सीजीपीएससी की परीक्षा में अंबिकापुर का मान बढ़ाया होनहारों ने

दूसरा रैंक हासिल किए शुभम हैं आईएएस राहुल देव के भाई, भाभी भावना गुप्ता हैं आईपीएस

अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के द्वारा घोषित परीक्षा परिणाम में शहर के होनहारों ने परचम लहराया है। इनकी सफलता से न सिर्फ स्वजन खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं बल्कि पूरे सरगुजा संभाग व मां महामाया की नगरी अंबिकापुर का गौरव बढ़ा है। ये होनहार शहर के उन युवाओं के लिए प्रेरक हैं, जिनकी इच्छा उच्च प्रशासनिक पदों पर जाने की होगी। शहर के शुभम देव ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में दूसरा स्थान प्राप्त किया। इनके बड़े भाई राहुल देव 2016 बैच के आईएएस और भाभी भावना गुप्ता आईपीएस अधिकारी हैं। अंबिकापुर के एक ही परिवार के भाई-बहन ने भी सीजी पीएससी में बाजी मारी है। ऋचा बंसल ने 10वां स्थान वहीं इनके भाई श्रवण बंसल ने 18वां रैंक हांसिल किया है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में अनुविभागीय अधिकारी के पद पर पदस्थ अशोक सिंह के पुत्र अमन सिंह ने 9वां रैंक हासिल किया है। होम्योपैथी मेडिकल आफिसर के पद पर शासकीय कर्तव्य का निर्वहन करते डॉ. ममता तिवारी ने 11वां रैंक हासिल किया। डॉ. ममता ने बुजुर्ग सास-ससुर की सेवा, बच्चे का देखभाल करते यह सफलता हासिल की है।
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग 2022 की परीक्षा परिणाम में मेरिट लिस्ट में दूसरा स्थान प्राप्त किए अंबिकापुर निवासी शुभम गुप्ता 2016 बैच के आईएएस व मुंगेली कलेक्टर राहुल देव के छोटे भाई हैं। इनकी भाभी भावना गुप्ता आईपीएस, अंबिकापुर में बतौर पुलिस अधीक्षक सेवा दे चुकी हैं, वे वर्तमान में बेमेतरा जिले की पुलिस अधीक्षक हैं। आईआईटी कानपुर से बीटेक शुभभ गुप्ता ने चार बार यूपीएससी की परीक्षा क्वालीफाई की है। शुभम का कहना है कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। नाकामी को अंगीकार कर लगातार प्रयास करते हुए सफलता हासिल की जा सकती है। समर्पण और निष्ठा के साथ किया गया प्रयास विफल नहीं हो सकता। लक्ष्य का पीछा करने से कामयाबी मिलती है। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने वाले शुभम सोशल मीडिया, फेसबुक, व्हाट्सएप से दूर हैं। मोबाइल का उपयोग वे सिर्फ बात करने के लिए करते हैं। शुभम को अपने बड़े भाई आईएएस राहुल देव व आईपीएस भाभी भावना गुप्ता से समय-समय पर टिप्स मिली। इनके पिता देवकुमार गुप्ता सरगुजा जिला के लुंड्रा में विकासखंड शिक्षा अधिकारी एवं मां आशा गुप्ता शिक्षिका हैं। माता-पिता इन दोनों भाइयों के प्रेरक हैं। होनहार भाइयों की प्राथमिक व हायर सेकेंडरी शिक्षा अंबिकापुर में हुई। शुभम फिलहाल दिल्ली में रहकर यूपीएससी मेंस की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन वे छत्तीसगढ़ में डिप्टी कलेक्टर के पद पर सेवा देने आतुर हैं।
मेरिट लिस्ट में भाई-बहन का नाम आने से स्वजन हर्षित
अंबिकापुर के अग्रसेन वार्ड निवासी भाई-बहन ने सीजी पीएससी की परीक्षा में एक साथ उड़ान भरी। बहन ऋचा बसंल ने 10वां रैंक तो भाई श्रवण बंसल ने 18 वां रैंक हासिल किया करके स्वजन का मान बढ़ाया। इनकी सफलता ने पूरे परिवार को गौरवान्वित किया है। ऋचा पिछले तीन-चार साल से सीजी पीएससी की तैयारी कर रही हैं। पहले भी एक बार पीएससी क्वालिफाई कर चुकी ऋचा को अच्छा रैंक नहीं मिलने के कारण साक्षात्कार से दूरी बन गई। इस असफलता के बाद वे हताश नहीं हुई बल्कि इसे सबक मानकर लगातार प्रयास करती रहीं। पूर्व में हुई त्रुटियों को उन्होंने माध्यम बनाया और सफलता की मंजिल तक पहुंची। इनके भाई श्रवण बंसल कॉलेज के बाद से ही पीएससी की तैयारी में जुट गए थे। पूर्व में दी गई परीक्षा में इनका 108वां रैंक था, जिसमें कोऑपरेटिव इंस्पेक्टर का पोस्ट मिला था। वर्ष 2022 की सीजीपीएसी परीक्षा में 18वें रैंक के साथ इन्हें सहायक कमिश्नर जीएसपी का पोस्ट मिलने की उम्मीद है। दोनों भाई-बहन ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है।
एसडीओ पीएचई के पुत्र अमन का 9वां रैंक
सीजीपीएससी में 9वां रैक हासिल किए अमन सिंह भी अंबिकापुर के रहने वाले हैं, इन्हें एक्साइज ऑफिसर की पोस्ट मिलने की संभावना है। अमन सिंह बिलासपुर में रहकर सीजी पीएससी की तैयारी कर रहे थे। वे अपनी सफलता का श्रेय स्वजन को देते हैं। इनके पिता अशोक सिंह लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग अंबिकापुर में अनुविभागीय अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। माता पुष्पा सिंह ने पुत्र को मिली सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए कहा अमन शुरू से पढ़ाई में अच्छा है, उन्हें पूरा विश्वास था कि एक दिन उसे सफलता जरूरी मिलेगी।
डॉ. ममता तिवारी को छठवीं बार मिली सफलता
होमियोपैथी मेडिकल आफिसर की शासकीय जिम्मेदारी संभालने के साथ बुजुर्ग सास-ससुर की सेवा व बच्चे की देखभाल करने वाली डॉ. ममता तिवारी ने छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 11वां रैंक हासिल किया है। इसके पहले उन्होंने पांच बार सीजी पीएससी में अच्छा रैंक उन्हें मिला लेकिन उनके मन मुताबिक पद नहीं मिलने के कारण वे पदभार ग्रहण नहीं की और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच प्रयास जारी रखते हुए इस बार छठवां रैंक हासिल कीं। इस बार उन्हें डीएसपी का पद आसानी से मिल सकता था लेकिन इसके लिए वे आवेदन नहीं कीं। इनका चयन राज्य वित्त सेवा अधिकारी के पद पर हुआ है। वे शहर के होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. धीरेंद्र तिवारी की धर्मपत्नी हैं।

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