मां महामाया प्रवेश द्वार व पिता का नाम बदलकर आठ एनओसी लेने के मामले में तीखी नोकझोंक सामान्य सभा में हंगामे के बीच महापौर ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए नौवां बजट पेश किया विपक्ष ने बजट को उम्मीदों पर आधारित मुंगेरीलाल के हसीन सपने करार दिया


अंबिकापुर। सरगुजा सदन में बुधवार को आयोजित सामान्य सभा की बैठक हंगामेदार रही। बीच-बीच में चलती तीखी नोकझोंक के बाद भोजनावकाश में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हंसी-ठिठोली भी चलते रही। प्रश्नकाल शुरू होने के पहले विपक्ष ने मां महामाया प्रवेश द्वार को एजेंडा में शामिल नहीं करने को लेकर कड़ी आपत्ति जताई और जमकर हंगामा किया। विपक्ष का कहना था कि मां महामाया प्रवेश द्वार के सामने कोई भी मुद्दा मायने नहीं रखता है। इसके अलावा 152 प्रतिशत की अदायगी कर जमीन का पट्टा लेने के लिए अतिक्रामक के द्वारा पिता का नाम बदल-बदलकर 8-8 एनओसी देने के मामले में नेता प्रतिपक्ष प्रबोध मिंज व विपक्ष के पार्षद आलोक दुबे ने गंभीर आरोप लगाए, जिससे सदन में हंगामे के बीच पक्ष-विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक चली। 13 एजेंडे के बाद महापौर ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 4 अरब 12 करोड़ 37 लाख 84 हजार आय और 4 अरब 13 करोड़ 7 लाख 20 हजार रुपये व्यय का प्रस्तावित बजट पेश किया, जो 69 लाख 36 हजार रुपये के घाटे का बजट है। महापौर डॉ.अजय तिर्की के द्वारा प्रस्तुत यह नौवां बजट है। बजट को इस बार भी पुराने तौर-तरीके से पेश करने और कोई नयापन नहीं होने की बात निगम के नेता प्रतिपक्ष ने कही। उन्होंने कहा पूर्व की तरह उम्मीदों पर आधारित बजट पेश किया गया है। जनता के हित को लेकर इसमें कोई प्रावधान नहीं किया गया है। पार्षद आलोक दुबे ने बजट से गोल बाजार सहित कई मुद्दों के गायब रहने की ओर इंगित कराया और प्रस्तावित बजट को मुंगेरीलाल के हसीन सपने करार दिया।
नगर निगम की सामान्य सभा बुधवार की दोपहर 12 बजे से सरगुजा सदन में आयोजित की गई थी, जो सभापति अजय अग्रवाल की उपस्थिति में शुरू हुई। प्रश्नकाल से पहले ही मां महामाया मंदिर के प्रवेश द्वार का मुद्दा गरमाया, जिससे सामान्य सभा की शुरूआत हंगामेदार रही। नेता प्रतिपक्ष प्रबोध मिंज ने कहा कि महामाया द्वार लोगों की आस्था से जुड़ा है। इसके बाद भी इस मुद्दे को एजेंडे में नहीं जोड़ा गया। इसे लेकर विपक्ष के अन्य पार्षद भी खड़े हो गए और हंगामा शुरू कर दिया। जवाब में नगर निगम के लोक निर्माण विभाग प्रभारी शफी अहमद ने कहा कि विपक्ष को सत्ता पक्ष का आभार जताना चाहिए कि उन्होंने कुछ अच्छा कार्य किया गया है। इसमें आरोप-प्रत्यारोप जैसी स्थिति नहीं बननी चाहिए। विपक्ष का कोई सुझाव है, तो उसे भी शामिल किया जाएगा। विपक्ष को पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि महामाया द्वार का निर्माण वे होने देना चाहते हैं या नहीं। स्वीकृति होती है तो भी विपक्ष आपत्ति जताता है, स्वीकृति नहीं होती है तो भी आपत्ति। इसके बाद सत्ता पक्ष के सभी पार्षद, मंदिर के प्रवेश द्वार को लेकर राजनीति बंद करने के नारे सदन में लगाने लगे, इसके बाद काफी देर तक यह मुद्दा गरमाया रहा और बहस चलते रही। विपक्ष के पार्षद आलोक दुबे ने कहा महामाया द्वार की स्वीकृति को लेकर कोई आपत्ति नहीं है, पर आस्था से खिलवाड़ जैसे