महिलाओं के उत्थान में लैंगिक विविधता की भूमिका पर टॉक शो, केआर टेक्निकल कॉलेज में किया गया आयोजन

अंबिकापुर। केआर टेक्निकल कॉलेज में विकसित भारत 2047 के तहत आइक्यूएसी, इक्वल अपॉर्चुनिटी सेल, वूमेन एंपावरमेंट सेल, जेंडर इशू क्लब और एंटी सेक्सुअल ह्रासमेंट सेल के संयुक्त तत्वाधान में ‘महिलाओं के उत्थान में लैंगिक विविधता की भूमिका’ विषय पर टॉक शो का आयोजन किया गया।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रितेश वर्मा ने कहा महिलाओं की भूमिका दफ्तर से लेकर घर तक जिम्मेदारी से परिपूर्ण होती है, इसलिए उन्हें स्वास्थ्य, विधिक, अधिकार, रोजगार जैसे सभी मामलों में ज्यादा जागरूक होने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य को पूरा करने महाविद्यालय द्वारा यह आयोजन किया जा रहा है। टॉक शो में वक्ता डॉ. अलका जैन सहायक प्राध्यापक शासकीय राजमोहिनी देवी कन्या महाविद्यालय ने छात्रों को स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखना चाहिए, दिनचर्या के साथ किस प्रकार का संतुलित लेना चाहिए, विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा हमें पूरे दिन भर में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए। महिलाओं को पूरे परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान रखना होता है ऐसे में उन्हें खाना बनाते, परोसते समय, रख-रखाव का ध्यान रखना चाहिए। श्वेता सिन्हा प्राचार्य, मॉडर्न कान्वेंट स्कूल, कल्याणपुर ने कार्यस्थल पर लैंगिक भेदभाव विषय पर चर्चा करते हुए इसे बड़ी सामाजिक समस्या करार दिया। उन्होंने मजदूर महिला एवं पुरुष वर्ग के वेतन विसंगति के माध्यम से इसे समझाने का प्रयास किया और कहा कि यह भेदभाव कार्यस्थल ही नहीं अपितु हमारे घरेलू कार्य में भी देखने को मिलता है।इस दौरान छात्राओं ने उनसे सवाल भी किए। भारत में लैंगिक भेदभाव कानून पर चर्चा करते हुए विधि अग्रवाल अधिवक्ता, जिला एवं सत्र न्यायालय ने कहा कि भारत देश को संचालित करने के चार स्तंभ है। उन्होंने भारतीय दंड विधान में महिलाओं के लिए दिए गए विभिन्न कानून के बारे में बताया और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया। विवाह के पश्चात महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों के प्रति कानून के विभिन्न प्रावधानों पर चर्चा की। सोशल मीडिया के माध्यम से महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ कैसे कानूनी मदद ली जा सकती है, इस पर भी प्रकाश डाला। जया शर्मा प्राचार्य कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज ने क्या प्रौद्योगिकी लैंगिक भेदभाव को कम कर सकती है, विषय पर चर्चा करते हुए कहा आज के दौर में मोबाइल हमारे हाथ में है इसका हम दुरुपयोग करते हैं, जबकि कई ऐसे ऐप हैं जिनका उपयोग हम सुरक्षागत दृष्टि व कई कार्यों में कर सकते हैं, जिनके लिए हम पुरुषों पर आश्रित रहते हैं। स्मार्टफोन में ऐसी सुविधाएं हैं जिनका उपयोग करके पढ़ाई से लेकर कमाई, खरीदारी, बिल पेमेंट, शिक्षा, स्वास्थ्य, ज्ञान जैसी कई सुविधा पा सकते हैं। शिक्षा में लिंग भेदभाव के मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर चर्चा करते हुए पूजा दुबे सहायक प्राध्यापक संत हर केवल शिक्षा महाविद्यालय ने कहा कि हमें लड़का-लड़की होने के दबाव से मुक्त होकर वही शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए, जिसकी इच्छा है। शिक्षा वह हथियार है, जिसके माध्यम से मानव को मानव बनाकर लैंगिक भेदभाव को समाप्त किया जा सकता है। अंत में महाविद्यालय की डायरेक्टर रीनू जैन ने कहा कि हमें परिवार में भी अपना अस्तित्व बना कर रखना होगा, इसके लिए स्वयं के अंदर क्षमता का विकास जरूरी है। देश के प्रतिष्ठित पद राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री में महिलाओं की भागीदारी का प्रतिशत देखने से यह लगता है कि हमें अभी भी सशक्त होने की आवश्यकता है। उन्होंने ख्यातिलब्ध महिलाओं का उदाहरण देते हुए बताया कि मेहनत करके हम भी अपना कद बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा चुनौतियां उन्हीं के सामने आती हैं जो उनका सामना करने के योग्य होते हैं। उन्होंने आगंतुक अतिथि एवं वक्ताओं का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य ने सभी वक्ताओं का प्रशस्तिपत्र देकर सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन आइक्यूएसी की कोऑर्डिनेटर प्रज्ञा सिंह राजपूत ने किया।

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