वर्ष 2015 में सबसे ज्यादा संख्या राष्ट्रीय जनता दल (80) ने जीती थी, फिर जदयू (69), भाजपा (54) और कांग्रेस (25) की सभाएं थीं। हालांकि, राजद-जदयू की सभाओं में ज्यादा आईं थे, पर वोट शेयर में भाजपा आगे थी। वर्ष 2015 में भाजपा को 24.four प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि 2010 में भाजपा का वोट शेयर 16.5 प्रतिशत था। हालाँकि, 2010 से 2015 के बीच भाजपा का वोट शेयर लगभग eight प्रतिशत बढ़ा, लेकिन 38 सीटें कम हो गईं। ऐसे में आइए नजर डालते हैं बिहार में पिछले three चुनाव परिणामों पर। किस पार्टी को कितने वोट मिले, कितना वोट शेयर हुआ और कितने पार्टियां चुनाव मैदान में उतरी थीं …

तो ये बिहार की मौजूदा स्थिति है
बिहार की मौजूदा स्थिति के अनुसार, कुल 243 सीटों में से बहुमत के लिए 122 सीटों की आवश्यकता है। ऐसे में एनडीए (एनडीए) के पास कुल 130 सीटें हैं, जिसमें जदयू के 69, भाजपा के 54, लोजपा के 2, हम का 1 और four निर्दलीय हैं। वहीं महागठबंधन के पास कुल 109 सीटें हैं, जिसमें राजद के 80, कांग्रेस के 25, भाकपा माले के three और 1 निर्दलीय हैं। ओवैसी की पार्टी के पास भी एक सीट है, जबकि three सीटें खाली हैं।

2015 में सरकार कैसे बनी?
वर्ष 2015 में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने राजद के साथ मिलकर महागठबंधन के तहत बिहार विधानसभा में उतरे थे। इसमें राजद को 80, जदयू को 71, कांग्रेस को 27 सीटें मिली थीं। इसमें जदयू का वोट शेयर 2010 की तुलना में लगभग 5 प्रतिशत तक कम था। जबकि, जदयू से अलग चुनाव में उतरी भाजपा का वोट शेयर लगभग eight प्रतिशत बढ़ा था।

क्या कहते हैं 2010 के आंकड़े?
2010 में सबसे ज्यादा सीटें (115) और वोट शेयर (22.6 प्रतिशत) मिले थे, इसके बाद सीटों के मामले में भाजपा (91) दूसरे नंबर पर थी। वहीं, राजद का वोट शेयर 18.eight प्रतिशत था।

2005 में दो बार चुनाव हुए
वर्ष 2005 में दो बार चुनाव हुए थे, क्योंकि किसी भी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत नहीं था। लोकजनशक्ति पार्टी खेल चेंजर साबित हो सकती थी, लेकिन उसने किसी भी दल के साथ सरकार बनाने से इनकार कर दिया। ऐसे में अक्टूबर 2005 में फिर से चुनाव हुए, तब जदयू ने 88 सीटें और भाजपा ने 55 सीटों पर जीत दर्ज की।

158 पार्टियां लड़ चुकी हैं चुनाव
वर्ष 2015 में बिहार विधानसभा के लिए 6 राष्ट्रीय पार्टियां मैदान में थे, जबकि four राज्यस्तरीय पार्टियों, 9 अन्य राज्यों की पार्टियों के अलावा 137 गैर-कानूनीता प्राप्त पार्टियों के अलावा चुनावी दंगल में शामिल हुईं थी। वहीं, 2 निर्दलीय उम्मीदवार भी इस महासमर में अपनी किस्मत आजमा रहे थे। वहीं, पिछले three चुनावों में मतदान का प्रतिशत भी लगातार बढ़ रहा है। 2005 में जहां 45.85 प्रतिशत मतदान हुआ था, वहीं 2015 में यह 56.66 प्रतिशत हो गया।