डीजे के तेज आवाज से बन रही ब्रेन हेमरेज की स्थिति


सरगुजा संभाग के 40 वर्षीय युवक की केस स्टडी सेे चिकित्सक हतप्रभ

अंबिकापुर। उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद भी सरकार और स्थानीय प्रशासन कोलाहल अधिनियम से लोगों को राहत नहीं दिला पाया है। डीजे की कानफोड़ू गूंज लोगों के लिए घातक साबित हो रही है। इसी क्रम में सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिला में डीजे के साउंड से ब्रेन हेमरेज होने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।

40 वर्षीय युवक ना तो किसी दुर्घटना में आहत हुआ है और ना ही उसे ब्लडप्रेशर है और कोई अन्य कोई बीमारी है, वह ब्रेन हेमरेज का शिकार हो गया। डॉक्टर ने जब उसके केस हिस्ट्री को टटोला तो वह बताया कि तेज आवाज में डीजे बज रहा था, इसी दौरान उसे चक्कर आ गया था।

युवक के द्वारा बताई गई बातों के बाद यह सामने आ रहा है कि डीजे का तेज आवाज अब युवकों पर भी भारी पड़ रहा है। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध चिकित्सालय अंबिकापुर में दो दिनों के बीच 500 मरीजों में कान में सुनाई देने की क्षमता की जांच करने पर 161 मरीज में सुनाई देने वाली नसों का प्रभावित होना सामने आया है।

वर्तमान में ध्वनि प्रदूषण के कारण बधिरता में 15 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा रही है। डीजे के तेज आवाज के साथ होने वाली कंपन इतनी खतरनाक रहती है कि घरों के आसपास से गुजरने पर कंपन की स्थिति बनती है। अत्यधिक आवाज में घरों में स्टैंड में रखे बर्तन गिरने व खपरपोश मकानों के खपड़े गिरने जैसे मामले पूर्व में सामने आ चुके हैं।

70 डेसिबल तीव्रता की ध्वनि उपयुक्त-डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता
राष्ट्रीय बधिरता रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता का कहना है कि समान्य तौर पर 70 डेसिबल की तीव्रता की ध्वनि मानव शरीर के लिए उपर्युक्त है। 85 डेसिबल की ध्वनि तीव्रता का लगातार कान में पड़ने से सुनने की क्षमता में स्थायी रूप से कमी कर सकती है।

सुनने की क्षमता के साथ-साथ स्वभाव में चिड़चिड़ापन, उच्च रक्तचाप, हृदयघात, लकवा, अनिद्रा, भृलने की बीमारी व एलजाइमर्स बीमारी होने की संभावना हो सकती है।

इसके बाद भी कोलाहल अधिनियम का उल्लंघन रोजाना हो रहा है। उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद भी सरकार या स्थानीय प्रशासन इस पर विराम नहीं लगा पाई है।

सीटी स्कैन रिपोर्ट देखकर चौंके चिकित्सक
सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिला अंतर्गत सनावल क्षेत्र निवासी संजय जायसवाल को दो दिन पहले अचानक चक्कर आया और उल्टी हो रही थी। स्वास्थ्यगत समस्या को देखकर वो इसका इलाज कराने के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर आया था।

यहां कान, नाक गला विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ने मरीज की बातों को सुनकर उसका सीटी स्कैन कराया तो सामने आया कि युवक के सिर के पीछे के हिस्से की नस फटने से रक्त का थक्का जम गया था। इसे देखकर वे हैरत में पड़ गए।

चिकित्सक का कहना है कि ऐसा हाई ब्लड प्रेशर, एक्सीडेंट या मारपीट की घटनाओं में होता है। युवक से जब उन्होंने विस्तृत ब्यौरा लिया तो उसने तेज आवाज में डीजे बजने और चक्कर आने की जानकारी दी थी।

ध्वनि प्रदूषण से आमजन का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा
नोडल अधिकारी ने कलेक्टर व एसपी को सौंपा ज्ञापन
राष्ट्रीय बधिरता रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत नोडल अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता ने युवक के साथ बनी परिस्थिति और अत्यधिक शोर से श्रवण क्षमता कम होने के मामले सामने आने पर ध्वनि प्रदूषण से होने वाले खतरों से बचाव के लिए कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक सरगुजा को ज्ञापन सौंपा है।

इसमें उल्लेख किया गया है कि ध्वनि विस्तारक यंत्र के द्वारा उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण से आमजन का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। दो माह में 500 मरीजों की जांच में 161 मरीजों में सुनाई देने वाली नसों का प्रभावित होना सामने आया है। तीव्र ध्वनि प्रदूषण से बुजुर्गों के स्वास्थ्य में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

