CM योगी के ब्यूरोक्रेटस मंत्री, MP, MLA की भी नहीं सुन रहे, आइजीआरएस पोर्टल पर दर्ज कर रहे हैं शिकायतें

उत्तर प्रदेश में अफसरशाही के चलते आम आदमी के साथ – साथ विधायक और मंत्री सांसद भी परेशान हैं। अब शिकायतों के रूप में उनकी यह परेशानी सामने आ रही है। आपको बता दे की, उत्तर प्रदेश सरकार ( CM योगी सरकार ) ने इंटीग्रेटेड ग्रीवॉन्स रिड्रेसल सिस्टम लागू कर रखा है, जिसे आइजीआरएस पोर्टल के रूप में जाना जाता है। इस पोर्टल के जरिए कोई भी सीधे मुख्यमंत्री से शिकायत कर सकता है। हाल ही के दिनों में आईजीआरएस पर आम आदमी के साथ – साथ मंत्रियों सांसदों और विधायकों ने भी शिकायत करवानी शुरू कर दी है, जिसने काफी चौंकाने वाली बात सामने आई है। देश में समस्त अफसर मंत्रियों, सांसदों और विधायकों की बात को भी तवज्जो नहीं देते हैं और उनके सुझाए गए कार्यों को बेहद लेटलतीफी करते हैं और ऐसा इन माननीयों की शिकायत के जरिए पता चलता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से नेता और विधायक कई बार इस बारे में मुलाकात के दौरान शिकायत कर चुके हैं।

अगर आईजीआरएस के आंकड़ों की बात करें तो स्वाति सिंह जोकि उत्तर प्रदेश की राज्य मंत्री है, उन्होंने आइजीआरएस पोर्टल पर कॉलोनी हैंडओवर करने के मामले में नगर निगम को एक शिकायत की है, तो वही दूसरी तरफ आईजीआरएस पर सांसद कौशल किशोर ने लखनऊ के मोहनलालगंज सीट से कई शिकायतें दर्ज कराई हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के कई विधायकों जैसे की, कासगंज के विधायक देवेंद्र प्रताप, विधायक नीरज बोरा, बदायूं के विधायक धर्मेंद्र शाक्य, लखनऊ से विधायक सुरेश श्रीवास्तव, बरेली के विधायक डॉ अरुण कुमार, कानपुर नगर के विधायक सुरेंद्र मैथानी और महोली के विधायक शशांक त्रिवेदी ने भी अफसरों की लापरवाही ,अनदेखी और जनता की बात ना सुनने की शिकायत सीधे मुख्यमंत्री के पोर्टल पर की है।

आपको बता दे की, CM योगी के इस पोर्टल पर अब तक करीबन 2 करोड़ 85 लाख शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री सचिवालय ने माननीयों की शिकायत के बाद इस बात को बहुत गंभीरता से लिया है और संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए है और पूरे प्रदेश के ब्यूरोक्रेट्स को साथ-साथ यह भी चेतावनी दी है कि मंत्रियों सांसदों और विधायको की शिकायतों और उनके सुझावों को वह बेहद गंभीरता से लें, और इसके जल्द सुधरने की व्यवस्था करें। उन्होंने यह भी कहा की, अगर उनके इन आदेशों का उल्लंघन किया गया तो संबंधित अधिकारी को इसके दुष्परिणाम भुगतने होंगे।

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