किसानों की मूल मांग एमएसपी कानून को लेकर आज तक नहीं हुई एक भी बैठक


केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप, छत्तीसगढ़ किसान सभा ने संगठन को मजबूत बनाने की कार्यशाला

अंबिकापुर। प्रदेश में छत्तीसगढ़ किसान सभा के समक्ष उपस्थित चुनौतियां तथा आंदोलन, संगठन को मजबूत बनाने हेतु पुनर्गठन के उद्देश्य से सरगुजा संभाग स्तरीय कार्यशाला का आयोजन ग्राम कल्याणपुर जिला सूरजपुर में किया गया।
कार्यशाला सभा का उद्घाटन करते हुए बिहार के किसान नेता व अखिल भारतीय किसान सभा संगठन में छत्तीसगढ़ के इंचार्ज अवधेश प्रताप सिंह ने कहा हमें गर्व है कि हम उस किसान सभा के कार्यकर्ता हैं जिसकी स्थापना 1936 में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, दांडी सन्यासी स्वामी सहजानंद सरस्वती ने की थी। उन्होंने किसानों के समक्ष उपस्थित चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी बहुत सारी उपलब्धियों में 14 महीने का दिल्ली आंदोलन भी है, जिसने नरेंद्र मोदी सरकार को घुटने पर ला दिया। इस आंदोलन को समाप्त कराने के लिए मोदी ने कई वायदे किए थे किन्तु यह सरकार उन वादों से मुकर रही है। एमएसपी कानून जो किसानों की मूल मांग है उस पर आज तक एक भी बैठक आयोजित नहीं की गई। जब तक एमएसपी की मांग पूरी नहीं होती है तब तक किसानों की समस्या का समाधान होने की संभावना नहीं है। बादल सरोज ने कहा किसान अपने समक्ष चुनौतियों का सामना तभी कर सकता है जब उसके पास एक सशक्त संगठन हो, जिसकी खासकर छत्तीसगढ़ में अति आवश्यकता है, क्योंकि यहां किसानों की अपार समस्याएं हैं। इनमें से विस्थापन की समस्या प्रमुख है। पर्यावरण की समस्या मुंह बाए खड़ी है। केंद्र सरकार छल-कपट करके जंगलों की कटाई कर रही है। उन्होंने कहा भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही क्षेत्र की जनता को छला है। अपने-अपने समय में दोनों ने वायदे किए कि हसदो जंगल काटने नहीं दिया जाएगा, लेकिन दोनों अपने वादों से मुकर करके जंगल को कटवाए। वर्तमान में भाजपा सत्ता संभालते ही हसदो जंगल पर बेरहमी से टूट पड़ी और क्षेत्र की जनता को नजरबंद करके गैर-कानूनी और गैर जनतांत्रिक तरीके से इन्हें बंधक बनाकर रातों-रात लाखों पेड़ कटवा दी, यह घोर निंदनीय है। सरकार अदानी के दलाली में इस कदर मदहोश है कि तानाशाही पर उतर आई है। उन्होंने संगठन को मजबूत करने कुछ टिप्स बताए, जिसे उपस्थित लोगों ने अंगीकार किया। संजय पराते ने कहा कि संगठन और संघर्ष एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जब आंदोलन होगा तभी संगठन होगा और जब संगठन बनेगा तभी आंदोलन होगा। उन्होंने कहा एक सशक्त संगठन के लिए सशक्त आंदोलन का होना जरूरी है और सशक्त आंदोलन के लिए सशक्त संगठन का भी होना जरूरी है। सभा में बहस की शुरुआत करते हुए सीपी शुक्ल ने कहा कि हमें किसान सभा की सदस्यता को गंभीरता से लेना होगा। घर-घर जाकर सदस्यता करना होगा और जिस भी रूप से हमें सदस्यता शुल्क मिले उसे अंगीकार करना चाहिए। सदस्यता के बाद हमें संगठन के विभिन्न स्तरों पर कमेटियां बनाना होगा, तभी संगठन का पिरामिड खड़ा होगा। कार्यशाला में लगभग 25 किसान साथियों द्वारा संगठन को मजबूती प्रदान करने उपयोगी सुझाव दिए। समस्त सुझावों पर किसान कार्यकर्ताओं ने अमल करनेे का संकल्प लिया। सभा का संचालन ऋषि कुमार गुप्ता एवं अध्यक्षता माधव सिंह ने की। कार्यशाला समापन एवं धन्यवाद ज्ञापन कपिल देव पैकरा ने किया।

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