बीमाधारक की मृत्यु के बाद नामिनी को एक करोड़ बीमाधन भुगतान करने का आदेश

स्थायी लोक अदालत ने इंश्योरेंस कंपनी को ब्याज सहित 30 दिन के अंदर बीमाधन का भुगतान करने कहा

अंबिकापुर। पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद नामिनी को मृत्यु बीमा धन राशि एक करोड़ रुपये देने से इन्कार करने के मामले में स्थायी लोक अदालत ने फैसला सुनाते हुए बीमा कंपनी को 11 अप्रैल 2023 से उक्त राशि सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से 30 दिन के अंदर भुगतान करने का आदेश पारित किया है। कंपनी को मानसिक क्षतिपूर्ति व वाद व्यय राशि का अतिरिक्त भुगतान करना होगा।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद वार्ड क्रमांक 37, दर्रीपारा निवासी सविता कश्यप पति गणेश कुमार कश्यप 36 वर्ष व शिमला देवी कश्यप पत्नी स्व. विश्वनाथ कश्यप 58 वर्ष ने स्थायी लोक अदालत में वाद दायर करते हुए बताया था कि बीमाधारक गणेश कुमार कश्यप ने आदित्य बिरला सनलाइफ इंश्यारेंस कंपनी लिमिटेड की देवीगंज रोड अंबिकापुर शाखा से बीमा कराया था। पॉलिसी क्रमांक 007701279, दिनांक 30 नवंबर 2018 में दोनों आवेदिका व मृतक के पिता नामिनी में दर्ज हैं। बीमाधारक गणेश कुमार कश्यप के जीवित अवस्था में ही उसके पिता विश्वनाथ कश्यप की मृत्यु 11 नवंबर 2021 को हो गई थी। इधर बीमाधारक गणेश कुमार कश्यप की मृत्यु के बाद दावा राशि प्राप्त करने के लिए मृतक की पत्नी व मां ने मूल पॉलिसी बांड के साथ सभी दावा प्रपत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र को समयावधि में शाखा प्रबंधक आदित्य बिरला सनलाइफ इंश्यारेंस कंपनी लिमिटेड, देवीगंज रोड अंबिकापुर शाखा में जमा किया। यहां से मृत्यु बीमा धन की राशि एक करोड़ रुपये देने से इन्कार कर दिया गया। इसके बाद वे आदित्य बिरला सनलाइफ इंश्यारेंस कंपनी के केंद्रीय कार्यालय घोड़बंदर रोड, ठाणे महाराष्ट्र और बीमा लोकपाल भोपाल मध्य प्रदेश से बीमा धन की राशि दिलाने का निवेदन किए। बीमा लोकपाल ने पूरे दस्तावेजों को लेने के बाद यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि उनका क्षेत्राधिकार अधिकतम 30 लाख रुपये तक का है, जबकि पॉलिसी एक करोड़ की है। वहीं बीमा कंपनी के केंद्रीय कार्यालय ने क्रोनिक एल्कोहिक लीवर डिजीज सहित अन्य बातों का उल्लेख करते हुए इंश्योरेंस ऑर फाल्स कहकर दावा राशि का भुगतान करने से इन्कार कर दिया। आवेदिकाओं का तर्क था कि पॉलिसी धारक बीमा कराते समय स्वस्थ था, यह बीमा कंपनी के द्वारा नियुक्त किए गए डॉ. एन. सिद्दीकी के मेडिकल रिपोर्ट से प्रमाणित है। इस दौरान बीमाधारक का ईसीजी, ब्लड, यूरिन टेस्ट किया गया और रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद ही बीमा स्वीकृत किया गया। बीमा दावा की राशि देने से इन्कार करने पर आवेदिकाओं ने दो मार्च 2023 को आवेदन देकर बीमा कंपनी से दावा खारिज करने के आधार से संबंधित दस्तावेजों की मांग की थी, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। अधिवक्ता के लीगल नोटिस को लेने से भी इंश्योरेंस कंपनी ने इन्कार कर दिया था। स्थायी लोक अदालत में मामला आने के बाद इंश्योरेंस कंपनी ने अपने जवाब में कहा कि बीमित व्यक्ति ने अपने प्रस्ताव में दिए गए प्रश्नों का उत्तर गलत दिया था और गुमराह करके पॉलिसी जारी कराया, जो बीमा शर्तों के नियम का उल्लंघन है। इस दौरान मृतक का इलाज किए चिकित्सक का बयान भी हुआ था।

इंश्योरेंस कंपनी क्लेम को निरस्त कर किया सेवा में कमी
स्थायी लोक अदालत, जनोपयोगी सेवाएं की अध्यक्ष श्रीमती उर्मिला गुप्ता व सदस्य संतोष कुमार शर्मा ने आवेदिका सविता कश्यप और शिमला देवी कश्यप के आवेदन को स्वीकार करते हुए इंश्योरेंस कंपनी क्लेम को निराधार रूप से निरस्त करने को सेवा में कमी बताया। अनावेदक नेे पेश किए गए पॉलिसी बांड में समएश्योर्ड राशि एक करोड़ दर्शाया है। आवेदिकागणों का बीमा क्लेम निरस्त किए जाने से वे मानसिक रूप से प्रताड़ित हुए हैं। निर्णय पारित किया गया कि अनावेदक इंश्योरेंस कंपनी एक करोड़ रुपये अदा करेंगे, साथ ही दिनांक 11.4.2023 से उक्त राशि पर सात प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्याज भी अदा करेंगे, जो अधिनिर्णय के 30 दिन के अंदर करना होगा। 30 दिन के अंदर अदा नहीं करने पर ब्याज दर 09 प्रतिशत होगा। स्थायी लोक अदालत ने आवेदिकागणों को 20 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति व 5000 रुपये वाद व्यय अदा करने का भी आदेश दिया है।

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