अंबिकापुर। राजीव गांधी शासकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय अंबिकापुर में बौद्धिक संपदा अधिकार विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के दूसरे दिवस चार तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। समापन सत्र में मुख्य अतिथि केबिनेट मंत्री दर्जा व नगर निगम के सभापति, पीजी कॉलेज के जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष अजय अग्रवाल थे। अति विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर त्रिपाठी रहे। सत्र की अध्यक्षता प्राचार्य एसएस अग्रवाल ने की।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अजय अग्रवाल ने विधि विभाग को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने बहुत ही गंभीर विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया। ऐसी कार्यशालाओं की ग्रामीण क्षेत्रों में भी नितांत आवश्यकता है। बौद्धिक संपदा अधिकार प्राप्त करने से लोगों को संरक्षण मिलेगा। उन्होंने रामायण के एक प्रसंग का उदाहरण देते हुए बताया कि लक्ष्मण को जीवन वैध सुशैन के संजीवनी ज्ञान के कारण मिला, आज भी ऐसे अनेकों ज्ञानीजन हमारे बीच हैं किंतु पेटेंट अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी देश ले लेते हैं। हल्दी जैसी औषधीय गुणों का पेटेंट अमेरिका के पास है। इसीलिए हमें पेटेंट को जानकर अपने उत्पादों पर अधिकार सुरक्षित करना होगा। वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर त्रिपाठी ने कहा इस पृथ्वी में सभी प्राणियों में मनुष्य सबसे बुद्धिमान प्राणी है, वह सबसे महान है, उसमें सोचने-समझने की क्षमता है। वर्ष 1911 में इंडियन पेटेंट एंड डिजाइन एक्ट बना। 1914 में डिजाइन एक्ट बना, फिर ट्रेडमार्क एक्ट अस्तित्व में आया। एचएमवी एक म्युजिक कंपनी थी जिसका ट्रेडमार्क एचएमव्ही था, टाटा का ट्रेडमार्क टी है। इसी प्रकार लेखक का लेखन, फिल्म, मनोरंजन की वस्तुओं की कॉमर्शियल वैल्यू खत्म न हो, ऐसी स्थिति के लिए कॉपीराइट एक्ट बना। एनओ ने वल्र्ड इंटेलेक्चुअल ग्रुप बनाया। अविष्कारों के युग में पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क की बहुत महत्वपूर्ण व प्रभावी भूमिका है। कार्यक्रम को प्रचार्य एसएस अग्रवाल ने भी संबोधित किया। संयोजक डॉ. आरपी सिंह के द्वारा कार्यक्रम की रुपरेखा प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम सचिव ब्रजेश कुमार द्वारा अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। समापन कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर अनिल सिन्हा, माधवेंद्र तिवारी व संजीव लकड़ा ने किया। इस दौरान प्राध्यापकों में डॉ. एसके श्रीवास्तव, डॉ. आरके जायसवाल, आयोजित कार्यशाला के विषय विशेषज्ञ गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय उत्तराखंड के प्राध्यापक डॉ. सुधीर कुमार चतुर्वेदी ने वर्चुवल संबोधन द्वारा कॉपीराइट से संबंधित विभिन्न अधिकारों व मुद्दों को समझाते हुए बताया कि कॉपीराइट किसी व्यक्ति के आइडिया का संरक्षण नहीं करता बल्कि उसके प्रस्तुतिकरण को संरक्षित करता है। इस तकनीकी राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रतिभागिता हेतु डॉ. नीलाभ कुमार, अनुकूल द्विवेदी, सुरेंद्र गुप्ता, पीयूष कुमार त्रिपाठी, अमित पांडेय, गौतम गुप्ता, नान सिंह, मनीष दयाल, अखलाक रजा, आनंद कुशवाहा, रिजवान आलम, सोमा गुप्ता, विशाल, सौरभ सोनी, सतीश, लोलर सिंह, हामिद अंसारी सहित अन्य को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक व सहायक प्राध्यापक डॉ. मिलेन्द्र सिंह, पंकज अहिरवार, देव प्रकाश दुबे, डॉ. पीयूष पांडेय, डॉ. विनीत गुप्ता, डॉ. उमेश पांडेय, डॉ. प्रतिभा सिंह, डॉ. नीलाभ कुमार, डॉ. दीपक सिंह, डॉ. नीमा कमर, डॉ. कामिनी, डॉ. ममता गर्ग, डॉ. जसिंता मिंज, डॉ. जेरमिना तिर्की, संजीव लकड़ा, संदीप कुशवाहा, डॉ. सरोज तिर्की, डॉ. तृप्ति विश्वास, डॉ. लक्ष्मी शास्त्री, डॉ. मनीषा देवांगन, पूनम सोनवानी सहित अन्य प्रतिभागी उपस्थित थे।