भारती परिवार की नेकदिली से दिव्यांगों को मिलेगी नई रौशनी पिता के निधन के बाद स्वजनों की सहमति से किया नेत्रदान


अंबिकापुर। मरणोपरांत नेत्रदान और जीते-जी रक्तदान को सच्ची मानव सेवा का पर्याय माना गया है, इसके बाद भी जब वक्त आता है तो अधिकतर लोग इसे भूल जाते हैं, लेकिन अंबिकापुर निवासी समाजसेवी मनोज भारती ने अपने पिता रामपति राम 76 वर्ष के निधन के बाद स्वजनों की सहमति से अपने पिता का नेत्रदान कराया। भारती परिवार की नेकदिली से दिव्यांगों को नई रोशनी मिलेगी। स्वजनों ने रामपति राम की मृत्यु के छह घंटे के भीतर मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर नेत्र विभाग से संपर्क किया और तत्काल नेत्र विभाग की टीम की नोडल डॉ. रजत टोप्पो, डॉ. अभिषेक जैन, डॉ. दीपा बुधवानी, डॉ. डोमन साहू, रमेश घृतकर ने नेत्रदान की प्रक्रिया को संभव बनाया।
अब तक पांच लोगों ने किया नेत्रदान
भारत में प्रतिवर्ष लगभग डेढ़ लाख कॉर्निया की आवश्यकता होती है, लेकिन प्रतिवर्ष अनुमान के अनुसार 50 हजार कॉर्निया का ही दान होता है। इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ ऑर्गन डोनेशन एलिट (कोड) विगत एक वर्षों से ‘रक्तदान महादान-अंगदान जीवनदान नाम से जागरूकता अभियान चला रहा है। अभियान का मुख्य उद्देश्य सभी के बीच रक्तदान, नेत्रदान, अंगदान वा देहदान के प्रति लोगों को जागरूक करना है। अभियान के तहत अब तक सरगुजा जिले में 100 लोगों ने नेत्रदान के लिए संकल्प पत्र भरा है। नेत्र विभाग की नोडल डॉ. रजत टोप्पो ने बताया कि सरगुजा में अब तक पांच नेत्रदान हुआ है।
कार्निया को आई बॉक्स मेें भेजा गया सिम्स
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आई विभाग की नोडल अधिकारी डॉ. रजत टोप्पो ने बताया स्व. रामपति राम के पार्थिव शरीर से दोनों आखों के कार्निया सम्मान के साथ निकालकर आई कंटेनर में रखा गया। इसके बाद कंटेनर को कोल्ड चेन में डाला गया। कार्निया को 4 डिग्री तापमान में रखने का नियम है। इसके बाद आई कंटेनर को सिम्स भेज दिया गया है।

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