शासकीय अस्पताल यूनिवर्सल हेल्थ केयर योजना से होंगे कैशलेस ओपीडी, आईपीडी, दवा, सभी प्रकार के डायग्नोस्टिक टेस्ट होंगे नि:शुल्क प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री की स्वयं की महत्वाकांक्षी योजना एक जून से लेगी आकार


अंबिकापुर। 2018 में कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र के शिल्पकार टीएस सिंहदेव की स्वयं की महत्वाकांक्षी योजना यूनिवर्सल हेल्थ केयर एक जून से आकार लेगी। छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को अपने विभाग के बजट अभिभाषण में उन्होंने घोषणा की, कि एक जून से छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य न्याय योजना को लागू कर प्रदेश के सभी नागरिकों को शासकीय अस्पतालों व स्वास्थ्य संस्थाओं में सारी सेवाएं यथा ओपीडी, आईपीडी, दवा, सभी प्रकार के डायग्नोस्टिक टेस्ट नि:शुल्क उपलब्ध कराएगा, जिससे कैशलेस सरकारी अस्पताल की परिकल्पना पूर्ण होगी। वर्ष 2017-18 में महज 3375.27 करोड़ के बजट पर चलने वाले छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग को इस परिकल्पना को संजोने के लिए वर्ष 2023-24 में 5484.55 करोड़ की भारी-भरकम राशि प्राप्त हुई है।
वर्ष 2018 में स्वास्थय मंत्रालय संभालने के बाद टीएस सिंहदेव निरंतर देश-विदेश में प्रवास कर इस योजना के क्रियान्वयन के लिए जानकारियों का संग्रहण करते रहे। वे निरंतर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के ढांचे में सुधार लाते रहे। नतीजा स्वास्थ्य विभाग इस योग्य हो गया कि प्रदेश के नागरिकों को मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी। उनके बजटीय भाषण से यह भी स्पष्ट हुआ कि स्वास्थ्य विभाग ने न केवल स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाया है, बल्कि लगभग 20 हजार नौकरियों का भी सृजन किया है। इस वर्ष के बजट के क्रियान्वयन में स्वास्थ्य विभाग करीब 10 हजार और नौकरियां देगा। बजटीय भाषण में उन्होंने उन आधारभूत सुधारों और बदलावों का विवरण दिया है जो कि स्वास्थ्य विभाग का दयित्व संभालने के उपरांत उनके नेतृत्व में हुए।
कार्मिक आकार में व्यापक बढ़ोतरी
2017-18 में प्रदेश भर में विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या महज 179 थी, जो आज तिगुनी 534 है। चिकित्सा अधिकारियों की संख्या 1302 से बढ़कर 2413 एवं दंत चिकित्सकों की संख्या 67 से बढ़कर 222 हो गई है। स्टाफ नर्सों की संख्या 11,551 से बढकर 14,731 और अन्य स्टाफ की संख्या 17,016 से बढकर 22,279 हो गई है। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी वर्ष 2018-19 में महज 62 थे उनकी संख्या बढकर 2649 हो गई। शीघ्र ही 709 अन्य अधिकारियों को प्रशिक्षण उपरांत पदस्थापना दी जाएगी।
ढांचागत सुधार, नए पदों का सृजन
