बस में बैठते ही हो गया विस्फोट, छात्र फिर लौटे हॉस्टल

यूक्रेन के सुमी शहर में फंसा मथुरा के कस्बा सौख निवासी मनीष अपने साथियों के साथ शहर से निकलने के लिए बस में बैठा ही था तभी दस किलोमीटर की दूरी पर ब्लास्ट ने हिलाकर रख दिया। इस स्थिति में सभी छात्र दहशत के माहौल में फिर हॉस्टल के बंकर में लौट गए। अब आगे क्या व्यवस्था होगी, उसे नहीं पता है।

कस्बा के पुन्नाथोक निवासी मनीष के पिता अशोक ने बताया कि 12 दिन से वे अपने पुत्र के लगातार संपर्क में हैं। सुमी शहर की स्थिति ठीक नहीं हैं। यहां सबसे ज्यादा भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। उन्हें निकासी के लिए कोई मदद नहीं मिल पा रही है। मनीष यूक्रेन की सुमी स्टेट यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस द्वितीय वर्ष का छात्र है।

उसने बताया कि यहां रह रहे सभी छात्र दहशत में हैं। सुमी यूनिवर्सिटी से छात्र ने अपने निजी खर्चे पर कोलतारा शहर पहुंचने के लिए किराए पर बस बुक की थी। वहां से ट्रेन में बैठकर लवीव शहर पहुंचना था। सोमवार को दोपहर के वक्त बस सूमी यूनिवर्सिटी छात्रों को लेने पहुंची। यूनिवर्सिटी से निकल कर बस में बैठने के लिए जैसे ही छात्र पहुंचे, तभी बम ब्लास्ट हो गया। इससे छात्र बस में नहीं बैठ पाए। हालांकि रूस, यूक्रेन में वार्ता और भारतीय छात्रों की निकाली के लिए चल रहे प्रयासों पर संतोष जाहिर करते हुए अपनी जल्द निकासी की उम्मीद जाहिर की है।

कड़ाके की ठंड के बीच बस में 16 घंटे बैठे रह रामपुर के आशीष, फिर छह दिन सफर कर नसीब हुआ वतन लौटना

यूक्रेन के उजहोरोद में फंसे रामपुर के आशीष छह दिन बाद आखिरकार अपने परिजनों के बीच पहुंच गए। इस बीच उन्हें 16 घंटे तो बस में ही बैठकर गुजारने पड़े। कड़ाके की सर्दी के बीच उन्हें काफी दिक्कतें भी हुई। आशीष राजपूत नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी उजहोरोद से एमबीबीएस कर रहे हैं। यह उनका तीसरा साल है। उन्होंने बताया कि भारतीय दूतावास से एडवाइजरी जारी होने के बाद एक मार्च को बस के जरिये हंगरी बॉर्डर के लिए निकल गए। बॉर्डर उनके हॉस्टल से करीब 27 किलोमीटर दूर था। उन्होंने बताया कि उनके हॉस्टल के आसपास तो हालात सामान्य थे। हालांकि अपने दोस्तों से बात करते थे, तो फोन पर धमाकों की आवाज सुनाई पड़ती थी। उन्होंने बताया कि अगले दिन बॉर्डर पार कर लिया।

15 दिन से यूक्रेन बॉर्डर पर फंसा है आगरा का एनआरआई परिवार

यूक्रेन में फंसे बेटा, बहू और पोता-पोती के लिए सुभाष पार्क स्थित बैंक कॉलोनी निवासी 78 वर्षीय घनश्याम दास 15 दिन से राह देख रहे हैं। भारतीय मूल का यह परिवार 15 दिन से यूक्रेन में स्लोवाकिया बॉर्डर पर फंसा है। घनश्याम दास के पुत्र मुकेश गुप्ता 25 साल से यूक्रेन के कीव में क्रूज टूर एजेंट हैं। घनश्याम दास ने बताया कि बहू यूक्रेनियन है। उसके साथ 23 साल का पोता और पांच साल एवं 19 साल की दो पोती हैं। उनके पास यूक्रेनी पासपोर्ट होने के कारण वहां की सेना उन्हें बॉर्डर पार नहीं करने दे रही। बुजुर्ग पिता ने डीएम प्रभु एन सिंह से मदद की गुहार लगाई है।

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