सुप्रीम कोर्ट में दलील, पर्यावरण से ज्यादा अहम मानव जीवन की रक्षा

सुप्रीम कोर्ट में बृहस्पतिवार को एक मामले की सुनवाई के वक़्त केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि मानव जीवन की रक्षा और पर्यावरण की रक्षा दोनों में से किसी एक को चुनना हो तो फिलहाल हमें मानव जीवन की रक्षा पर गौर करना चाहिए। दरअसल, शीर्ष अदालत वेदांता की उस याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है, जिसमें उसने तमिलनाडु के तूतीकोरिन स्थित स्टरलाइट कॉपर संयंत्र को फिर से शुरू करने की इजाज़त मांगी है। वेदांता ने कहा है कि इस संयंत्र को स्वास्थ्य के मकसद से खोलने की इज़ाज़त देने से हज़ारो टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो सकेगा। यही नहीं हम यह ऑक्सीजन कोविड – 19 मरीजों को मुफ्त में देंगे।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष वेदांता और केंद्र ने संयुक्त रूप से संयंत्र को खोलने का अनुरोध किया। वेदांता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे का कहना है कि, वेदांता तांबे को गलाने काम शुरू करने की बात नहीं कर रहा है, बल्कि अपने ऑक्सीजन संयंत्र को क्रियाशील बनाने के लिए अनुरोध कर रहा है, ताकि उसे चिकित्सा उददेश्यों के लिए हज़ारो टन ऑक्सीजन उपलब्ध कर सके। साल्वे ने कहा, लोग रोज मर रहे हैं। हम केवल ऑक्सीजन संयंत्र शुरू करने की अनुमति चाहते हैं। इतना ही नहीं हम इसे मुफ्त में आपूर्ति करेंगे। अगर आज हमें अनुमति मिला जाए तो हम पांच – छह दिनों में इसका उत्पादन शुरू कर सकते हैं।
तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार सभी संभावित स्त्रोतों से ऑक्सीजन आपूर्ति बढ़ाने का प्रयास कर रही है। वेदांता अपने संयंत्र को केवल ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए संचालित करना चाहती है।

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