वर्ष 2018-19 में जहां पूरे प्रदेश में कुल 735 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर कार्यरत थे वहीं आज इनकी संख्या बढकर 5300 हो गई है। मुख्यमंत्री हाट बजार क्लिनिक योजना के अंतर्गत वर्तमान में 425 मोबाइल वाहनों के माध्यम से इलाज की व्यवस्था हो रही है। पहले इनकी संख्या महज 30 हुआ करती थी। इस वर्ष इनकी बढोत्तरी के लिए बजट में 5 करोड़ की अतिरिक्त राशि का प्रावधान किया गया है। ढांचागत सुधारों की कड़ी में हमर लैब, हमर क्लिनिक और हमर अस्पतालों की व्यवस्था की जा रही है। शहरी क्षेत्रों में 354 हमर क्लिनिक निर्माणाधीन हैं, जिनमें से 154 हमर क्लिनिक अगामी 3 माह में प्रारंभ हो जाएंंगे। प्रदेश में कुल 53 हमर अस्पताल स्थापित करने का लक्ष्य है, जिनमें से 4 प्रारंभ हो गए हैं, शेष आगामी माहों में प्रारंभ होंंगे। प्रदेश में कुल 99 हमर लैब स्थापित होने हैं, जिनमें से 15 ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। इनमें जिला अस्पताल में स्थापित हमर लैब के माध्यम से 120 प्रकार के, जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्थापित लैब के माध्यम से 50 प्रकार के टेस्ट मुफ्त किए जाएंंगे। आठ जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन की सुविधा प्रदान की गई है, जबकि 4 अन्य जिला अस्पतालों में ये प्रारंभ होने जा रही है। अन्य जिला अस्पतालों में भी सीटी स्कैन मशीनों की स्थापना का प्रावधान बजट में रखा गया है। रायपुर एवं अंबिकापुर में मानसिक रोग अस्पताल की स्थापना की जा रही है। इसके लिए 274 पद सृजन एवं नवीन अस्पताल भवन को बजट में शामिल किया गया है। इस वर्ष के बजट में 5 सिविल एवं सामुदायिक अस्पतालों का उन्नयन कर उनमें 100 बिस्तरों की व्यवस्था की जा रही है। इनमें सरगुजा जिले में सीतापुर का सामुदायिक अस्पताल भी शामिल है। दो नए 100 बिस्तर अस्पताल का निर्माण किया जा रहा है। इनके माध्यम से 246 नए पदों का भी सृजन किया जा रहा है।
विशेषीकृत इलाज व्यवस्था
प्रदेश में जहां 2018-19 में कैंसर के मरीजों के कीमोथेरपी की व्यवस्था नहीं थी, वहीं अब 19 जिलों में दीर्घायु वार्ड स्थापित कर नि:शुल्क कीमोथेरपी की व्यवस्था की गई है। प्रदेश भर में 1178 मरीजों को नि:शुल्क कीमोथेरपी दिया जा रहा है। 2017-18 में जहां प्रदेश के कुल 3 स्वास्थ्य केंद्रों में डायलिसिस की सुविधा थी, वहीं आज प्रदेश में 29 स्वास्थ्य केंद्रों में नि:शुल्क डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध है।
कोविड के लिए इंफ्रॉॅस्ट्रक्चर स्थापना
2019 में आई महामारी के शुरुआत में प्रदेश में कोविड जांच की कोई सुविधा नहीं थी। आज पूरे प्रदेश में 16 वायरोलॉजी लैब एवं 209 ट्रू-नॉट लैब की स्थापना की गई है। पूरे प्रदेश में 115 ऑक्सीजन प्लांट और 3 लिक्विड ऑक्सीजन टैंक स्थापित हुए हंै। ये एक बहुमुखी विकास है जो कोविड के अतिरिक्त भी अन्य वायरल बीमारियों के रोकथाम में महत्वपूर्ण साबित होगी।
मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में दोगुना विस्तार
2018 में प्रदेश में मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की महज 1050 सीट थी, जो आज बढ़कर 1820 हो गई है। पीजी की सीट 124 से बढ़कर 373 हो गई है। 2018 में प्रदेश में कुल 6 शासकीय एवं 3 गैर शासकीय मेडिकल कॉलेज थे, अब 10 शासकीय एवं 3 निजी मेडिकल कॉलेज संचालित हैं। इस बजट में जांजगीर-चांपा, कबीरधाम, मनेन्द्रगढ और गीदम में नए मेडिकल कॉलेज की स्थाना का प्रस्ताव है इसके लिए 200 करोड़ के बजट का भी प्रावधान है। नर्सिंंग कॉलेज में 8379 सीट से बढ़कर 10538 सीट हो गई है।

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