शीतकालिक अवर्षा की लंबी अवधि के दूसरे रिकार्ड की बराबरी पर 2022-23 का शीतकालीन सत्र सर्दी में गर्मी का भ्रम पैदा करने वाली पछुआ का खेल निराला


अंबिकापुर। अंबिकापुर का सबसे लंबी शीतकालिक अवर्षा की अवधि का रिकार्ड 125 दिन का 2016-17 का रहा है। शीतकालिक सूखे की लंबी अवधि के रिकार्ड 1971-72 की 103 दिन की बराबरी पर 2022-23 में रहे। इस वर्ष सन 1971-72 के समान ही मानसून की वापसी के बाद लगातार 103 दिनों तक अंबिकापुर नगर सहित उत्तर छत्तीसगढ़ के बड़े हिस्से में शीतकालीन वर्षा निरंक है। इसके साथ ही सन 2022-23 शीतकालिक अवर्षा की लंबी अवधि होने का दूसरे रिकार्ड की बराबरी का शीतकालीन सत्र बन गया है।
सर्दी में गर्मी का भ्रम पैदा करने वाली पछुआ का खेल निराला है। कई बार पछुआ अपने आने के पहले अरब सागर में चक्रवाती परिसंचरण उत्पन्न करती हुई उससे एक द्रोणिका को जन्म देती है, इसके साथ ही बंगाल की खाड़ी में बलात एक प्रति चक्रवात भी सक्रिय कर देती है। मृत सागर से चली पछुआ लगभग एक हजार किलोमीटर का सफर करती हुई, बरसती-गरजती जब कमजोर हो कर भारत में प्रवेश करती है तब वह इन दोनों मुहानों अर्थात अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से भरपूर नमी खींच लेती है। इन दोनों माध्यमों से प्राप्त नमी पछुआ के लिए पुष्टिवर्धक टॉनिक से कम नहीं होते। पछुआ पुष्ट हो कर फिर उत्तर भारत में मौसमी खिलवाड़ करती हुई कहीं गर्जन तो कहीं वर्षा, कहीं कोहरा और कहीं बर्फीली पत्थरों का बौछार करती हुई भारत की भूमि में समाहित हो जाती है। मौसम विज्ञानी एएम भट्ट का कहना है, जब पछुआ के बादल उत्तर भारत के आसमान को पूरी तरह अपने आगोश में ले लेते हैं तब मध्य भारत में उत्तरी हवा रुक जाती है और यह दिशा बदल कर दक्षिण, दक्षिण- पूर्वी हो कर खाड़ी की ओर से अपेक्षाकृत गर्म हवा लाती है, जिससे मध्य भारत में जनवरी में ही गर्मी का भ्रम पैदा होता है। अभी अंबिकापुर नगर का न्यूनतम तापमान पछुआ की लुकाछिपी से 15 डिग्री के ऊपर तक पहुंच गया था। दिन में तापमान 29 डिग्री तक होने के कारण लोग पंखा चलाने लगे थे। अब जब एक बार फिर पछुआ ने करवट बदला है तो आसमान में धुंध, कोहरा और बदली के साथ हवा में ठंडक घुलने लगी है। शनिवार को न्यूनतम पारा 14.9 डिग्री सेल्सियस तक उतरा है।

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