मोदी ने दी ‘नामदार’ थ्योरी, तो देश ने नकार दिया सियासी खानदान!

पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को प्रचंड बहुमत बैठक साबित करती है कि देश में भाजपा सरकार और नेतृत्व पर भरोसा जताया गया है। लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे देखे जाएं तो यह भी साबित होता है कि न केवल नेतृत्व बल्कि देश ने मोदी के भाषणों में उठाए गए मुद्दे को भी समर्थन दिया और परिवारवाद के खिलाफ मोदी की तैयार की गई थ्योरी को कबूल किया। हालांकि कुछ स्थानों पर सियासी खानदानों को जीत भी मिली, लेकिन आंकड़ों के विश्लेषण से साफ है कि वंशवाद इस चुनाव में नकार गया।

यह भी पढ़ें: विश्लेषण: यह मोदी का अपना वोट बैंक है!

इस सिलसिले में सबसे पहले बात नेहरू-गांधी परिवार की थी क्योंकि पीएम मोदी के पूरे चुनाव अभियान में यही सच था। एक तरह से मोदी के कटाक्षों की बदौलत यही खानदान देश में वंशवाद का प्रतीक बन गया। इस खानदान की चौथी पीढ़ी के पहले प्रमुख चेहरे के तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दो संसदीय क्षेत्रों से चुनाव लड़े और उस सीट से हारे, जो कांग्रेस का गढ़ समझी जाती रही है।

राहुल गांधी के हारने का अर्थउत्तर प्रदेश के अमेठी लोकसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार सांसद चुने गए राहुल गांधी इस बार ये सीट गंवा बैठे हैं। इस सीट को इसलिए कांग्रेस का गढ़ कहा जाता रहा क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी यहां से सांसद बने हुए थे। इस बार राहुल यहाँ से 55 हज़ार 120 वोटों के अंतर से हारे। एनडीए की केंद्र सरकार में मंत्री स्मृति इरानी ने उन्हें शिकस्त दी।

लोक सभा चुनाव परिणाम, लोक सभा चुनाव परिणाम २०१ ९, लोकसभा चुनाव परिणाम २०१ ९, लोकसभा इलेक्शन रिजल्ट, लोकसभा इलेक्शन रिजल्ट २०१ ९, लोक सभा चूनव परिनम २०१ ९, लोकसभा चुनाव परिणाम, लोकसभा चुनाव परिणाम, लोक सभा चुनाव परिणाम २०१ ९, पीएम नरेंद्र मोदी बहुमत, लोकसभा चुनाव 2019, राहुल गांधी ने अमेठी, पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा को बहुमत, कौन जीता कौन हारा, लोकसभा चुनाव 2019, राहुल गांधी हारे

न्यूज 18 क्रिएटिव

इस नतीजे की सुगबुगाहट पहले से थी? ये सवाल चर्चा में इसलिए रहा क्योंकि इस बार राहुल ने अमेठी के साथ ही केरल की वायनाड सीट से भी लड़ने का फैसला किया था। और ये माना जा रहा है कि अमेठी पर ये परिणामजा प्रत्याशित था। लेकिन, राहुल की अमेठी की हार को क्या स्मृति इरानी की जीत माना जाना चाहिए? इस सवाल पर अभी बहस बाकी है।

कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे के हारने का कारण मोदी लहर रही? या अमेठी की जनता का गांधी परिवार से मोहभंग? कारण तलाशीदंगी लेकिन इरानी के प्रभाव के कारण राहुल की हार का दावा वर्तमान में मज़बूत नहीं कहा जा सकता है।

सिंधिया खानदान बनाम वंशवाद थ्योरी

मध्य प्रदेश के गुना व शिवपुरी क्षेत्र में सिंधिया खानदान के सियासी इतिहास से पूरा देश वाकिफ है। वर्तमान में इस खानदान के सबसे खास चेहरों में शुमार ज्योतिरादित्य सिंधिया मप्र के अपने स्थायी संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव हार गए। भाजपा के डॉ। केपी यादव ने उन्हें पचास लाख से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी। यहाँ भी यही सवाल है कि डॉ। केपी यादव ने यह करिश्मा किया या चार बार सांसद रह चुके ज्योतिरादित्य जैसे कद्दावर नेता के हारने के कारण कुछ और हैं?

