अंबिकापुर। सरगुजा जिला बास्केटबाल संघ की प्रशिक्षित खिलाड़ी साक्षी भगत का खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2023 मध्य प्रदेश के लिए चयन हुआ है। छत्तीसगढ़ से खेलो इंडिया बास्केटबॉल टीम के सदस्यों में खिलाड़ी में साक्षी भगत और टीम मैनेजर में राष्ट्रीय कोच राजेश प्रताप सिंह चुने गए हैं, जो मध्य प्रदेश में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स में सम्मिलित होंगे। खेलो इंडिया यूथ गेम्स के लिए इनका चयन होने पर संघ के अध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंहदेव ने बधाई दी और सरगुजा जिले के लिए इसे बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा है कि यह उपलब्धि सरगुजा के राष्ट्रीय कोच राजेश प्रताप सिंह की मेहनत और लगन का परिणाम है। शहर से खिलाड़ी प्रतिभाएं सामने आई हैं, जिन्होंने कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हंै।
राष्ट्रीय कोच राजेश प्रताप सिंह ने बताया कि खेलो इंडिया कार्यक्रम में किसी भी खिलाड़ी का खेलना ही सबसे बड़ी उपलब्धि है। सरगुजा जिले से 2018 खेलो इंडिया का पहला मशाल मैनपाट की सुलोचना तिग्गा ने जलाया, तब से लेकर सरगुजा जिले में एकमात्र बास्केटबॉल खेल से कई बालिका खिलाडिय़ों ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स में प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने बताया खेलो इंडिया यूथ गेम्स में सरगुजा जिले से एक ना एक बास्केटबाल खिलाड़ी शामिल रहता है। खेलो इंडिया युथ गेम्स 2023 अंतर्गत जिन खिलाडिय़ों का चयन किया गया है, उन्हें खेल कौशल के विकास के लिए सालाना पांच लाख रुपये दिए जाएंगे। राष्ट्रीय आयोजन के लिए उन्हें खुद को तैयार करना होगा। यह वित्तीय सहायता लाभार्थियों को आठ वर्षों तक प्रदान की जाएगी। खेलो इंडिया यूथ गेम्स के चौथे संस्करण का उद्घाटन 30 जनवरी से 11 फरवरी तक भोपाल के शौर्य स्मारक में इंडिया यूथ गेम्स-2023 की थीम सांग के साथ होगा। इसमें देश के छह हजार से ज्यादा खिलाड़ी हिस्सा लेने वाले हैं। मध्य प्रदेश के आठ शहरों के अलावा दिल्ली में इन इवेंट होंगे। 30 जनवरी को भोपाल के तात्या टोपे नगर स्टेडियम में उद्घाटन समारोह का आयोजन होगा। समापन समारोह 11 फरवरी को भोपाल में ही होगा।
यहां होंगे खेलों के आयोजन
मध्यप्रदेश के भोपाल, बालाघाट, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, महेश्वर, मंडला और उज्जैन में खेलों के आयोजन होंगे। खेलो इंडिया यूथ गेम्स में कुल 29 अलग-अलग खेलों में खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। इनमें से एक खेल ट्रैक-साइक्लिंग का आयोजन दिल्ली में होगा। भोपाल को सबसे ज्यादा नौ खेलों की मेजबानी मिली है। दिल्ली के अलावा महेश्वर और बालाघाट ही दो ऐसे जगह हैं, जिन्हें सिर्फ एक-एक खेलों की मेजबानी मिली है।