रात्रि 10 बजे के बाद ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग करना वर्जित है। इसके साथ ही बलरामपुर जिले के चलगली ग्राम पंचायत के मरीज का ज्ञापन में उल्लेख किया करते हुए डीजे के तीव्र ध्वनि से पड़ रहे दुष्प्रभाव से अवगत कराया गया है।

उन्होंने बताया है कि मरीज का सीटी स्कैन कराने पर मस्तिष्क में रक्त स्त्राव पाया गया। मरीज को ईलाज हेतु रायपुर भेजा गया है।

न्यायालय ने कहा है-फोन आने का इंतजार न करें अधिकारी
ध्वनि प्रदूषण के संबंध में दायर की गई एक जनहित याचिका का निराकरण करते हुए उच्च न्यायालय ने 27/04/2017 को आदेशित किया है कि कलेक्टर, एसपी और जिला प्रशासन के अधिकारी अनिवार्य रूप से पर्यावरण के संरक्षक है।

न्यायालय ने आदेशित किया है कि अधिकारी ध्वनि प्रदूषण के मामले में सकारात्मक कार्रवाई करें ना किसी नागरिक के फोन का इंतजार करें। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि राज्य पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों को भी शिकायत दर्ज कराना है।

सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है कि गाड़ियों पर साउंड बाक्स रखकर डीजे बजाने पर कलेक्टर तथा एसपी सुनिश्चित करें कि कोई भी वाहन पर साउंड बाक्स न बजे। वाहन में साउण्ड बाक्स मिलने पर साउण्ड बाक्स जब्त कर वाहन का रिकार्ड रखा जाए।

जप्त साउंड बाक्स को मजिस्ट्रेट (कलेक्टर) के आदेश के बाद ही छोड़ा जाना है। द्वितीय बार पकड़े जाने पर उस वाहन का परमिट निरस्त किया जाएगा तथा उच्च न्यायालय के आदेश बिना उस वाहन को कोई भी नया परमिट जारी नहीं किया जाएगा।

उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि नियम का उल्लघंन करते पाये जाने पर संबंधित अधिकारी पर अवमानना कार्रवाई होगी।
पहले नम्रतापूर्वक, विरोध करने पर कोर्ट में कार्रवाई की जाए
उच्च न्यायालय ने कहा है जब भी शादियां, जन्मदिन, धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रमों में निर्धारित मापदण्डों से अधिक ध्वनि प्रदूषण होने पर अधिकारी जाएं, तो लोगों की भावना की कद्र करते हुए नम्रतापूर्वक उन्हें उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने को कहें।

अगर आयोजक विरोध करता है तो उसके विरूद्ध कोर्ट में कार्रवाई की जाए। इसके अतिरिक्त संबंधित अधिकारी आयोजक के विरूद्ध उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करने पर अवमानना का प्रकरण उच्च न्यायालय में दायर करें।

परंतु अगर ध्वनि प्रदूषण यंत्र, टेन्ट हाउस, साउण्ड सिस्टम प्रदायकर्ता या डीजे वाले का पाया जाता है तो उसे सीधे जप्त किया जाएगा।

उच्च न्यायालय ने यह भी दिया है निर्देश
उच्च न्यायालय का आदेश है कि वाहनों में प्रेशर हार्न अथवा मल्टी टोन्ड हार्न पाया जाता है तो संबंधित अधिकारी कलेक्टर, एसपी, एसडीएम, आरटीओ एवं डीएसपी तत्काल ही उसे वाहन से निकालकर नष्ट करेगा तथा रजिस्टर में दर्ज करेगा।

अधिकारी इस संबंध में वाहन नंबर के साथ मालिक तथा चालक का डाटा बेस इस रूप में रखेगा कि दोबारा अपराध करने पर वाहन जप्त किया जाए तथा उच्च न्यायालय के आदेश के बिना जप्त वाहनों को नहीं छोड़ा जाएगा। स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, कोर्ट, आफिस से 100 मीटर एरियल डिस्टेन्स पर लाउड स्पीकर बजने पर ध्वनि प्रदूषण यंत्रों को जप्त करना होगा।

बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति से प्रदूषण यंत्रों को वापस नहीं किया जाएगा। द्वितीय गलती पर जप्त किए गए प्रदूषण यंत्रों को उच्च न्यायालय के आदेश बिना वापस नहीं किया जाएगा।

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