महापौर के बयान पर आपत्ति है। वहीं पार्षद रिंकू वर्मा ने इस मुद्दे पर कहा कि चार साल में मां महामाया मंदिर का प्रवेश द्वार नहीं बन पाना विपक्ष के पार्षदों के लिए दुर्भाग्य की बात है, जबकि इसके लिए 48 वार्ड के पार्षदों ने एक-एक लाख रुपये पार्षद मद से दिए हैं, महापौर ने 10 लाख दिया है। इसके बाद भी शासन को प्रस्ताव भेजकर प्रवेश द्वार के नाम पर आश्वासन मिल रहा है। ऐसे में उन्होंने सभापति की ओर मुखातिब होते हुए पार्षद पद से इस्तीफा देने की बात कह डाली। तमाम हंगामे के बीच प्रश्नकाल व बजट पेश करने के बाद इस मुद्दे पर चर्चा करने की बात सभापति अजय अग्रवाल ने कही और इस मुद्दे को लेकर देर तक बनी गहमागहमी खत्म हुई। मंगल भवन के मसले पर लोनिवि के प्रभारी शफी अहमद ने कहा, जहां यह भवन बनना है, उस स्थल को प्रशासन के सहयोग से अतिक्रमण मुक्त करा दिया गया है, आगे की प्रक्रिया जारी है। वित्तीय स्वीकृति के अधिकार को लेकर उठाए गए विपक्ष के सवाल पर उन्होंने कहा कि विधिसम्मत तरीके से निर्णय लिए गए हैं। निगम आयुक्त प्रतिष्ठा ममगई स्वयं आईएएस हैं, वे नियमानुसार अपना कार्य कर रही हैं। इसके अलावा कई मुद्दों पर सहमति की स्थिति बनी। कुछ ऐसे मुद्दे विपक्ष के पार्षदों ने सामने लाए जिसे एजेंडे में शामिल ही नहीं किया गया था।
वार्डों के काम में 70-30 प्रतिशत का रेसियो
भाजपा पार्षद आलोक दुबे ने डामरीकरण, सीसी रोड व नाली निर्माण के लिए मिली राशि के बाद किए गए कार्य विभाजन में विपक्ष के साथ भेदभाव की बात कही। उन्होंने कहा वे दुर्भावनावश कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं पर 70 प्रतिशत राशि सत्ता पक्ष के पार्षदों के वार्ड में लगाने को लेकर उन्हें आपत्ति है। साथ ही 20 करोड़ रुपये विकास कार्य के लिए लाने को लेकर उन्होंने सत्तापक्ष धन्यवाद के पात्र हैं, परंतु किस वार्ड में और कहां-कहां निर्माण होना है, इसके लिए वार्ड पार्षदों का प्रस्ताव आज तक नहीं मांगा गया। इसके जवाब में लोक निर्माण विभाग प्रभारी शफी अहमद ने कहा कि आवश्यकता के आधार पर कार्य कराए जा रहे हैं, किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है। सत्ता पक्ष के 28 पार्षद हैं, जबकि विपक्ष के 20। इसे जोड़ेंगे तो स्थिति ऐसी ही बनेगी। कई ऐसे नए क्षेत्र हैं, जहां ज्यादा काम कराने की आवश्यकता है, इसके आधार पर कार्य भी कराया गया है। विपक्ष के पार्षद मधुसूदन शुक्ला ने रिंग रोड पर लाइट नहीं जलने का मुद्दा उठाया। उनका कहना था कि रिंग रोड में लगाई गई लाइट लंबे समय से नहीं चल रही है। इसके लिए सड़क विकास निगम को पत्र लिखा जाए, क्योंकि बाद में इसका पूरा भार निगम पर आएगा, जिस पर सभी ने सहमति जताई। उन्होंने शहर के अंदर की सड़कों का सुधार कार्य कराने पर भी जोर दिया।
पिता का नाम बदल-बदलकर ले लिया आठ एनओसी
निगम के नेता प्रतिपक्ष प्रबोध मिंज ने नजुल भूमि का 152 प्रतिशत पर पट्टा देने के मामले को लेकर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि एक ही व्यक्ति के पिता का नाम बदल-बदलकर उसे 8-8 जमीन की एनओसी दे दी गई। इस मुद्दे पर पार्षद आलोक दुबे ने नजुल के आरआई, पटवारी सहित जिम्मेदार अधिकारियों पर लाखों का वारा-न्यारा करने का आरोप लगाया। मामले में विपक्ष ने कमेटी बनाकर जांच की मांग की। वहीं सत्ता पक्ष के पार्षद अरविंद सिंह गप्पू ने पलटवार करते हुए कहा कि