अंबिकापुर। रमजान का पाक महीना 24 मार्च से शुरू है, रोजेदारों को मौसम का भी पूरा साथ मिल रहा है। रहमतों, बरकतों और सब्र से भरपूर इस महीने में बुजुर्गों, महिलाओं के साथ कई बच्चों ने पहली बार रोजा किया है और अल्लाह की इबादत में मशगूल हैं। पांचों वक्त का नमाज अदा किया जा रहा है। मस्जिदों में नमाज पढऩे के लिए रोजेदारों का आना हो रहा है, महिलाएं घर में तिलावत कर रही हैं। दोपहर बाद से मुस्लिम परिवारों की महिलाएं इफ्तार के उपयुक्त व्यंजनों को बनाने में व्यस्त हो जाती हैं। इसमें पहली बार रोजा करने वाले घर के छोटे बच्चों की पसंद का खास ध्यान रखा जा रहा है। पहली बार जिन बच्चों ने रोजा रखा है, उन्हें घर के बड़े-बुजुर्गों की दुआओं के साथ रोजा खुलाई भी मिल रहा है।
आइये अब चलते हैं उन बच्चों के बीच जिन्होंने रमजान-उल-मुबारक के पवित्र माह में पहली बार रोजा रखा है और वे यह संदेश दे रहे हैं कि रमजान के पवित्र माह में सभी मुसलमानों को रोजा रखना चाहिए। इनका मानना है कि रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करने से इंसान अपने आपको अल्लाह के करीब पाता है। शहर के महामाया रोड जरहागढ़ निवासी बदरूद्दीन खान के पोता-पोती और निक्की खान के पुत्र-पुत्री नूर फातिमा 9 वर्ष, तलत फातिमा 8 वर्ष, अहमद 7 वर्ष व निकहत 6 वर्ष ने पहली बार रमजान के पवित्र माह में परिवार के सदस्यों के साथ रोजा रखा है और पूरी अकीदत के साथ अल्लाह की इबादत करने के बाद नीयत समय पर रोजा इफ्तार करते आ रहे हैं। सामान्य दिनों में दिनभर रसोई में बनने वाले व्यंजनों के बारे में मां से पूछताछ करने वाले ये बच्चे रमजान के मौके पर सबकुछ भूलकर मां के साथ तिलावत करने में भी पीछे नहीं हटते हैं। छोटी उम्र के इन बच्चों में रोजा रखने का अलग ही उत्साह है। मासूम बच्चों को दुआएं देने में घर के सदस्य भी पीछे नहीं हैं। मासूम बच्चों के जज्बे को देख कर आसपास के लोग फूल-माला पहना कर बधाई इनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं। ये बच्चे रोजा रखकर अल्लाह की इबादत के साथ देश में चैनो अमन और हर गरीब को दो वक्त की रोटी मिले, इसकी दुआ मांगते हैं।