हसदेव बचाओ पचास दिवसीय पदयात्रा का ध्वजारोहण पश्चात संविधान की शपथ ले शुरूआत, 92 वर्षीय पूर्व विधायक देवसाय मरावी ने हरी झंडी दिखाकर यात्रा को किया रवाना

उदयपुर/26 जनवरी को एक ओर पूरा देश जहां ध्वजारोहण कर 75वें गणतंत्र दिवस की खुशियां मना रहा था, वहीं 695 दिनों से हरिहरपुर में नई कोल परियोजनाओं के विरोध में धरना प्रदर्शन पर बैठे लोगों ने धरना स्थल पर ही सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में ध्वजारोहण पश्चात् गांव के देवी देवताओं अपने पुरखों की पूजा कर संविधान की शपथ लेकर 50 दिनों की जल, जंगल, जमीन बचाओ पदयात्रा की शुरूआत कर दी। यह पदयात्रा सरगुजा, सूरजपुर और बलरामपुर जिले के छोटे-छोटे गांव से होकर गुजरेगी तथा इसका समापन संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर के पी.जी. कॉलेज में 15 मार्च को होगा।

सरगुजा जिला अंतर्गत आने वाले विकासखण्ड उदयपुर के ग्राम हरिहरपुर में बना धरना स्थल जो कि झोपड़ी नुमा है विगत 695 दिनों से कई ऐसे पलों का साक्षी बना है, जो आने वाले समय में इतिहास होगा। हरिहरपुर में ग्रामीण आंदोलनकारी नवीन कोल परियोजनाओं को निरस्त कराने, फर्जी ग्रामसभा से स्वीकृत कोल खदान को रद्द करने जैसे कई मांगों को लेकर लगातार बैठे हुये। इन सबके बीच वर्ष 2022 एवं 2023 में दो बार वन अमला द्वारा पुलिस प्रशासन के सहयोग से पीईकेबी खदान के लिए पेड़ों की कटाई भी की जा चुकी है। चुनाव के वक्त कुछ महीनों के लिए कोल परियोजना का संचालन बंद भी रहा। छ.ग. में नई सरकार के बनते ही पेड़ों की कटाई के बाद खदान का संचालन फिर से शुरू हो चुका है।

26 जनवरी को हसदेव बचाओ, सरगुजा बचाओ पैदल यात्रा का शुभारंभ पूर्व विधायक 92 वर्षीय देवसाय मरावी तथा राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद सरगुजा के पदाधिकारियों, जिला पंचायत सदस्य शशि सिंह, डॉ. उदयभान चौहान, डॉ. सत्यजीत साहू तथा अन्य उपस्थित लोगों द्वारा किया गया। यात्रा रवाना होने से पहले धरना स्थल पर ही सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में ध्वजारोहण पश्चात् प्रकृति की पूजा गांव के देवी देवताओं तथा अपने पुरखों की पूजा कर ग्रामीणों ने संविधान की शपथ भी ली। गांव के बैगा द्वारा विधिवत् पूजा सम्पन्न कराई गई।

रायपुर से आये डॉ. उदयभान चौहान ने जल, जंगल बचाने के लिए पदयात्रा शुभारंभ करते हुए कहा कि हमारे इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य जगारूकता है, इस यात्रा के माध्यम से पेशा कानून, पांचवी अनुसूची, ग्राम सभा क्या है? संवैधानिक अधिकार क्या ह?ै हम ग्रामवासियों को जगह-जगह अवगत करायेंगे। छ.ग. में खनिज संपदा भरपूर है, उत्खनन बंद होना चाहिये, जंगलों को उजाड़ना बंद करना होगा। पर्यावरण का मामला सिर्फ हरिहरपुर का नहीं है पूरे विश्व का मामला है, जंगल बचेगा तभी जीव जंतु पशु, पक्षी सभी लोगों को पानी व भोजन मिलेगा।