लोक सभा चुनाव परिणाम, लोक सभा चुनाव परिणाम २०१ ९, लोकसभा चुनाव परिणाम २०१ ९, लोकसभा इलेक्शन रिजल्ट, लोकसभा इलेक्शन रिजल्ट २०१ ९, लोक सभा चूनव परिनम २०१ ९, लोकसभा चुनाव परिणाम, लोकसभा चुनाव परिणाम, लोक सभा चुनाव परिणाम २०१ ९, पीएम नरेंद्र मोदी बहुमत, लोकसभा चुनाव 2019, राहुल गांधी ने अमेठी, पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा को बहुमत, कौन जीता कौन हारा, लोकसभा चुनाव 2019, राहुल गांधी हारे

न्यूज 18 क्रिएटिव

वहीं, सिंधिया खानदान से ताल्लुक रखने वाली राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह ने झालावाड़-बारां लोक सीट से शानदार जीत दर्ज की। दुष्यंत भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। यहां वंशवाद की थ्योरी नहीं चली। लेकिन, राजस्थान में केवल जोधपुर लोकसभा सीट से राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे और कांग्रेस प्रत्याशी वैभव गहलोत चुनाव हारे। गेहलोत अपने बेटे के लिए पूरा दम लगाने के बाद भी अपने प्रभाव वाली सीट बेटे के लिए बचा नहीं सके।

साथ ही, राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाले भंवर जीतेंद्र सिंह भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और हरे। और मप्र में केवल कमलनाथ अपने बेटे नकुलनाथ के लिए सीट बचा पाने में सफल रहे।

महाराष्ट्र के प्रतिष्ठित परिवारों के उम्मीदवार

महाराष्ट्र के मिलिंद देवड़ा एक विशेष नाम हैं। मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष होने के साथ ही मिलिंद महाराष्ट्र में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे मुरली देवड़ा के बेटे हैं। इस बार मिलिंद को भी लोकसभा चुनाव में मायूसी ही हाथ लगी। इसी तरह कांग्रेस नेता और प्रसिद्ध अभिनेता सुनील दत्त की बेटी प्रिया दत्त भी चुनाव हारीं। दूसरी तरफ, शरद पवार की बेटी और एनसीपी के टिकट पर प्रत्याशी सुप्रिया सुले के अलावा भाजपा के पूर्व दिग्गज प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन ने जीत दर्ज की।

ऐसी हो रही उत्तर भारत की झांकी?

वहीं, पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल और उनकी पत्नी हरसिमरत कौर ने जीत दर्ज की। सुखबीर एसएडी के संस्थापकों में शुमार रहे पंजाब के दिग्गज नेता प्रकाश सिंह बादल के बेटे हैं। ये भी गौरतलब है कि एसएडी, एनडीए में शामिल है यानी भाजपा की सहयोगी पार्टी है। वहीं, हरियाणा में कांग्रेस के भूपेंदर सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा को मात मिली। जननायक जनता पार्टी का गठन कर आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले दुष्यंत चौटाला भी हारे। दुष्यंत देवीलाल और हरियाणा के पूर्व सीएम ओपी चौटाला के खानदान के वारिस हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में दुष्यंत ने सबसे कम उम्र में सांसद बनने का रिकॉर्ड रचा था।

लोक सभा चुनाव परिणाम, लोक सभा चुनाव परिणाम २०१ ९, लोकसभा चुनाव परिणाम २०१ ९, लोकसभा इलेक्शन रिजल्ट, लोकसभा इलेक्शन रिजल्ट २०१ ९, लोक सभा चूनव परिनम २०१ ९, लोकसभा चुनाव परिणाम, लोकसभा चुनाव परिणाम, लोक सभा चुनाव परिणाम २०१ ९, पीएम नरेंद्र मोदी बहुमत, लोकसभा चुनाव 2019, राहुल गांधी ने अमेठी, पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा को बहुमत, कौन जीता कौन हारा, लोकसभा चुनाव 2019, राहुल गांधी हारे

न्यूज 18 क्रिएटिव

उत्तर प्रदेश में यादव परिवार के सिर्फ दो दिग्गज जीत मुलायम सिंह और अखिलेश यादव। बाकी सभी यानी अक्षय यादव, शिवपाल यादव, डिंपल यादव और धर्मेंद्र यादव अपनी अपनी सीटों से हार गए। उत्तर प्रदेश में कुशीनगर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी आरपीएन सिंह हारे जो राजपरिवार से ताल्लुक रखते हैं और जिनके पिता इंदिरा गांधी कैलकुलेटर में मंत्री बने हुए हैं। लेकिन, गांधी परिवार से ताल्लुक रखने वाली मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी को उत्तर प्रदेश में जीत मिली। वहीं, बिहार में सियासी विरासत की पृष्ठभूमि से आने वाली कांग्रेस नेता मीरा कुमार को भी शिकस्त दी गई।

जम्मू और कश्मीर के चुनाव नतीजे देखे जाएं तो राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला ने अपनी सीट जीती, जो एक नाम सियासी खानदान से ताल्लुक रखते हैं। वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह हार गए। विक्रमादित्य जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध नेता और देश की राजनीति के महत्वपूर्ण पहलू रहे कर्ण सिंह के बेटे हैं। दूसरी ओर महबूबा मुफ्ती हार बने जो खुद पूर्व सीएम रह चुके हैं और राज्य के पूर्व सीएम रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी हैं। महबूबा ने पहले भाजपा के साथ गठबंधन किया था लेकिन बाद में दोनों पार्टियां एक दूसरे से अलग भी हुईं और नाराज़ भी।

