मेडिकल में ओबीसी व गरीबों को आरक्षण इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब पांच भाषाओं में

केंद्र सरकार ने चिकित्सा शिक्षा में राष्ट्रीय पात्रता – सह – प्रवेश परीक्षा ( नीट ) के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग ( ओबीसी ) को 27 और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ( ईडब्ल्यूएस ) को 10 फिसदी का आरक्षण देने का बड़ा फैसला किया है। यह नियम मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2021 – 22 से ही अखिल भारतीय कोटे के तहत एमबीबीएस – बीडीएस और स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठयक्रमों पर लागू होगा।

साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई शिक्षा नीति के एक साल पूरे होने के अवसर पर एलान किया कि आठ राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों में पांच भारतीय भाषाओं हिंदी, तमिल, तेलुगू, मराठी व बांग्ला में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरु होंगी। इंजीनियरिंग के पाठयक्रमों का 11भारतीय भाषाओं में अनुवाद के लिए उपकरण विकसित किया गया है, ताकि इन भाषाओं के विद्यार्थियों को पढ़ाई में आसानी हो। पीएम मोदी ने इसके साथ ही कई और घोषणाएं भी कीं।

मेडिकल की पढ़ाई में आरक्षण से एमबीबीएस में हर साल करीब 1500 और स्नातकोत्तर में 2500 ओबीसी विद्यार्थियों को फायदा मिल सकेगा। इसी तरह एमबीबीएस में करीब 550 और स्नातकोत्तर में एक हज़ार ईडब्ल्यूएस विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इसे ऐतिहासिक निर्णय करार दिया।

पहली बार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलेगा फायदा

अब ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल पाठ्यक्रमों के साथ डेंटल कोर्स में 37 फीसदी सीटें आरक्षित होंगी। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को पहली बार नीट में अखिल भारतीय स्तर पर दस फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा।
यह फैसला हज़ारो युवाओं को हर साल बेहतर अवसर प्राप्त करने और देश में सामाजिक न्याय का एक प्रतिमान बनाने में बेहद मदद करेगा। – नरेंद्र मोदी, पीएम भारत

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मंत्रालयों की समीक्षा बैठक में इस मुद्दे का कोर्ट से बाहर जल्द समाधान निकालने का निर्देश दिया था।

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