लाखों का अवार्ड पारित होने के बाद भी डुबान भूमि का नहीं मिला मुआवजा


अंबिकापुर। श्याम घुनघुट्टा परियोजना अंतर्गत ग्रामीणों की डुबान में आई भूमि का अवार्ड पारित होने के बाद भी भू-स्वामियों को मुआवजा की राशि नहीं मिल पाई है। वृद्धावस्था में पहुंच चुके ग्रामीण अभी भी कलेक्टोरेट का चक्कर काट रहे हैं। ये ग्रामीण दरिमा तहसील और एसडीएम कार्यालय अंबिकापुर का चक्कर काटते थक चुके हैं, इसके बाद भी इनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। हैरत की बात यह है कि ग्रामीणों की समस्याओं के त्वरित निवारण के लिए आयोजित किए जाने वाले जनदर्शन में आवेदन देने के बाद भी इनके शिकायत पर किसी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।
मंगलवार को पुन: कलेक्टर के जनदर्शन में पहुंचे दरिमा थाना क्षेत्र के ग्राम पोड़िपा निवासी बिहारी पिता बुधन केवट 57 वर्ष, रामकिशुन पिता बासदेव केवट 60 वर्ष, जानकी पिता बुधन केवट 57 वर्ष ने बताया कि मुआवजा के लिए लंबे समय से वे कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार का चक्कर काट रहे हैं। तहसील जाने पर एसडीएम के यहां जाने कहा जाता है, एसडीएम के यहां से तहसील भेज दिया जाता है। इसके पहले अगस्त 2013 में भी उन्होंने कलेक्टर के जनदर्शन में आवेदन दिया था। इसके बाद उम्मीद थी कि पारित अवार्ड की राशि उन्हें मिल जाएगी, लेकिन आज भी स्थिति यथावत है। कई बार क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों तक उन्होंने अपनी बात पहुंचाई, लेकिन राहत नहीं मिला है। बिहारी केवट के डुबान में आई भूमि का चार लाख 95 हजार 61 रुपये, रामकिशुन का छह लाख 60 हजार 82 रुपये व जानकी का दो लाख 62 हजार 811 रुपये अवार्ड 27 मार्च 2023 को पारित किया गया है, लेकिन इसका भुगतान नहीं हो पाया है। रुपये मिलने पर इन्होंने जमीन खरीदने की सोच बनाई थी जो पूरी नहीं हो पाई है।

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