लोक सभा चुनाव परिणाम, लोक सभा चुनाव परिणाम २०१ ९, लोकसभा चुनाव परिणाम २०१ ९, लोकसभा इलेक्शन रिजल्ट, लोकसभा इलेक्शन रिजल्ट २०१ ९, लोक सभा चूनव परिनम २०१ ९, लोकसभा चुनाव परिणाम, लोकसभा चुनाव परिणाम, लोक सभा चुनाव परिणाम २०१ ९, पीएम नरेंद्र मोदी बहुमत, लोकसभा चुनाव 2019, राहुल गांधी ने अमेठी, पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा को बहुमत, कौन जीता कौन हारा, लोकसभा चुनाव 2019, राहुल गांधी हारे

न्यूज 18 क्रिएटिव

हिमाचल प्रदेश में अनुराग ठाकुर ने भारी जीत दर्ज की। मोदी ने खुद अपने प्रचार अभियान में रैली करते हुए हुंकार भरी कि अनुराग को अगर इस बार बड़े अंतर से जीत मिली तो उन्हें अहम भूमिका निभानी होगी। गौरतलब है कि अनुरागचल के दो बार सीएम रहे प्रेमकुमार धूमल के बेटे हैं।

और वंशवाद की थ्योरी का दक्षिणी पहलू

दक्षिण में, तमिलनाडु में यूपीए के घटक दल डीएमके ने बाज़ी मारी और करुणानिधि की बेटी व सियासी उत्तराधिकारी कनिमोझी ने अपनी सीट पर जीत दर्ज की। इसके उलट, जनता दल सेक्युलर के एचडी देवेगौड़ा चुनाव हारे, जो यूपीए के घटक दल के प्रत्याशी के तौर पर खड़े थे। कर्नाटक लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी नुकसान के कारण देवेगौड़ा के बेटे और राज्य के सीएम एचडी कुमारस्वामी के सामने राज्य सरकार ने चुनौती दी है।

लोक सभा चुनाव परिणाम, लोक सभा चुनाव परिणाम २०१ ९, लोकसभा चुनाव परिणाम २०१ ९, लोकसभा इलेक्शन रिजल्ट, लोकसभा इलेक्शन रिजल्ट २०१ ९, लोक सभा चूनव परिनम २०१ ९, लोकसभा चुनाव परिणाम, लोकसभा चुनाव परिणाम, लोक सभा चुनाव परिणाम २०१ ९, पीएम नरेंद्र मोदी बहुमत, लोकसभा चुनाव 2019, राहुल गांधी ने अमेठी, पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा को बहुमत, कौन जीता कौन हारा, लोकसभा चुनाव 2019, राहुल गांधी हारे

न्यूज 18 क्रिएटिव

कर्नाटक में एचडी देवेगौड़ा के खानदान की तीसरी पीढ़ी भी चुनाव मैदान में थी जिसमें से प्रज्ज्वलित रेवन्ना ने अपनी सीट पर जीत दर्ज की लेकिन निखिल कुमारस्वामी को शिकस्त मिली। चुनाव प्रचार की शुरुआत में देवेगौड़ा पर वंशवाद पोसने के आरोप भी लगे थे और इन आरोपों के कारण देवेगौड़ा के आंसू व दुख मीडिया में सुर्खियां बने थे। कर्नाटक भाजपा ने इसे ड्रामा करार दिया था।

ये तस्वीर कहती है कि देश की जनता ने परिवारवाद या वंशवाद को नकार दिया लेकिन पूरी तरह से नहीं। मोदी के भाषणों का असर कहा जाए या मोदी के समर्थकों की बड़ी संख्या को कारण माना जाए, लेकिन इस चुनाव में वंशवाद पर ज़्यादातर केवल प्रहार हुआ, जब सवाल कांग्रेस के प्रत्याशियों का था या भाजपा के धुर विरोधियों का। वंशवाद के विरोध की थ्योरी भाजपा प्रत्याशियों पर लागू होती नहीं दिखी। तो, अब जिस सवाल पर देश को विचार करना है, वह ये कि पुराने या स्थापित वंश कोकर, राजनीति में क्या नया वंश तैयार करना ज़रूरी है?

यह भी पढ़ें:

लोकसभा चुनाव 2019: जो बीजेपी के 39 साल के इतिहास में कभी नहीं हुआ, मोदी-शाह ने कर दिखाया वो करिश्मा

यह भी पढ़ें: कांग्रेस नेता ने कहा- मोदी के खिलाफ दार चौकीदार चोर है ’का नारा पार्टी को भारी पड़ा

लोकसभा चुनाव -2019: बीजेपी का मिशन -25 सफल, कांग्रेस का विफल

एक क्लिक और खबरें खुद चलकर आएगी आपके पास, सब्सक्राइब करें न्यूज़ 18 हिंदी WhatsApp अपडेट्स

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *