बिलकिस बानो प्रकरण में सजा पूर्ण होने के पूर्व रिहा किये जाने के गुजरात सरकार के आदेश को आज सुप्रिम कोर्ट ने रद्द किया कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत प्रियंका गांधी ने मामले में दी प्रतिक्रिया

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि चुनावी लाभ के लिए न्याय की हत्या करने की धारणा लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बेहद खतरनाक है। उन्होंने बिलकिस बानो प्रकरण में आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा है कि इस फैसले ने एक बार फिर देश को बताया कि अपराधियों का संरक्षक कौन है? वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि आखिरकार न्याय की जीत हुई है। उन्होंने कहा कि इस आदेश से भारतीय जनता पार्टी की महिला विरोधी नीतियों पर से पर्दा हट गया है। इसके बाद न्याय व्यवस्था पर जनता का भरोसा और मजबूत होगा। अपनी लड़ाई बहादुरी से जारी रखने के लिए बिलकिस बानो को बधाई।

बिलकिस बानो के बलात्कारियों की जल्द रिहाई की अनुमति देने वाले गुजरात सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने आज रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो से बलात्कार और उसके परिवार के सात सदस्यों की हुई निर्मम हत्या के दोषी 11 लोगों की समय पूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्जल भुइयां की पीठ ने यह फैसले सुनाया है। जस्टिस नागरत्ना ने यह फैसला लिखा। पीठ ने 11 दिनों की व्यापक सुनवाई के बाद पिछले साल 12 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कार्यवाही के दौरान, केंद्र और गुजरात सरकार ने दोषियों की सजा माफ करने से संबंधित मूल रिकॉर्ड प्रस्तुत किए। गुजरात सरकार ने दोषियों की रिहाई को उचित ठहराते हुए कहा कि उन्होंने सुधारात्मक सिद्धांत का पालन किया। 30 सितंबर, 2022 को शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि क्या दोषियों के पास माफी मांगने का मौलिक अधिकार है, इस बात पर जोर देते हुए कि यह अधिकार चुनिंदा रूप से नहीं दिया जाना चाहिए और सुधार और समाज के साथ पुनः एकीकरण का अवसर प्रत्येक कैदी को बढ़ाया जाना चाहिए।

इससे पहले, एक दोषी के ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने भी जवाब प्रस्तुत किया था कि सजा माफी के आदेश ने दोषी को समाज में फिर से बसने की आशा की एक नई किरण दी है और उसे उन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं का पछतावा है, जिसके कारण उसे पीड़ा हुई है। समय से पहले रिहा किए गए 11 दोषीयांे में जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राध्येशम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोर्दहिया, बकाभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना हैं।

जेल में 15 साल पूरे करने के साथ-साथ कैद के दौरान उनकी उम्र और व्यवहार को ध्यान में रखते हुए, उन्हें 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कई याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनमें खुद बिलकिस बानो के अलावा सीपीआई (एम) नेता सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लौल और निलंबित टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की याचिका भी शामिल है। बिलकिस बानो 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं, जब 3 मार्च, 2002 को गुजरात में गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के दंगों से भागते समय उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। उनकी तीन साल की बेटी परिवार के सात सदस्यों में से एक थी।

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