बिना प्रमाण के आरोप किसी भी अधिकारी पर नहीं लगाना चाहिए, जिस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह हम नहीं कागजी प्रमाण बोल रहा है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा शासन के नियम को बदलने का उन्हें अधिकार नहीं है, लेकिन 152 प्रतिशत में पूरा सरकारी जमीन एलाट कर दिया जाए, यह भी नहीं होना चाहिए। इसका फायदा जमीन माफियाओं के द्वारा उठाने का भी आरोप लगाया गया। इस दौरान बताया गया कि निगम में 1572 प्रकरण एनओसी के लिए आए थे, जिस पर एनओसी दिया गया है, इससे 200 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है। विपक्ष के पार्षद विश्वविजय सिंह तोमर ने सुझाव दिया कि 152 प्रतिशत भुगतान करने के बाद पट्टा देने की प्रक्रिया सिर्फ नजुल के लिए है, इसमें राजस्व भूमि को भी शामिल करना चाहिए, इसका समर्थन सत्ता पक्ष के पार्षदों ने भी किया।
आम नागरिकों के लिए मूलभूत सुविधाओं से परिपूर्ण बजट
महापौर डॉ. अजय तिर्की ने निकाय के वित्तीय वर्ष 2023-24 हेतु आयोजित वार्षिक बजट को प्रस्तुत करते हुए कहा-यह उनके द्वारा पेश किया गया नौवां बजट है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के प्रस्तावित आय और अनुमानित व्यय की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि निकाय के इस वित्तीय बजट में आम नागरिकों के मूलभूत सुविधाओं स्वच्छता, पेयजल आपूर्ति, सड़क एवं प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ अधोसंरचनात्मक विकास कार्यों तथा पर्यावरण संरक्षण, संवर्धन के कार्यों हेतु पर्याप्त प्रावधान रखा गया है, साथ ही बजट में प्रमुख रूप से गरीब, कमजोर वर्ग के लोगों के उत्थान का प्रावधान किया गया है।
बजट भाषण में उम्मीदों की झलक नहीं
नेता प्रतिपक्ष प्रबोध मिंज ने महापौर के बजट भाषण के बाद प्रतिक्रिया स्वरूप सदन में कहा कि बजट का भाषण उम्मीदों से भरा रहता है, लेकिन इसमें उसकी झलक देखने को नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा विकास के प्रस्ताव शासन को भेजे तो जाते हैं, पर उसके अनुरूप स्वीकृति नहीं मिल पाती है। इस सत्र का बजट पिछले सत्र के बजट व पूंजीगत प्राप्तियों के हिसाब से परिपूर्ण नहीं है। उन्होंने कहा यथार्थ में धरातल पर जिसके लिए राशि मिल सकती है, उसका बजट में अभाव देखने को मिल रहा है। उन्होंने महापौर डॉ.तिर्की की ओर मुखातिब होते हुए कहा अभी उनकी सरकार है, चुनाव के पहले ज्यादा से ज्यादा बजट लाएं, जो जनता के हित में काम आए।
बजट के नाम पर की गई खानापूर्ति
पार्षद मधूसुदन शुक्ला ने कहा कि महापौर पूर्व में आठ बार बजट पेश कर चुके हैं, नौवीं बार उन्होंने बजट पेश किया है। इसमें शहर की जनता, युवाओं, महिलाओं के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। निगम की सरकार का पौनी पसारी बाजार सब्जी बाजार बन गया है। गुमटी, ठेले वालों को बार-बार हटाया जाता है, इनके लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है। शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने की कोई योजना नहीं है। शव वाहन की मांग पहले भी की जाती रही है, लेकिन बजट में इसके लिए भी प्रावधान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा बजट पास होगा, लेकिन समग्र दृष्टिकोण का अभाव बजट में देखने को मिल रहा है।

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