई लिस्ट को जारी करने में सरकार को और कितने महिने लगेंगे, यह तो शायद विभागीय मंत्री अमरजीत भगत ही बता सकेंगे।
उपभोक्ताओं की हितों को संरक्षित करने 24 दिसम्बर को उपभोक्ता संरक्षण दिवस मनाया जाता है, कहीं न कहीं इस कार्यक्रम में विभागीय मंत्री शामिल होंगे और लम्बा-लम्बा भाषण भी देंगे। लेकिन विभागीय मंत्री को इस बात का भान ही नहीं है कि उनके जिले के उपभोक्ता न्यायालय में अध्यक्ष एवं सदस्यों का पद रिक्त है। यदि जानकारी है भी तो क्यों नियुक्ति आदेश जारी करने विलम्ब किया जा रहा है, समझ से परे है। आये दिन उपभोक्ता विभिन्न मामलों में परेशान हो न्याय पाने के लिये उपभोक्ता न्यायालय पहुंच रहे हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का कोई हल ही नहीं निकल पा रहा है या तो केस फाईल ही नहीं हो रहे और यदि फाईल हो भी रहे हैं तो लगातार तिथि बढ़ाई जा रही है। जिससे क्षेत्र के उपभोक्ता काफी परेशान हैं। किन्तु आमजनों के हित की बात करने वाली भूपेश सरकार जाने क्यों सरगुजा के उपभोक्ता न्यायालय में अध्यक्ष एवं सदस्यों के नियुक्ति की अंतिम प्रक्रिया में पेच फंसा कर रखी हुई है। क्षेत्रिय मंत्री अम्बिकापुर आते तो हैं, अलग-अलग क्षेत्रों में भ्रमण भी करते हैं, किन्तु कभी उन्होंने भी उपभोक्ता न्यायालय की कभी सुध नहीं ली कि आखिरकार सरगुजा के उपभोक्ताओं की समस्या का हल हो कैसे रहा है। सरकार की लापरवाही एवं सरगुजा की उपेक्षा के कारण उपभोक्ताओं के समस्याओं का निराकरण नहीं हो पा रहा है, जिससे मानसिक एवं आर्थिक दोनों की तरह की क्षति उपभोक्ताओं को उठाना पड़ रहा है।