पूर्व विधायक देवसाय मरावी ने कहा की आंदोलन बहुत बड़ा है जिस तरह से बस्तर में लोहा की खदान है कई सौ सालों तक वहां लोहा निकाला जायेगा, अब वहां बहुत बड़ा जंगल कट चुका है वहां से आदिवासी लोग निकाले गये हं,ै सरगुजा अभी प्रथम स्टेज पर है, हसदेव के जो लोग प्रभावित हैं, केवल उनका सवाल नहीं है पूरे सरगुजा का सवाल है अभी से जागृत और संगठित नहीं रहेंगे और लड़ाकू दिमाग नई बनाके रखेंगे तो आपको ये सब लुट के चले जायेंगे आप देखते रह जायेंगे।

यात्रा के संयोजक रमेश ठाकुर ने कहा की जिस तरीके से अदानी ने छत्तीसगढ़ का नाश करने का ठान लिया है और सरकार उनको संरक्षण दे रही है तो हम आदिवासी इस जंगल को कैसे बचायें यह सोचना होगा। वृक्ष केवल वृक्ष ही नहीं है वह देव है इसलिये हम सब ने ठाना है, जल, जंगल, जमीन की रक्षा हेतु संघर्ष करेंगे। साथ ही उन्होने कहा आदिवासी समाज का होने के नाते अपने समाज के लिए काम करूं, हम आदिवासी जंगल को कैसे बचायें हमारे लिए आज जंगल ही नहीं काटा जा रहा, हमारी परंपरा, संस्कृति, रीति रिवाज को नाश करने का काम किया जा रहा है। यात्रा में पूरे देश से लोग आयेंगे यात्रा 50 दिनों तक चलेगी। अंतिम दिन लाखों की संख्या में लोग संभागीय मुख्यालय अम्बिकापुर में यात्रा समापन कार्यक्रम में शामिल होंगे। यात्रा के उद्देश्य के बारे में बताते हुये कहा कि लोगों के सम्मान एवं स्वाभिमान को कैसे जगाया जाये लोगों को उनके अधिकार के बारे में बताने के लिए ही पदयात्रा का आयोजन किया गया है। दोनों ही पार्टियों पर इन्होने आदिवासियों को धोखा देने का आरोप भी लगाया है।

सूरजपुर की जिला पंचायत सदस्य शशि सिंह ने कहा हसदेव में जो पेड़ों की कटाई का काम अदानी का चल रहा है, यह बहुत ही गलत हो रहा है। हसदेव यदि जाता है तो उससे सिर्फ सरगुजा को ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ पर प्रभाव पड़ेगा, हम आदिवासियों के साथ ना इंसाफी हो रहा है। हम अपने जल, जंगल, जमीन को बचाना चाहते है। हमारा प्रदेश के मुख्यमंत्री और केन्द्र में बैठे मोदी सरकार भी साथ नहीं दे रही है। सभी अडानी के साथ हैं, हसदेव को छोड़ें जंगल को रहने दे ताकि आदिवासी सुरक्षित रहें जिंदगी जीयें जंगल चला जायेगा तो हम सब खत्म हो जायेंगे।

राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद के मंगल उरांव ने कहा हम ग्रामीणों के साथ है, परंतु ना अदानी का विरोध कर रहे है और ना ही शासन-प्रशासन का हम चाहते है जल, जंगल, जमीन को बचाने और मानव अस्तित्व बचाने शासन को बीच का रास्ता निकालना चाहिये।
यात्रा को समर्थन देने राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद जिला सरगुजा से छत्रपाल, जयराम, देवनारायण मरावी, जय श्री कुसुम, रामवृक्ष जगते, सूरज दुबे, सुनील शर्मा रायपुर तथा अन्य जगहों से काफी संख्या में लोग पहुंचे। साथ में आंदोलन स्थल से रामलाल, मुनेश्वर, आनंद, जय सिंह सुनीता, सम्पतिया, देवन्ती, ढोली बाई, ठाकुर राम तथा अन्य ग्रामीण उपस्थित रहे।

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