लोगों के लिए ‘ दूसरा घर ‘ बन रहे स्मार्ट फोन

कोरोना महामारी के इस संकट भरे दौर में स्मार्ट फोन और गैज़ेट्स पर लोगों की निर्भरता हर दिन बढ़ रही है। हाल में हुए एक नए अध्ययन में गैज़ेट्स के उपयोग और प्रभावो को लेकिन शोधकर्ताओ ने चेतावनी दी है कि स्मार्ट फोन ‘ ‘ ‘ हमारे लिए घर बन रहे हैं ‘। यूसीएल के मानवविज्ञानियों ने एक वर्ष के दौरान आयरलैंड से लेकर इटली तक दुनिया भर के बुजुर्ग व्यस्को में स्मार्ट फोन के उपयोग का अध्ययन किया।

घर की तरह मानते हैं लोग : इस महत्वपूर्ण अध्ययन में पाया गया है कि लोग खाली समय बिताने के एक सधान के रूप में देखने के बजाय स्मार्ट फोन को अपने घर की तरह मानते हैं। एक ऐसी जगह जहां वे रहते हैं। अध्ययन के प्रमुख लेखक प्रोफेसर डैनियल मिलर का कहना है कि स्मार्ट फ़ोन का उपयोग सभी आयु समूहों के लोगों के बीच आमने – सामने बातचीत को खत्म करने के मामले में अग्रणी था। ऐसा इसलिए, क्योंकि लोग घर जाते है और एक डिवाइस में व्यस्त हो जाते हैं। खाने के वक़्त, मीटिंग के वक़्त और अन्य साझा गतिविधियों के वक़्त भी वह इन्हीं में व्यस्त रहते है। व्यक्ति अपने स्मार्ट फ़ोन में इतना व्यस्त होते हैं कि वह उस जगह पर होते हुए भी नहीं होता है।

मैसेजिंग ऐप बन रही हैं बड़ी वजह : शोधकर्ताओं की टीम का कहना है कि इंसानों के इस व्यवहार का कोई विशिष्ट कारण तो नहीं है, मगर संदेह है कि इनके पीछे व्हाट्सऐप, वी ‘ चैट जैसे अन्य तमाम मैसेजिंग ऐप कारण हो सकते हैं। इनके जरिए लोग दूर रहकर भी परिवार और दोस्तों से जुड़े रहते हैं।

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