सालों बाद बलरामपुर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कर्मचारियों के बीच कार्यों का विभाजन, किन्तु जिसके विरूद्ध शिकायतों का अंबार, उस पर अब भी कोई कार्यवाही नहीं

एक ही कर्मचारी के पास सालों से थे विभाग के कई महत्वपूर्ण प्रभार, सालों बाद पहली बार हुआ जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कार्यों का विभाजन, कर्मचारियों में खुशी व्याप्त

बलरामपुर(नंदकुमार कुशवाहा)/प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार थी तब बलरामपुर के निजी विद्यालयों के संघ ने एक शिकायत पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के कार्यालय में की थी, जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी बलरामपुर के एक कर्मचारी की शिकायत की गई थी। इस शिकायत में कई बातों का उल्लेख्य था जिसमें महत्वपूर्ण था आरटीई का मामला। आरटीई का वह मामला जो अब भी बलरामपुर जिले में सवालों के घेरे में है, कई स्कूलों ने आरटीई के छात्र-छात्राओं को स्कूल से बाहर कर दिया है, इसके बावजुद जिला शिक्षा अधिकारी के यहां से उक्त मामले में कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। किन्तु जो शिकायत पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को कांग्रेस शासनकाल में की गई थी और जो पत्र तब कार्यवाही हेतु विभाग को लिखा गया था उस पर अब देर सबेर तग कार्यवाही होती दिख नहीं रही है। हालांकि इस पुरे मामले में कोई जांच की अनुशंसा भी अब तक नहीं हुई है, जबकि नियमतः सबसे पहले शिकायत की पुरी जांच होनी चाहिए और फिर विभागीय नियमों के दायरे में संबंधित कर्मचारी पर कार्यवाही होनी चाहिए थी। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बलरामपुर द्वारा सालों बाद कर्मचारियों के बीच कार्यों का विभाजन किया है और जिस कर्मचारी के पास लगभग अधिकतर विभाग थे, उससे अब वे विभाग ले लिये गये हैं। हम बात कर रहे हैं जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बलरामपुर में पदस्थ एमआईएस प्रशासक सुनील जायसवाल की जो हमेशा ही चर्चा एवं विवादों में बने रहते हैं। जिन्होंने एक अभिभावक को यहां तक कह दिया था कि जिला शिक्षा अधिकारी और विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी तो मेरे पैकेट में रहते हैं। अभिभावक ने खबरीचौक से बात करते हुए बताया था कि उसकी पुत्री को आरटीई के तहत् निजी विद्यालय में प्रवेश मिला था, किन्तु विद्यालय द्वारा शुल्क की वसुली की जाने लगी, जब शुल्क देने से मना किया गया तो उनकी पुत्री को विद्यालय से ही निकाल दिया गया। इस संबंध में जब वो सुनील जायसवाल से मिले तो उन्होंने ऐसा बोल कर भगा दिया और कहा कि रूपये तो नहीं लिया जाना चाहिए था और यदि ले रहे हैं तो ठीक है।

अध्यक्ष, प्राईवेट स्कूल एसोसिएशन, बलरामपुर ने जब पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के कार्यालय में शिकायत की थी और लोक शिक्षण संचालनालय, छत्तीसगढ़ ने संभागीय संयुक्त संचालक, शिक्षा संभाग, सरगुजा को पत्र लिख कर मामले में कार्यवाही हेतु निर्देशित किया था। किन्तु उपरोक्त मामले में अब तक न तो जांच हुई और न ही कोई कार्यवाही हुई। हालांकि अब सरकार बदलने के बाद एक ही कर्मचारी सुनील जायसवाल जिनके पास स्टोर, अशासकीय संस्थाओं के मान्यता, अनुदान एवं आरटीई जैसे कई महत्वपूर्ण विभाग थे, उनसे अब सारे विभाग लेकर अलग-अलग कर्मचारियों को वितरित किया गया है। जिसकी चर्चा जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बलरामपुर सहित पुरे शिक्षा विभाग में चर्चा है कि जो काम कई डीईओ और अधिकारी नहीं कर सके वह कार्य अचानक से कैसे हो गया।
एमआईएस सुनील जायसवाल के ऊपर कई आरोप भी समय-समय पर लगते रहे हैं। कभी समतुल्यता परीक्षा के फर्जी अंकसूची जारी करने का तो कभी बिना टेंडर के शिक्षा अधिकारी कार्यालय के रिनोवेशन सहित आरटीई के तहत् कई विद्यालयों में नियम के विरूद्ध लाभ पहुंचाने का मामला भी अब तक लंबित है। किसी भी मामले में कोई जांच अब तक नहीं हुई है।

सारे प्रभार हाथ से जाने पर फिर लगे प्रभार पाने के जुगाड़ में….
इतने वर्षों तक कई महत्वपूर्ण शाखाओं का प्रभार संभालने के बाद प्रभार बदलने का आदेश जारी होते ही फिर से जुगाड़ की प्रक्रिया शुरू हो गई है। क्योंकि प्रभार हटते ही अगर इनके विरुद्ध जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई तो कई मामले उजागर होने की संभावना है, जो इनकी सरकारी नौकरी के लिए खतरे की घंटी है। हालांकि यह भी एक बड़ी बात है कि इतने शिकायतों के बाद भी आखिरकार कोई भी अधिकारी अथवा शिक्षा विभाग क्यों जांच नहीं करता है और कार्यवाही करने से बचता है। इन्हें किसका प्रश्रय मिला हुआ है। क्या अब सरकार बदलने के बाद भी कोई कार्यवाही होगी अथवा नहीं।

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