अकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

संत गहिरा गुरू विवि में एनईपी पर कार्याशाला का आयोजन

अंबिकापुर। आईएएसई डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी गांधी विद्या मंदिर, आईक्यूएससी एवं संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा अंबिकापुर के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का विषय अकेडमिक बैंक ऑफ डिजी लॉकर इन हायर एजुकेशन सिस्टम इन इंडिया स्ट्रेटजिक इंप्लेमेंटेशन एंड रेगुलेटरी मैकेनिज्म अंडर एनईपी 2020 रखा गया। कार्याशाला के उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष प्रो. बीएल शर्मा कुलपति आईएएसई डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी, सह अध्यक्ष प्रो. अशोक सिंह, कुलपति, संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय, मुख्य अतिथि हिमांशु दूगड़ अध्यक्ष गांधी विद्या मंदिर, मुख्य वक्ता तेजस पी. जोशी, संयुक्त सचिव यूजीसी गौरव खरे, राष्ट्रीय समन्वयक एनएडी स्वर्णा पर्व स्वाईन, राजस्थान समन्वयक एनएडी उपस्थित रहे। डॉ. आनंद कुमार सहायक आचार्य सं.ग.गा. विश्वविद्यालय आभासी माध्यम से जुड़े।
तेजस पी. जोशी ने बताया अकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। नई शिक्षा नीति में इस बात को ध्यान रखा गया है कि शिक्षार्थी स्वतंत्र रूप से कैसे शिक्षण को जारी रख सकता है। इसके द्वारा शिक्षार्थी अपनी अन्य मजबूरियों के कारण पढ़ाई छोड़ देते हैं, वे अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएंगे। इससे नामांकन भी बढ़ेगा। हिमांशु दूगड़ ने कहा कि डेटा के सदुपयोग की ओर बढ़ना होगा, इसके लिए आईएएसई. डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी ने अपना सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिससे प्रमाणीकरण की प्रक्रिया में थोड़ा सा समय लगता है। विश्वविद्यालय का समस्त डाटा ऑनलाइन कर दिया गया है। डिजिटलाइजेशन का आज के समय में बहुत ही महत्व है। कार्यशाला में हम इस प्रक्रिया को समझे और लागू करें। प्रो. बीएल शर्मा ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कार्यशाला का महत्व उजागर करने हुए बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को इसी वर्ष लागू किए जाने का सरकारी आदेश है। अकेडमिक क्रेडिट सिस्टम की प्रक्रिया व तकनीकी को जानना ही कार्यशाला का उद्देश्य है। यह भी उल्लेखनीय है कि कार्यशाला का एक उद्देश्य हिन्दी भाषी लोगों को इस प्रक्रिया से अवगत कराना है। इस प्रक्रिया को लागू करने में अनेक कठिनाइयां हैं जिन्हें दूर करना आवश्यक है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए कार्यशाला महत्वपूर्ण है। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. आरके शर्मा ने किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मां शारदे के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन करके किया गया। अतिथियों का सम्मान शॉल, श्रीफल व माल्यार्पण द्वारा किया गया। संचालन डॉ. रंजीता बैद, सहायक आचार्य ने किया। कार्यशाला में 11 राज्यों के 45 विश्वविद्यालयों के 262 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन व ऑफलाइन सहभागिता की। कार्यशाला में आठ तकनीकी सत्र होंगे, जिसमें संदर्भ व्यक्ति स्वर्ण प्रवा स्वैन, गौरव खरे, तेजस प्रद्युम्न जोशी, संयुक्त सचिव यूजीसी शामिल होंगे। प्रथम तकनीकी सत्र में स्वर्णा ने नेड, एबीसी व डिजीलॉकर के बारे में प्राथमिक जानकारी दी एवं गौरव खरे ने संपूर्ण प्रक्रिया, लॉगिन एवं सुरक्षा सावधानियों के बारे में विस्तृत रूप से बताया। प्रश्नोत्तर सत्र भी रखा गया।

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