
चंद्रकांत दादा पाटिल के सामने खुद को कम समय में साबित करने की चुनौती
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले चंद्रकांत दादा पटेल की ताजपोशी के जरिए बीजेपी ने मराठा समुदाय को साधने की कोशिश की
- Information18Hindi
- आखरी अपडेट:
19 अक्टूबर, 2019, सुबह 9:55 बजे IST
चंद्रकांत दादा पाटिल को बीजेपी का मराठा चेहरा माना जाता है। उन्होंने पश्चिमी महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के गढ़ में बीजेपी को मजबूत करने का काम किया। मराठा समुदाय में उनकी साफसुथरी छवि है। महाराष्ट्र में हुए मराठा आंदोलन के समय चंद्रकांत दादा पाटिल सरकार की ओर से आंदोलनकारियों से संवाद भी कर रहे हैं।
चंद्रकांत दादा पाटिल का जन्म 10 जून 1959 को हुआ था। शिवाजी विद्यालय से पढ़ाई करने वाली शिक्षा हासिल की। इसके बाद उन्होंने सिद्धार्थ कॉलेज से 1985 में ग्रेजुएशन किया। युवावस्था में ही आरएसएस से जुड़ने के बाद पाटिल एबीवीपी से जुड़ गए और दो साल में आधिकारिक क्षमता की वजह से उन्हें प्रदेश मंत्री बना दिया गया।
वर्ष 1985 में उन्हें एबीवीपी का क्षेत्रीय संगठन मंत्री चुना गया। इस दौरान उन्होंने युवाओं से जुड़े मुद्दों और समस्याओं को उठाया। वर्ष 1990 में वे एबीवीपी के अखिल भारतीय मंत्री बनाए गए। इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र के कई हिस्सों में दौरे कर रहे सामाजिक मुद्दों पर लोगों को जागरूक करने के लिए शिक्षा और युवाओं से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए अपनी बात रखी। वर्ष 2004 में वे बीजेपी में शामिल हुए और महाराष्ट्र में बीजेपी के उपाध्यक्ष बने। हालांकि फिर भी उनकी राजनीतिक पहचान वर्ष 2014 में महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद मिली। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में चंद्रकांत दादा पाटिल चुनाव जीते और वर्ष 2016 में फडणवीस सरकार मे उन्हें काउंटर मंत्रालय मिला। इससे पहले तक महाराष्ट्र की राजनीति में उनकी पहचान नहीं थी। चंद्रकांत दादा पाटिल को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का काफी करीबी माना जाता है।
महाराष्ट्र की 32 फीसदी मराठा आबादी को किंगमेकर माना जाता है। मराठा वोटरों के बिना महाराष्ट्र में सत्ता का गणित नहीं साधा जा सकता है। यही कारण है कि कांग्रेस ने भी मराठा समुदाय से आने वाले बाबा साहब थोराट को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाया। चूंकि बीजेपी ने विदर्भ से देवेंद्र फडणवीस के रूप में एक ब्राह्मण को मुख्यमंत्री बनाया जिसकी वजह से मराठा समुदाय को साधने के लिए चंद्रकांत दादा पाटिल सबसे योग्य चेहरे थे।
हालांकि बीजेपी राज्य में मराठा आरक्षण कार्ड चल रहा है। लेकिन अध्यक्ष पद के लिए मराठा चेहरे के अलावा उसके पास विकल्प नहीं था। अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चंद्रकांत दादा पाटिल के सामने खुद को कम समय में साबित करने की चुनौती है।